- सिटी के 60 हजार बच्चों ने एक साल से नहीं देखा स्कूल, दिमाग पर पड़ रहा असर

- सीबीएसई के सिटी कोआर्डिनेटर ने कहा प्ले ग्रुप व नर्सरी के बच्चों का स्कूल जाना जरूरी

KANPUR: यदि आपका बच्चा स्कूल नहीं जा रहा है तो आपको उसकी हर एक्टिविटी पर नजर बनाकर रखनी चाहिए। कानपुर की यदि बात की जाए तो यहां पर प्लेग्रुप और नर्सरी क्लास के करीब 60 हजार बच्चे हैं जिन्होंने पिछले एक साल से क्लासरूम नहीं देखा। वह ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इससे उनका सर्वागीण विकास नहीं हो पा रहा है। मनोवैज्ञानिक, प्रिंसिपल का कहना है कि इन बच्चों ने विकल्प के तौर पर उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई तो की। मगर, जो व्यक्तित्व, मानसिक व शारीरिक विकास उनका स्कूल जाकर हो सकता था, वह घर में रहने से प्रभावित हुआ।

स्कूल आते तो सबसे मिलते

दिल्ली पब्लिक स्कूल सर्वोदय नगर में शिक्षक पूजा भाटिया ने बताया कि वह पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से प्ले ग्रुप व नर्सरी के बच्चों को पढ़ा रही हैं। बोलीं, अगर बच्चे स्कूल आते हैं तो वह अपने सहपाठियों से मिलते हैं। अलग-अलग एक्टिविटीज में भाग लेते हैं। मगर, महामारी की वजह से वह नहीं आ सके तो कहीं न कहीं उनके सर्वांगीण विकास पर प्रभाव पड़ा।

बच्चे का स्कूल जाना जरूरी

सीबीएसई के सिटी कोआर्डिनेटर बल¨वदर सिंह ने बताया, कि महामारी में कुछ दिन के लिए क्लास फ‌र्स्ट से लेकर पांचवीं क्लास तक के बच्चों को बुलाया तो गया। लेकिन, प्लेग्रुप व नर्सरी के बच्चे एक साल से स्कूल नहीं गए। बोले, ऐसी स्थिति में बच्चों के दिमाग पर जरूर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, तीन साल की उम्र के बच्चों का स्कूल जाना जरूरी होता है, क्योंकि इस उम्र में बच्चों का ब्रेन डेवलप होता है।

ऑनलाइन पढ़ाई ही ऑप्शन

मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के प्रभारी डा.एनसी गंगवार ने कहा, कि महामारी में जीवन बचाने के लिए आनलाइन पढ़ाई ही बच्चों के लिए विकल्प था। वह घर पर रहे और स्कूल नहीं गए तो कहीं न कहीं उनके मस्तिष्क पर कुछ न कुछ प्रभाव पड़ेगा।

घर पर बच्चा पढ़ रहा तो क्या ध्यान रखें

- बच्चे खुशी में हल्ला करें तो करने दें नहीं तो उनमें वॉयस प्रेशर हाई हो जाता है

- ऐसा न होने देने पर धीरे-धीरे शांत हो जाते हैं और गुमसुम रहने लगते हैं

- बच्चों को बताएं महामारी क्या है और उन्हें घर में क्यों रहना चाहिए

- उन्हें डराने की जगह उनका हौसला बढ़ाएं कि कैसे सब ठीक होगा

- बच्चों को हर दिन फिजिकली एक्टिव रखें, खुद भी साथ में खेलें

- बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर ध्यान रखें