हाल ही में हुई घटनाओं के बाद लोग बोलटन के इस खिलाड़ी को ‘चमत्कारी पुरूष’ कहने लगे है। तेइस वर्षीय मुआंबा शनिवार को एफए कप में टोटेनहैम के खिलाफ खेलते हुए ग्रीनिच मानक समयानुसार 18:13 पर मैदान में ही गिर पड़े। इसके ठीक 78 मिनट बाद 19:31 पर उनका दिल वापस धड़कना शुरू हुआ।

बोलटन क्लब के डॉक्टर के अनुसार इन 78 मिनटों के दौरान वो ‘मृत’ रहे। लेकिन आखिर ये कैसे हो सकता है? मुआंबा के साथ जो हुआ उसके बारे में विस्तृत जानकारी आनी आभी बाकी है, लेकिन चिकित्सीय दल में शामिल लोगों का मानना है कि उनके दिल की धड़कने बंद होने के बावजूद उनमे कुछ जान बाकी थी।

दिल में हरकत

उन्हें जिस प्रकार के दिल का दौरा पड़ा था उसमें दिल सिकुड़ा नहीं और सारे शरीर में रक्त प्रवाह होता रहा। हालांकि इसके बावजूद ये हो सकता है कि उनके दिल में किसी प्रकार की विद्युतीय हरकत हो रही हो।

ऐसी स्थिति में सबसे जरूरी होता है कि सीपीआर जल्दी से जल्दी शुरू कर दी जाए। ये प्रणाली मरीज के शरीर में कृत्रिम तरीके से रक्त प्रवाह जारी रखती है जिससे डॉक्टरों को दिल के इलाज के लिए समय मिल जाता है।

सीपीआर देने में हर एक मिनट की देरी मरीज के बचने की संभावना को लगभग दस फीसदी तक कम कर देता है। इस मामले में 23 वर्षीय मुआंबा भाग्यशाली साबित हुए।

खेल के दौरान फुटबॉल मैदान पर ही प्रशिक्षित डॉक्टरों की टीम मौजूद थी। इसके अलावा एक कार्डियोलोजिस्ट यानी कि दिल का डॉक्टर भी खेल देखने वालों में शामिल था। उन्होंने भी मुआंबा के इलाज में मदद की।

मतलब ये कि मुआंबा को तुरंत सहायता मिली। हालांकि इलाज के लिए सिर्फ सीपीआर काफी नहीं है क्योंकि इससे दिल का दौरा पड़ने पर मरीज के बचने की संभावना पांच फीसदी बढ़ती भर है।

बिजली के झटके

जमीन पर गिरे फुटबॉलर को ऑक्सीजन मास्क लगाए गया और सीने पर बिजली के तीन झटके दिए गए। इसका उद्देश्य था मुआंबा के दिल को एक बार फिर क्रियाशील बनाना।

इसके बाद मुआंबा को जल्दी ही एंबुलेंस में अस्पताल ले जाया गया। मुआंबा को बिजली के 12 झटके दिए जाने के बाद उनका दिल एक बार फिर धड़कना शुरू हुआ। लेकिन क्या वाकई में उनकी मौत हो गई थी? साफ है कि तकनीकी रूप से उनकी मृत्यु नहीं हुई थी, हालांकि उनकी जान बेशक दांव पर थी।

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