- जेएनएनयूआरएम के तहत वाटरलाइन बिछाने में अब तक खर्च किए जा चुके है 869 करोड़

-भ्रष्टाचार के कारण शोपीस बने खड़े ओवरहेड वाटर टैंक, घरों के बाहर तक पाइप चिढ़ा रहे मुंह

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KANPUR: जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के तहर वाटर पाइपलाइन डालने में करप्शन के कारण 24 इंजीनियर के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने से अफरातफरी मची हुई है। इस प्रोजेक्ट के अंर्तगत 869 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। लेकिन एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद सिटी के दर्जनों इलाकों के घरों तक पानी नहीं पहुंचा। ये जरूर है कि इन इलाकों में पम्पिंग स्टेशन, ओवरहेड टैंक और घरों के बाहर तक नीले रबर पाइप बिछाकर सपने दिखाए गए। लेकिन सपने भ्रष्टाचार के पानी में बह गए।

पूरे शहर में सप्लाई

दरअसल जवाहरलाल नेहरू अरबन रिन्यूवल मिशन के अंर्तगत ग्राउंड वाटर का यूज रोकना था। इसके लिए सरफेस वाटर को ट्रीटकर घरों तक पहुंचाना था। इस मिशन के फेज वन में 393.93 करोड़ रुपये से बैराज में 20-20 करोड़ लीटर के दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए और विभिन्न एरिया में पम्पिंग स्टेशन, क्लियर वाटर रिजरवॉयर व ओवरहेड टैंक बनाए। जिनके जरिए पूरी सिटी में वाटर सप्लाई की जानी थी। ट्रीटमेंट प्लांट्स से पम्पिंग स्टेशन तक ड्रिकिंग वाटर पहुंचाने के लिए 1800, 1600 और 1400 एमएम के सिटी में पाइप बिछाए

20 परसेंट सप्लाइर् भी नहीं

पहले प्री स्ट्रेस्ट सीमेंट कंक्रीट पाइप डालने का ठेका मैसर्स विचित्रा प्रीस्ट्रेसड कंक्रीट उद्योग प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली को ठेका दिया गया। पाइप न दे पाने के चलते दोषियान कंपनी से कंपनी बाग से फूलबाग और कंपनी बाग से बारादेवी तक 15 किमी तक के लिए जीआरपी पाइप 25 करोड़ रुपये का खरीदा गया। वर्ष 2012 से लेकर 2015 के बीच में पाइप डाले गए। वर्ष 2015 के बाद टे¨स्टग में घटिया पाइप की पोल खुलने लगी। जगह-जगह जमीन में दफन घटिया पाइप भ्रष्टाचार फव्वारे के रूप में फटने लगे। हालत यह है कि सात साल गुजरने के बाद भी अभी तक पाइप फट रहे हैं। तीन मोटर में एक ही चलाई जा रही है इसके चलते 40 करोड़ लीटर में से 6 करोड़ लीटर ही जलापूर्ति हो पा रही है। इस वजह से कई इलाकों में अभी तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है।

प्रेशर सह नहीं पा रहे पाइप

शासन से 49 लाख रुपये देकर चार साल पहले आईआईटी से जीआरपी पाइपों की जांच कराई थी। आईआईटी ने रिपोर्ट में कहा था कि पाइप तय प्रेशर नहीं सह पाने के कारण फट रहे हैं। उन्होंने प्रेशर कम कर वाटर सप्लाई की सिफारिश की थी। प्रेशर कम किया गया तो बहुत से इलाकों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है।

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नहीं शुरू हुई वाटर सप्लाई

कृष्णानगर, श्यामनगर, देवकी नगर, यशोदा नगर, जाजमऊ, गांधीग्राम, वाजिदपुर, कमला टावर, इटावा बाजार, सुतरखाना, किदवईनगर, विश्वबैंक बर्रा, हंसपुरम, नौबस्ता समेत आदि

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जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट

फेज वन - 393.93 करोड़

फेस टू- 475.15 करोड़

टोटल खर्च - 869.08 करोड़

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