- सीसामऊ में सनसनीखेज वारदात, 7 साल के एकलौते बेटे की गला घोंटकर हत्या करने के बाद खुद थाने पहुंचा पिता

-पूरे परिवार को खिलाना चाहता था दूध में मिलाकर नींद की गोलियां, लॉकडाउन में काम छूटने के बाद से था तनाव में

KANPUR: पापा मैं तो आपके जिगर का टुकड़ा था। आपकी आंखों का तारा था। आप ही मुझे इस दुनिया में लेकर आए थे पापा। मुझे जरा सी चोट लगने पर दर्द आपको होता था। छोटी हो या बड़ी, मेरी हर ख्वाहिश पूरी करते थे आप। मुझे भी इस दुनिया में सबसे ज्यादा भरोसा आप पर ही था। इसलिए रात को भी मैं आपके से ही चिपककर सोता था। फिर आपने ही मेरे साथ ऐसा क्यों किया? आखिर मेरा कसूर क्या था? मैं तो पूरी मेहनत से पढ़ाई भी करता था। बड़ा होकर आपका नाम रोशन करना चाहता था। फिर मुझे किस बात की इतनी बड़ी सजा दी? ये सवाल हैं 7 साल के एक बेटे के अपने पिता से। जिसे पिता ने ही अपने हाथों से उसे मौत की नींद सुला दिया। सैटरडे को सीसामऊ में जब इस वारदात के बार में लोगों के सुना तो उनके कलेजे भी कांप उठे। सबके जुबां पर एक ही सवाल कोई पिता ऐसा कैसे कर सकता है? लेकिन जवाब किसी के पास नहीं था।

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घर की जान था तारुष

सीसामऊ में लकड़मंडी इलाके में रहने वाले अलंकार श्रीवास्तव लॉकडाउन के पहले तक शेयर ट्रेडिंग का काम करते थे। उनकी पत्‍‌नी सारिका कन्नौज में सरकारी स्कूल में टीचर हैं। घर में दो बेटियां तुलिका, गीतिका और बेटा रुशांक उर्फ तारुष (7)) भी साथ रहते थे। तुलिका एक कॉनवेंट स्कूल में 10वीं की छात्रा है जबकि तारुष अशोक नगर स्थित किड्स प्री स्कूल में सेकेंड क्लॉस में पढ़ता था। तुलिका के मुताबिक तारुष पापा का प्यारा था। रात में वह उन्हीं के साथ सोता था। घर में कभी कभी नानी सुमन भी रहने के लिए आती थीं। फ्राईडे को भ्ाी नानी घर में थीं।

अपने हाथों से कंबल ओढ़ाया

तारुष की मां सारिका के मुताबिक फ्राईडे रात को तारुष को पहले बाहर के कमरे में पड़े सोफे में सुलाया गया था। उसे सर्दी न लगे इसलिए पति अलंकार कंबल भी ओढ़ाने आए थे। वहीं बेटी तुलिका के मुताबिक जनवरी में उसके एग्जाम्स हैं इसलिए वह देर रात तक पढ़ रही थी। रात 10.30 बजे जब पापा भइया को सोफे पर लिटाने आए तो उनका व्यवहार काफी अजीब था। वह मुझे बार बार गिलास में रखा दूध पीने के लिए कह रहे थे, लेकिन मैंने मना कर दिया। इसके बाद अलंकार तारुष को अंदर के कमरे में सुलाने के लिए ले गया।

