कानपुर (ब्यूरो)। अगर आपके बच्चे दूसरे शहर या दूसरे देश में पढ़ाई कर रहे हैैं या नौकरी कर रहे हैैं। अचानक ही किसी दिन उनकी कॉल आती है और दूसरी तरफ से बेटे या बेटी की आवाज सुनाई देती है। कोई बड़ी इमरजेंसी या समस्या बताकर रकम की डिमांड की जाती है तो सावधान हो जाइएये आपके अपने बच्चों का कॉल है या साइबर शातिरों का, इस बात को पूरी तरह समझने के बाद ही रकम ट्रांसफर करने के बारे में सोचें। क्योंकि साइबर शातिरों ने ठगी का ये नया हथियार अपनाया है। एआई की हेल्प से होने वाली इस ठगी में आप ठगे तो जाएंगे लेकिन समझ भी न पाएंगे कि आपके साथ ठगी हो गई। साइबर शातिर इस ठगी के लिए दो खास तरह के सॉफ्टवेयर का यूज कर रहे हैं। शहर में ठगी के इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसलिए आप रहें अलर्ट।

जानिए, आपको क्या करना है
साइबर सेल के एक्सपट्र्स की मानें तो शातिरों का ये नया पैैंतरा फुलप्रूफ है यानी लीकेज की संभावना बहुत कम है। एडीसीपी क्राइम की सलाह है कि अगर आपके पास इस तरह की कॉल आए तो सबसे पहले अपना फोन चेक करें। इसी दौरान आपके फोन से सिग्नल चले जाएंगे और आप किसी भी तरह की कॉल नहीं कर पाएंगे। किसी दूसरे मोबाइल से तुरंत बेटे या बेटी को कॉल करें और पूछें कि क्या बच्चों ने &मनी डिमांड&य की है। अगर कॉल नहीं मिल रही है तो घबराएं मत और मनी ट्रांसफर भी न करें। दरअसल जिस समय आपके फोन को फ्रीज किया गया है उसी समय आपके बच्चे के फोन को भी फ्रीज किया जाता है। रुपये तब तक ट्रांसफर न करें जब तक आपके बच्चे से बात न हो जाए।

इस तरह वारदात को अंजाम
दस साल पहले फोन स्पूफ करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिससे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर आवाज बदल कर कॉल की जाती थी। लगभग एक साल तक कॉल स्पूफ होती रही। उसके बाद लोग अलर्ट हो गए। कुछ महीने पहले से शातिरों की नजर ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर पड़ गई। &वाइब्रेंट&य नाम के सॉफ्टवेयर पर काम किया गया और लोगों की आवाज बनाई जाने लगी। बस इन्हीं दो टेक्नीक को शातिरों ने बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना सीख लिया। रही सही कसर पूरी कर दी रिमोट सॉफ्टवेयर ने। बच्चे और उसके पिता के नंबर की जानकारी कर फोन स्पूफ करना और आवाज बनाना आसान हो गया। साइबर स्पेशलिस्ट की माने तो इस तरह की वारदातों में एक बात कॉमन मिली है कि दोनों पक्षों के पास ब्लैैंक कॉल्स आती है। इस दौरान आवाज &वाइब्रेंट&य में सेव कर ली जाती है।