-नगर निगम की प्लाज्मा हेल्पलाइन में ठीक हो चुके संक्रमित बना रहे हैं बहाने

-निगेटिव रिपोर्ट के बाद भी कोई बता रहा कमजोरी तो कोई कह रहा घर आ जाओ

-1,000 से ज्यादा कॉलर्स से मिला रिस्पॉन्स, रोजाना 80 से अधिक लोग प्लाज्मा की कर रहे मांग

KANPUR: कोरोना को मात देने के बाद लोग दूसरे संक्रमितों की जान बचा सकते हैं, लेकिन कई कारणों से लोग प्लाज्मा डोनेट करने में कतरा रहे हैं। 1 मई से नगर निगम ने प्लाज्मा हेल्पलाइन की शुरुआत की। कर्मियों द्वारा लोगों को प्लाज्मा दान करने के लिए जागरूक करने के साथ ही उनका रजिस्ट्रेशन भी किया जा रहा है। अभी तक 1 हजार से ज्यादा ठीक हो चुके लोगों को कॉल किया जा चुका है, लेकिन प्लाज्मा दान करने से कई लोग बहाने बनाकर पीछे हट रहे हैं। कोई घर आकर प्लाज्मा लेने की बात कह रहा है तो कोई बता रहा है कि काफी कमजोरी आ गई है। ऐसे में उन कोरोना पेशेंट के लिए मुसीबत बढ़ रही है जिनको प्लाज्मा की बेहद जरूरत है।

10 गुना ज्यादा डिमांड

प्लाज्मा हेल्पलाइन की नोडल अधिकारी सहायक नगर आयुक्त पूजा त्रिपाठी के मुताबिक हर दिन ठीक हो चुके 300 से ज्यादा लोगों को प्लाज्मा दान करने के लिए कॉल कर जागरूक किया जाता है। लोग गूगल ¨लक पर भी रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग दान करने में कतरा रहे हैं। डोनेट करने में कई बहाने बनाते है। कोई कह रह है कि मुझे कमजोरी बहुत है। तो कोई कहता है कि घर आकर प्लाज्मा ले जाओ। तो कोई डायबिटिक, बीपी समेत अन्य कारण बता रहे हैं। रोजाना करीब 80 से ज्यादा लोग प्लाज्मा की डिमांड कर रहे हैं। दिन में 7 से 8 लोग ही प्लाज्मा डोनेट करने के लिए तैयार होते हैं। प्लाज्मा की रिक्वायरमेंट डोनर्स के मुकाबले 10 गुना से अधिक है।

इसलिए कतरा रहे हैं लोग

ब्लड से प्लाज्मा निकालना बेहद महंगा प्रॉसेस है। डोनेट करने से पहले आईजीजी, हीमोग्लोबिन, सीरम प्रोटीन जैसे टेस्ट होते है। इसमें करीब 1500 से 2000 रुपए खर्च होते हैं। ऐसे में कोई भी व्यक्ति इन पैसों को अपने पास से खर्च करने के लिए तैयार नहीं होता है। इसके अलावा प्लाज्मा निकालने का खर्च भी 10 हजार से अधिक होता है। ऐसे में जरूरतमंद को टेस्ट से लेकर सारे खर्च उठाने पड़ते हैं। इसके अलावा कोरोना के डर से भी ठीक हो चुके लोग पैथोलॉजी और हॉस्पिटल जाने में कतरा रहे हैं।

पूरी तरह सेफ है प्लाज्मा डोनेशन

आईएमए ब्लड बैंक के कन्वीनर डा। प्रवीण कटियार के मुताबिक प्लाज्मा डोनेशन पूरी तरह सेफ है। एक बार प्लाज्मा डोनेशन के बाद लोग 15 दिन बाद फिर से डोनेट कर सकते हैं। बॉडी में एंटीबॉडी 12 ग्राम प्रति डेसीलीटर होनी चाहिए। इससे कम होने पर प्लाज्मा डोनेशन नहीं होता है। इससे कोई कमजोरी भी नहीं आती है। प्लाज्मा डोनेशन में ब्लड से सिर्फ आईआईजी एंटीबॉडी निकाली जाती है और वापस ब्लड बॉडी में चढ़ा दिया जाता है। बाकी खर्च तो जिसे जरूरत होती है। वही उठाता है। लोग जरा भी मत घबराएं, आगे आकर लोगों की जान बचाने में मदद करें।

-------------

नगर निगम हमें दे डाटा

डा। प्रवीण कटियार के मुताबिक आईएमए में रोजाना 6 से 7 लोग प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं। शुरू की गई हेल्पलाइन में जरूरतमंद और डोनर्स दोनों की कॉल कर करते हैं। ब्लड ग्रुप के आधार पर हम डाटा तैयार करते हैं। जरूरतमंद के कॉल करने पर हम डोनर्स की सीधे उनसे बात करा देते हैं। जो भी खर्च होता है जरूरतमंद खुद उठाता है। लोगों के सामने ही प्लाज्मा निकालकर उन्हें दे दिया जाता है। नगर निगम चाहे तो डाटा हमें उपलब्ध कराए, इससे ज्यादा लोगों की मदद हो सकती है।

लोग बेहद परेशान

कोरोना से ¨जदगी और मौत की जंग लड़ रहे लोगों के परिजन प्लाज्मा के लिए दिन-रात परेशान हैं। अपने परिचितों से लेकर सोशल मीडिया तक के पेशेंट की डिटेल शेयर कर रहे हैं। कंट्रोल रूम में भी लोग दिन-रात प्लाज्मा के लिए कॉल कर रहे हैं। लेकिन बावजूद इसके ज्यादातर लोग प्लाज्मा डोनेशन में आगे नहीं आ रहे हैं। जबकि शहर में 12000 से ज्यादा लोग कोरोना को मात दे चुके हैं। इसके बावजूद लोग प्लाज्मा के लिए भटक रहे हैं।

जनवरी, फरवरी और मार्च में ठीक हो चुके कोरोना संक्रमितों को कॉल करके प्लाज्मा डोनेशन के लिए जागरूक किया जा रहा है, लेकिन लोग इससे कतरा रहे हैं। कई तरह के बहाने बना रहे हैं। डाटा शेयर करने के लिए सीनियर्स से बात करने के बाद डिसीजन लिया जाएगा।

-पूजा त्रिपाठी, नोडल अधिकारी, प्लाज्मा कंट्रोल रूम, नगर निगम।

नगर निगम ठीक हो चुके कोरोना संक्रमितों का डाटा चाहे तो हमसे शेयर करे। लगातार लोग ब्लड बैंक में आ रहे हैं। हम डोनर्स का डाटा सीधे जरूरतमंद को दे रहे हैं। इससे लोग तैयार होकर प्लाज्मा डोनेशन के लिए आ रहे हैं। रोजाना 7 से 8 लोगों का प्लाज्मा डोनेशन किया जा रहा है।

-डा। प्रवीण कटियार, कन्वीनर, आईएमए चैरिटेबल ब्लड बैंक।