कानपुर (ब्यूरो)। एक समय था जब महिलाओं को कमजोरी और लाचारी का पर्याय कहा जाता था लेकिन मेहनत, जोश और जज्बे से महिलाओं ने उन्हें कमजोर बताने वाली पारंपरिक कहावतों को बदल कर रख दिया। ट्रेन और प्लेन से चलाने से हर फील्ड में अपना दबदबा साबित किया। आकाश से अंतरिक्ष तक की उड़ान भरकर अपने हौसले दिखा दिए हैं। सत्ता की कमान संभालकर भी दिखा दिया कि नामुमकिन शब्द उनकी डिक्शनरी में नहीं है। महिलाओं के इसी हौसले को सलाम करने और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति अवेयर करने के लिए हर साल 8 मार्च को इंटरनेशल वुमेन डे सेलिब्रेट किया जाता है। अपने शहर में कई ऐसी महिलाएं हैं कि जिन्होंने अपने दम पर एंटरप्रेन्योरशिप, रिसर्च, एजुकेशन, स्पोट्र्स और सोशल वर्क में एक अलग पहचान बनाई है और दूसरों के लिए मिसाल बनी हैं। आइए आपको ऐसी नारी शक्तियों से रूबरू कराते हैैं।

घर में स्नैक्स बनाते बनाते खड़ी कर दी सुपरफूड की कंपनी
घरों में हाउसवाइफ अक्सर कोई न कोई डिश बनाने का प्रयोग किया करती हैैं। कुछ इसी तरह का प्रयोग बर्रा की रहने वाली संगीता सिंह ने किया। इन्होंने खुद और फैमिली को फिट रखने के लिए मिलेट्स के स्नैक्स बनाना स्टार्ट किए। घर के लोगों को प्रोडक्ट पसंद आए तो मन में ख्याल आया कि क्यों न इसे मार्केट में लांच किया जाए। बस इसी आइडिया से 2020 में खुद का स्टार्टअप शुरू किया। कानपुर में मेट्रो को शुभारंभ के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई। पीएमईजीपी स्कीम से 10 लाख की मदद मिली तो घर के किचन से निकलकर मिलेट्स के स्नैक्स मार्केट में आए तो लोगों को भी पसंद आए। आज के समय में संगीता की पनकी इंडस्ट्रीयल एरिया में यूनिट है। इनके मिलेट्स से बने रेडी टू इट लोगों को बखूबी पसंद आ रहे है। हाल ही में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में इनको सम्मानित भी किया गया है।

बीबीए करने के बाद स्पाइसेज कंपनी से कमाया नाम
हर एक एजुकेटेड यूथ का सपना एक बेस्ट पैकेज वाली जॉब पाना होता है। लेकिन किदवई नगर की रहने वाली वंशिका निगम कुछ अलग हैं। ग्वालियर से बीबीए ऑनर्स करने के बाद अपने शहर आकर मसालों(सब्जी मसाले) का काम स्टार्ट किया। 2021 में कंपनी रजिस्टर कराई। वंशिका ने बताया कि नवरात्रों में वह भौती में अपनी फैक्ट्री लगाकर मसालों का प्रोडक्शन करना स्टार्ट करेंगी। अब यह टेक्नोलाजी के हेल्प के लिए आईआईपीआर से भी जुडऩे वाली हैैं। उनका उद्देश्य पब्लिक को प्योर और हेल्दी मसालों पहुंचाना है।

गंगा सफाई के लिए डटी हैैं डॉ। संजीवनी
सिटी में कुछ ऐसी महिलाएं हैैं जो कि अपने प्रोफेशन से अलग हटकर सोशल वर्क में भी बढ़ चढक़र हिस्सा लेती हैैं। कुछ ऐसी ही हैैं उद्यान विहार की रहने वाली डॉ। संजीवनी शर्मा। पेशे से तो वह डेंटल सर्जन हैैं लेकिन जुनून है गंगा और घाटों को साफ रखना। इसीलिए इनका नाम शहर में गंगा सफाई से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है। कानपुर प्लागर्स फाउंडेशन के नाम से एनजीओ के जरिए यह हर संडे अपने वालंटियर्स के साथ गंगा घाटों में जाकर प्लास्टिक को साफ करती हैैं। इनकी गंगा सफाई की मुहिम की बात करें तो सोशल मीडिया पर हजारों लोग इनका सपोर्ट करते और सफाई कराने भी आते हैैं। गंगा सफाई के अलावा इन्होंने सिटी के कई प्वाइंट्स को प्लास्टिक फ्री और ब्यूटी्रफुल बनाया है।

एजुकेशन में किया इनोवेशन तो मिला पुरस्कार
गवर्नमेंट स्कूलों में ट्रेडिशनल मैथड से स्टूडेंट्स को पढ़ाई कराई जाती है लेकिन टीचर डॉ। पूजा यादव की सोच थोड़ी अलग है। उन्हें लगा कि शायद मैथड बदला जाए तो बच्चों को समझ में कुछ बेहतर आएगा। इसी को ध्यान में रखकर सरसौल के हायर प्राइमरी स्कूल खुजउपुर की स्कूल्स में वीआर बाक्स, थ्रीडी चश्मे, टैब आदि से पढ़ाई कराई। इसके अलावा बुक्स की स्टोरीज को नाटक में बदलकर स्टूडेंट्स को समझाने का काम किया। गल्र्स के लिए मीना मंच के माध्यम से वोकेशनल कोर्स भी चलाए। इनके इसी इनोवेशन के चलते स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ती गई। इनको साल 2023 में 5 सितंबर के दिन राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सीएम के हाथों आदर्श शिक्षक पुरस्कार भी मिल चुका है।

पहला पेटेंट कराकर रचा इतिहास
किसी भी काम को करने वाले पहले इंसान का नाम इतिहास में दर्ज होता है। कुछ ऐसा ही नाम सीएसए के कालेज आफ कम्यूनिटी साइंस की डॉ। रितु पांडेय का दर्ज हुआ है। इन्होंने अलसी के तने से रेशे निकालने की एक अलग टेक्निक को पेटेंट कराया है। इनका यह पेटेंट सीएसए का पहला पेटेंट है। डॉ। पांडेय ने बताया कि रिसर्च वर्क मेें तो सालों लग गए लेकिन जिस दिन पहला पेटेंट उनके नाम हुआ तब लगा कि सीएसए के लिए वह कुछ कर सकी हैैं। बताया कि आगे भी कई रिसर्च वर्क चल रहे हैैं, जिनको पेटेंट कराया जाएगा।