- कोरोना से जंग जीतने के बाद भी नहीं सुधर रही सेहत, डॉक्टर्स के पास पहुंच रहे मरीज

- कोरोना के बाद की प्रॉब्लम्स के इलाज के लिए नहीं शुरू हुआ पोस्ट कोविड हॉस्पिटल

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KANPUR:

सिटी में कोरोना संक्रमण के प्रकोप के बीच इस बीमारी को मात देने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इनमें से काफी मरीज ठीक होने के बाद भी कोरोना के ऑफ्टर इफेक्ट से परेशान हो रहे हैं। खास तौर से वह मरीज जो अस्पताल में काफी दिन भर्ती रहे है। कई पेशेंट्स को तो दोबारा भर्ती करने की भी नौबत आ रही है और उन्हें लंबे मेडिकेशन से गुजरना पड़ रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि पिछली बार की तरह इस बार जो वायरस का स्ट्रेन है। उसका असर ठीक होने के काफी दिन बाद तक रह रहा है।

आईसीयू पेशेंट्स पर स्टेयराइड

सिटी में 9 हजार से ज्यादा पेश्ेांट्स अब कोविड अस्पतालों में रिकवर हो चुके हैं। इसमें से 2 हजार के करीब पेशेंट्स आईसीयू में भी कई दिन तक रहे। एलएलआर अस्पताल के न्यूरो कोविड आईसीयू के नोडल प्रभारी प्रो। प्रेम सिंह ने बताया कि आईसीयू में रहने के दौरान कई बार पेशेंट्स को स्टेयराइड भी देनी पड़ती है। 7 से 8 दिन आईसीयू में रहने के बाद मेंटल लेवल पर कुछ प्रॉब्लम्स हो सकती है। इसके अलावा दवाओं और माहौल के असर से आंखों में भी थोड़ा धुंधलापन आता है, जो थोड़े समय बाद चला जाता है।

ब्लड के क्लॉट का खतरा

मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.राघवेंद्र गुप्ता ने जानकारी दी कि उनके पास कई ऐसे पेशेंट्स आए जो कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके थे, लेकिन उनमें कमजोरी के साथ सिर दर्द की शिकायत थी। जब उनके सिर का सीटी स्कैन कराया तो ब्रेन में ब्लड की काफी क्लाटिंग मिली। जिसके बाद उन्हें इस क्लाटिंग को दूर करने के लिए दवाओं का कोर्स शुरू करना पड़ा। सीनियर फिजीशियन डॉ। मनमीत सिंह बताते हैं कि कोरेाना संक्रमण की वजह से लंग्स में फ्राइब्रोसिस बन जाता है। जिससे लंग्स की फ्लैक्सिबिलिटी खत्म हो जाती है। ऐसे में पेशेंट्स को अक्सर ठीक होने के बाद भी निम्यूलाइज कराना पड़ता है।

हार्ट पर पड़ रहा असर

सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॅा। अमित कुमार बताते हैं कि कई बार कोरोना वायरस की वजह से लंग्स में ब्लड की क्लाटिंग हो जाती है। ब्लड के यह छोटे छोटे थक्के कई बार ब्लड वेसल्स के जरिए हार्ट तक पहुंचते हैं जिससे हार्ट अटैक का खतरा भी बना रहता है। ऐसे में पेशेंट को काफी समय तक खून पतला करने के लिए इकोस्प्रिन दवा भी देनी पड़ती है।

नहीं शुरू हुआ पोस्ट कोविड हॉस्पिटल

सिटी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते केसेस के साथ ही इससे ठीक होने वाले पेशेंट्स की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन कोरोना के बाद की समस्याओं के इलाज के लिए सिटी में अभी कोई स्पेसिफिक जगह नहीं है जहां पेशेंट जाकर अपना इलाज करा सके। कोरोना की फ‌र्स्ट वेव के दौरान जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के आईडीएच अस्पताल में 30 बेड की पोस्ट कोविड विंग शुरू की गई थी, लेकिन वह भी बंद पड़ी है। वहीं बीते दिनों बड़े चौराहे के पास कानपुर हार्ट सेंटर को नॉन कोविड अस्पताल बनाने के लिए कमिश्नर ने दौरा किया था,लेकिन वह भी अभी शुरू नहीं हो सका है।

यह प्रॉब्लम आ रहीे

- आंखों में धुंधलापन

- ब्रेन में क्लाटिंग

- लंग्स में क्लाटिंग

- लंग्स में पैचेस पड़ना

- सांस फूलना, कमजोरी

- शुगर लेवल का बढ़ना

- मेंटल स्ट्रेस

- लंग्स में फाइब्रोसिस