- कोरोना संक्रमण के चलते शहर में कोई भी नया डेवलपमेंट वर्क शुरू नहीं हो पा रहा

- 16 करोड़ से बनने वाली मसवान की खस्ताहाल 3 किमी। रोड के टेंडर भी नहीं खुले

-फिलहाल सफाई, सैनेटाइजेशन पर निगम का जोर, कई अभियंता भी कोरोना की चपेट में

KANPUR: कोरोना के चलते ¨जदगी के साथ ही सिटी के डेवलपमेंट व‌र्क्स पर भी संकट मंडराने लगा है। नगर निगम द्वारा चल रहे पुराने व‌र्क्स तो किए जा रहे हैं। लेकिन, कोई भी नया डेवलपमेंट वर्क शुरू नहीं हो पा रहा है। कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म होने के बाद ही नए कार्य शुरू होने की उम्मीद है। कई विकास कार्य ऐसे भी हैं। जिनके टेंडर तो हो गए हैं लेकिन खोले नहीं जा सके हैं। इसके पीछे बड़ी वजह मैनपावर की कमी भी है। शहर में फिलहाल नगर निगम द्वारा सफाई, सैनेटाइजेशन और नाला सफाई का कार्य ही प्राथमिकता पर किया जा रहा है।

11 साल से खस्ताहाल

कोरोना का असर बीते 11 साल से खस्ताहाल पड़ी मसवानपुर रोड पर भी पड़ा है। 16 करोड़ रुपए से 3 किमी। लंबाई में रोड बनाई जानी थी। इसके लिए आवास विकास से 10 करोड़ रुपए का बजट भी मिल गया था। पैसा मिलते ही नगर निगम ने इस रोड के लिए 27 अप्रैल को टेंडर भी कॉल किए थे, लेकिन कोरोना का प्रभाव बढ़ने से टेंडर नहीं खोले गए। अब कोरोना इफेक्ट खत्म होने के बाद टेंडर ओपन किए जाएंगे। ये रोड इस कदर खस्ताहाल है कि यहां ज्यादातर लोगों ने चलना भी छोड़ दिया है।

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अरबों का बजट यूं ही पड़ा

शासन से पहली बार पॉल्यूशन को दूर करने के लिए 150 करोड़ रुपए का बजट अलग मिला था। लेकिन कोरोना संक्रमण बढ़ने से पहले नगर आयुक्त और महापौर के बीच मी¨टग न होने से कार्य पास नहीं हो सके। बीते 6 महीने से नगर निगम के अकांउट में अरबों का बजट यूं ही पड़ा हुआ है। वहीं फाइनेंशियल ईयर 2019-20 के खत्म होते ही 14वें वित्त आयोग का पैसा भी लगभग सभी विकास कार्यों में खर्च हो गया। 15वें वित्त में आया पैसा भी खर्च नहीं हो पा रहा है।

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2493 नालों की सफाई

सभी 6 जोन में नाला सफाई का कार्य तेजी से किया जा रहा है। मई लास्ट तक इसे पूरा किया जाना है। बड़े नाले जैसे सीओडी, रफाका, सीसामऊ समेत करीब 150 नालों की सफाई इंजीनिय¨रग विभाग द्वारा की जा रही है। वार्डों में छोटे नालों की सफाई ठेकेदारी सिस्टम से कराई जा रही है। नाला सफाई के लिए लगभग 4 करोड़ का बजट रखा गया है। बता दें कि पनकी, पीरोड, गांधीनगर, दर्शनपुरवा, सर्वोदयनगर, काकादेव, विजय नगर, गुजैनी, यशोदानगर, श्यामगनर, गोपाल नगर समेत कई जगहों पर भीषण जलभराव हर साल होता है। शहर में कुल 2493 नालों की सफाई की जानी है।

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फिलहाल कोई टेंडर नहीं

नगर निगम में डेवलपमेंट व‌र्क्स के लिए इस वक्त कोई टेंडर नहीं है। 10 लाख रुपए से ऊपर के डेवलपमेंट व‌र्क्स के लिए कोई भी टेंडर नहीं है। यूपी टेंडर की वेबसाइट भी इस बात की तस्दीक कर रही है। वहीं 10 लाख रुपए से कम के टेंडर भी नहीं बचे हैं। नगर निगम के 6 जोनल अभियंताओं में से 5 कोरोना पॉजिटिव हैं। ऐसे में चीफ इंजीनियर एसके सिंह ही पूरी कमान संभाले हैं।

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पीटीएमएस सिस्टम भी लटका

हाउसटैक्स पेयर्स को ऑनलाइन पेमेंट से लेकर प्रॉपर्टी की डिटेल की सही जानकारी के लिए पब्लिक टैक्स मैनेजमेंट सिस्टम को अप्रैल में लागू किया जाना था। लेकिन इस पर भी अब रोक लग गई है। इस सिस्टम के तहत पूरे प्रदेश में हाउस टैक्स को लेकर एक इंटीग्रेटेड सिस्टम तैयार किया गया है।

विद्युत शवदाह गृह भी लटका

भगवतदास घाट पर एक और विद्युत शवदाह गृह का निर्माण 15वें वित्त आयोग से किया जाना है। लेकिन कोरोना के चलते इस पर ब्रेक लग गया है। इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार कर भेजा जा चुका है। करीब 50 लाख रुपए से इसका निर्माण किया जाना है। वहीं पॉल्यूशन को रोकने के लिए जारी किए 75 करोड़ रुपए के बजट से एक भी कार्य का टेंडर तक नहीं किया जा सका है।

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कोरोना काल में पुराने विकास कार्य पूरी रफ्तार से चल रहे हैं। नाला सफाई का कार्य भी तेजी से हो रहा है। 15वें वित्त आयोग के काम कोरोना संक्रमण का खतरा टलने के बाद शुरू किए जाएंगे।

-एसके सिंह, चीफ इंजीनियर, नगर निगम।