जेल से छुड़ाने का खेल, फर्जी डॉक्यूमेंट से बेल

- क्राइम ब्रांच ने फर्जी जमानतदारों के रैकेट का किया भंडाफोड़, एडवोकेट समेत पांच शातिरों को किया अरेस्ट

- 100 से ज्यादा अपराधियों को जेल से निकाला बाहर, कल्याणपुर में बना रखा था फर्जीवाड़े का ठिकाना

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KANPUR : फर्जी दस्तावेज के जरिए अपराधियों की जमानत लेने वाले जमानतदारों के रैकेट का खुलासा क्राइम ब्रांच ने किया है। एक एडवोकेट समेत पांच आरोपियों को अरेस्ट किया गया है। इनके पास बड़ी संख्या में फर्जी आधार, वोटर आईडी समेत अन्य पहचान पत्र बरामद किए गए हैं। गिरोह में शामिल अन्य साथियों की तलाश की जा रही है। आरोपियों से पूछताछ में क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली है कि इन लोगों ने 100 से ज्यादा बंदियों को फर्जी जमानत पर रिहा कराया है।

एक साल पहले बनी थ्ाी एसआईटी

फर्जी जमानतदारों की मदद से बंदियों को जेल से छुड़वाने का मामला 2020 से चल रहा था। 3 जून 2020 को इस मामले में एसआईटी का गठन हुआ था। जिसे पूर्व एसपी वेस्ट डॉ। अनिल कुमार लीड कर रहे थे। गैंगस्टर कोर्ट की तरफ से कोतवाली थाने में लगभग 70 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। इस मामले में उस दौरान काम करते हुए पुलिस ने 61 आरोपियों (जिसमें जमानतदार और अपराधी शामिल थे) को जेल भेजा था।

क्राइम ब्रांच ने किया टेकओवर

कानपुर पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद इस मामले को क्राइम ब्रांच ने अपने हाथ में ले लिया। जिसके बाद कार्रवाई करते हुए क्राइम ब्रांच टीम ने ग्वालटोली निवासी एडवोकेट शील कुमार गुप्ता, उसके यहां काम करने वाले मुंशी रायपुरवा निवासी सचिन कुमार सोनकर, कल्याणपुर निवासी संतोष सिंह, औरैया निवासी वृंदावन और सुरेन्द्र को गिरफ्तार किया है। संतोष और सुरेंद्र दोनों फर्जी जमानतदार है। जो कि अपराधियों की जमानत लेकर उन्हें जेल से निकलवाने का काम करते थे।

ये सामान हुआ बरामद

21 आधार कार्ड, 3 आरसी, 3 वोटर आईडी, 2 निवास प्रमाण पत्र, 165 फोटो, 6 सील मुहर, 12 लेटर पैड, 2 स्टांप, 7 जामीनदार प्रपत्र, एक हिस्ट्री टिकट, 4 लिफाफे( कोर्ट से जमानत वेरिफिकेशन के लिए निगर्1त किए गए)

ऐसे होता था फर्जीवाड़ा

अधिवक्ता और उसके साथी जेल में बंद उन अभियुक्तों के लिए जमानतदार तैयार करते थे जिनकी जमानत तो हो जाती थी लेकिन उन्हें जमानतदार नहीं मिलते थे। ये स्थिति हार्डकोर क्रिमिनल या फिर गैर जनपद या राज्य के बंदियों के सामने आती थी। जमानत के लिए स्थायी जमानतदार होने का नियम है। आरोपी पोस्ट ऑफिस में भी जुगाड़ रखते थे। वहां से असली जमानतदार के कागजात भेजे जाते थे मगर कोर्ट पहुंचते नहीं थे। वहां पर नकली जमानतदार के कागजात लगा ि1दए जाते थे।

औरैया में शुरू हुआ खेल

आरोपियों ने ज्यादातर औरैया के बंदियों को फर्जी जमानत पर रिहा कराया। डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल और एडीसीपी क्राइम दीपक भूकर ने बताया कि पिछले साल हुई कार्रवाई के बाद नर्वल और बिठूर में फर्जी जमानत लेने वालों ने ये काम बंद कर दिया था। जिसके बाद गिरोह औरैया में सक्रिय हुआ। आरोपियों के पास से फफूंद, कोतवाली औरैया के थानेदार के स्टाम्प, ग्राम प्रधानों, पार्षदों के स्टाम्प बरामद ि1कए गए हैं।

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पैकेज पर होता था काम

वकील की जमानत दिलाने की संख्या बढ़ने पर उसका काम ठीक ठाक बढ़ गया था। फर्जी कागजात तैयार कराने के लिए गिरोह ने कल्याणपुर में एक कमरा किराए पर लिया था। वकील के मुंशी फर्जी कागजात जैसे आधार, प्रापर्टी संबंधी कागजों को कम्प्यूटर से तैयार करता था। बंदियों से यह पूरा पैकेज 15-20 हजार रुपए में तय करते थे। उसी में सारा काम होता था।

मामले में अन्य को‌र्ट्स से भी सूचना ली जा रही है। इस गिरोह में और कितने लोग सक्रिय हैं इसका पता लगाया जा रहा है। इसके अलावा आसपास के जिलों में भी पुलिस अधिकारियों से सम्पर्क कर इस गिरोह के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही हैं।

आनंद प्रकाश तिवारी, एडिशनल पुलिस कमिश्नर