मारने के बाद पत्‍‌नी को जगाया

बेटी के मुताबिक, सुबह 4.30 बजे के करीब मां की चीख सुन कर वह उठी। वहीं सारिका का कहना है कि तड़के अलंकार ने ही उसे उठाया और दिखाया कि देखो क्या हो गया। बेटे को मरा देख उसकी चीख निकल गई। तारुष की हत्या गला घोंट कर हुई या तकिया से उसका मुंह बंद कर दम घोंटा गया। वहीं शाम को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंटकर बच्चे की हत्या किए जाने की पुष्टि हुई। बच्चे के पेट में खाना भी मिला। वहीं बेटे की हत्या के बाद पूरे घर में कोहराम मच गया। वहीं अपने किए के बाद अलंकार खुद ही सीसामऊ थाने पहुंच गया। वहीं एसपी पश्चिम डॉ.अनिल कुमार ने जानकारी दी कि मां ने फोन कर पुलिस को सूचना दी थी। जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया।

पापा को था मौत का डर

लॉकडाउन में काम बंद हो जाने से अलंकार खाली थे। उन्होंने कई लोगों से काम के लिए मदद मांगी लेकिन कुछ काम नहीं मिला। बेटी तुलिका के मुताबिक उनके पिता कुछ महीनों से डिप्रेशन और तनाव में रहते थे। कई बार वह यह भी कहते थे कि सुसाइड कर लेंगे। वह ब्लड प्रेशर की दवा भी खाते थे और डॉक्टर को भी दिखा रहे थे, लेकिन इधर काफी दिनों से उन्होंने डॉक्टर के पास जाना छोड़ दिया था। उन्हें डर था कि कोई उन्हें मार डालेगा। उन्हें अक्सर कुछ लोग दिखाई पड़ते थे। हालांकि उनका किसी से कोई झगड़ा नहीं हुआ।

ेकिन बेटा ही क्यों।

अलंकार ने अपने सबसे लाडले बेटे को ही क्यों मार डाला यह सवाल अभी भी बरकरार है। अलंकार तनाव में था। उसमें सुसाइडल टेंडेंसी होने की बात घर वालों ने बताई है, लेकिन खुद की बजाय अपने सबसे लाडले की ही जान का दुश्मन वह एक पल में आखिर कैसे बन गया। इसका जवाब अभी न तो पुलिस के पास है और न खुद उस परिवार के पास जिसने अपना 7 साल का बेटा खो दिया।

नींद की गोली डाल कर दिया था दूध

बेटी और पत्‍‌नी दोनों का की कहना है कि रात को सोने से पहले पिता ने उन्हें सभी को दूध पिलाने की कोशिश की थी, लेकिन उस दूध में नींद की गोलियां डाले जाने की भी बात पता चली है। हांलाकि बच्चे की मां सरिता ने अपनी तहरीर में लिखा है कि आरोपी पति ने रात में ही सभी को दूध में नींद की गोलियां मिलाकर पिलाया था। इसके बाद सुबह तड़के बेटे को मार डाला। वहीं बेटी का कहना है कि उसे रात में पिता का व्यवहार अजीब लगा था इसलिए उसने दूध नहीं पिया था।

वर्जन-

बच्चे की हत्या के आरोप में पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है। बच्चे की मां की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज की जा रही है। जांच में पिता के तनाव और डिप्रेशन में होने की बात भी पता चली है।

- डॉ। अनिल कुमार, एसपी पश्चिम

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सीवियर साइकोसिस तो नहीं

वहीं डिप्रेशन में क्या कोई शख्स अपने किसी चहेते को मार भी सकता है इसे लेकर जब वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ.गणेश शंकर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कुछ मानसिक अवस्थाएं ऐसी होती हैं जिसमें कई बार कोई शख्स ऐसा कदम भी उठा लेता है। लेकिन यह सब पेशेंट को एग्जामिन करके की जाना जा सकता है। इसके अलावा सीवियर साइकोसिस के पेशेंट्स में कई बार ऐसा होता है कि ऐसे लोगों को कुछ आवाजें सुनाई देती हैं। कोई दिखाई देता है। इस तरह का भ्रम होता है। ऐस में उसमें इनसिक्योरिटी की फीलिंग बढ़ती है। जिसमें वह कई बार खतरनाक कदम भी उठा लेता है।