- 2 अलग कंपनियों के रेल इंजन को वायरलेस कंट्रोल सिस्टम से कनेक्ट कर चलाई गुड्स ट्रेन

-फजलगंज इलेक्ट्रिक लोको शेड की टीम ने रचा इतिहास, पार्सल पहुंचाने में कम समय लगेगा

- 02 किमी लंबी ट्रेन का पनकी से पं.दीनदयाल उपाध्याय के बीच किया सफल ट्रायल

- 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दो गुड्स ट्रेनों को जोड़ कर हुआ ट्रायल रन

- 150 किमी प्रति घंटे से अधिक स्पीड में इस टेक्नोलॉजी का यूज कर गुड्स ट्रेनों को चला सकेंगे

- 116 वैगन को कनेक्ट कर चलाई गई थीं दोनों गुड्स ट्रेनें

KANPUR। फजलगंज स्थित रेलवे की इलेक्ट्रिक लोको शेड की इंजीनियरिंग टीम ने वह कर दिखाया है। जो आज तक रेलवे के इतिहास में नहीं हुआ है। हालांकि पहले एक दो बार यह हो चुका है लेकिन इस बार अलग बात यह है कि इंजन अलग-अलग कंपनी के थे। इसके पहले हुए ट्रायल में एक ही कंपनी के इंजन लगे थे। इंजीनियरिंग टीम ने दो अलग-अलग कंपनियों के लोकोमोटिव को 'डिस्ट्रब्यूटेड पॉवर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम' टेक्निोलॉजी से मॉडिफाइड किया। 116 वैगन वाली लगभग दो किमी लंबी गुड्स ट्रेन का सफल ट्रायल रन किया।

समय की होगी बचत

पनकी से पं। दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन के बीच 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दो गुड्स ट्रेनों को जोड़ कर इसका ट्रायल किया गया। इससे अभी के मुकाबले समय कम लगेगा। टीम में वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर 'ऑपरेशन' राहुल त्रिपाठी, डीईई रोलिंग स्टॉक कानपुर शिवम श्रीवास्तव, इंजीनियर नागेंद्र तिवारी रहे। ट्रेन का सफल परिचालन में सीनियर डीओएम जूही, एसके गौतम व डीईई ऑपरेटिंग कानपुर योगेश यादव का योगदान रहा।

नहीं लगाना होगा क्रू पायलट

कानपुर सेंट्रल स्टेशन डायरेक्टर हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि दो गुड्स ट्रेन को पहले भी देश में कई स्थानों पर चलाकर ट्रायल किया गया है। जिसमें एक ही कंपनी के दो लोकोमोटिव का यूज किया गया है। फजलगंज स्थित लोको शेड की टीम ने देश में पहली बार दो अलग-अलग कंपनी के लोकोमोटिव को वायरलेस कंट्रोल सिस्टम से मॉडिफाइड कर ट्रायल किया है। जिसमें पीछे वाले रेल इंजन में क्रू पायलट भी तैनात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे मैनपावर भी ज्यादा नहीं लगाना पड़ेगा।

डेडिकेटेड फ्रेट कारीडोर में अधिक स्पीड

वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर 'रोलिंग स्टॉक' प्रदीप शर्मा ने बताया कि दो लोकोमोटिव को मॉडीफाइ कर पायलट प्रोजक्ट के तहत दिल्ली-हावड़ा रूट में ट्रायल किया गया है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर में इस टेक्नोलॉजी का यूज कर गुड्स ट्रेनों को 150 किमी प्रति घंटे से अधिक स्पीड में चलाया जा सकता है। जिससे वर्तमान की अपेक्षा कम समय में माल की ढुलाई हो सकेगी।