कानपुर(ब्यूरो)। देश की राजधानी दिल्ली और औद्योगिक राजधानी मुंबई की तर्ज पर कानपुर में भी नाइट पार्टीज का चलन शुरू हो गया है। पॉश इलाकों में स्थित होटल और रेस्टोरेंट्स में नशे का धुआं उड़ाते यूथ देखे जा रहे हैैं। शहर में चल रहे हुक्का बार और शादी ब्याह में यूथ को सबसे ज्यादा सूखा नशा यानी चरस और गांजा भा रहा है। इन पार्टीज में शामिल होने वाले यूथ इस नशे के दलदल में फंसते जा रहे हैैं। ऑन डिमांड नशा सप्लाई करने वालों के नेक्सस को तोडऩे में फ्राइडे को कानपुर क्राइम ब्रांच ने ऑन डिमांड नशे के सौदागरों को गिरफ्तार किया है। मध्य प्रदेश के इन तस्करों के पास से 13 लाख रुपये का गांजा बरामद हुआ है। ये कैसे लाया जा रहा था। इसे जानकर आपको इन तस्करों के शातिराना अंदाज की जानकारी हो जाएगी।


कार से हो रहा था कारनामा
डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बताया कि क्राइम ब्रांच और रेल बाजार पुलिस जानकारी मिली कि शहर में बड़ी मात्रा में गांजा लाया जा रहा है। सूचना पर संयुक्त टीम बना कर रेल बाजार थाना क्षेत्र से फ्राइडे को एक गांजा तस्कर गिरोह को गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपियों के पास से पुलिस ने एक कार और 65 किलो गांजा बरामद किया है। जिसकी कीमत बाजार में 13 लाख रुपए बताई गई। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने अपना नाम कन्नौज निवासी दीपक सविता व अनुज कुमार और मध्य प्रदेश निवासी राकेश मीणा उमाशंकर मीणा व मुकेश कुमार राठौर बताया है।

गैस किट में छिपा कर रखा
ड्रग पेडलर नए-नए तरीकों से नशीला पदार्थ कैरी कर रहे हैैं। अभी तक शहर में ट्रकों में स्कीम बनाकर नशीला पदार्थ लाया जा रहा था। कैरियर्स ने रोडवेज बसों को सुरक्षित साधन बना रखा है। फ्राइडे को पकड़े गए गैैंग ने मारुति ऑल्टो कार में स्कीम बना रखी थी। अभी तक सीट और एसेसिरीज के साथ स्टेपनी के टायर ट्यूब में स्कीम बनाई जाती थी। लेकिन पकड़े गए तस्करों ने सीएनजी किट के सिलेंडर में स्कीम बना रखी थी। सिलेंडर के अंदर 65 किलो गांजा बरामद किया गया है। कई बार चेकिंग के बाद भी जब नशीला पदार्थ नहीं मिला तो टीम में मौजूद लोगों ने सिलेंडर चेक किया, जिसमें वेल्डिंग की गई थी। इस वेल्डिंग से शक हुआ और पुलिस की टीम ने सिलेंडर काटकर चेक किया। तब नशीला पदार्थ बरामद हुआ।


एसटीएफ कर रही गैैंग पर काम
शहर में बीते एक साल में एसटीएफ ने महाराजपुर, नवाबगंज, काकादेव और चकेरी में चरस की बड़ी खेप पकड़ी हैैं। एसटीएफ सूत्रों की माने तो तस्कर के गुर्गे हुक्का पॉर्लर और पार्टियों में दो से चार गुना कीमत पर मेथाडोन ड्रग्स उपलब्ध करा रहे है। जिन्हें मेफेड्रोन, मिथाइलमेथ कैथिनोन व एमएमसी के नाम से भी जाना जाता है। आम बोल चाल में इस नशे को सूखी हरियाली और व्हाइट पर्ल के नाम से जानते हैैं।

सप्लाई का मिलता दस हजार
पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि सप्लायर्स को नशे की टाइप के हिसाब से रुपये मिलते हैैं। चरस नेपाल और बाराबंकी से लाने में एक खेप के दस हजार रुपय, स्मैक की खेप के 15 से 20 हजार रुपये और गांजे की सप्लाई के दस हजार रुपये दिए जाते हैैं।

1 साल के क्राइम ब्रांच के गुडवर्क
केस रजिस्टर्ड : 12
गिरफ्तारी : 35
गांजा : डेढ़ कुंतल
चरस : छह बार में 34 किलो
स्मैक : पांच बार में 3 किलो
लिक्विड : एक बार में 70 लाख का माल
1 साल के एसटीएफ के गुडवर्क
केस रजिस्टर्ड : 09
गिरफ्तारी : 23
गांजा : दो कुंतल
चरस : चार बार में 44 किलो
स्मैक : एक बार में डेढ़ किलो
लिक्विड : दो बार में 36 लाख का माल
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&& गैंग के लोगों से पूछताछ में कुछ और लोगों की जानकारी हुई है, उनके मोबाइल नंबरों से लोकेशन ट्रेस कर पुलिस की टीमें लगाई गई हैैं। जल्द ही बड़ी सफलता मिलेगी.&य&य
सलमान ताज पाटिल, डीसीपी क्राइम