कानपुर (ब्यूरो)। जीटी रोड स्थित रक्षा मंत्रालय का संस्थान डीजीक्यूए(गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय) में हुए क्लर्क भर्ती घोटाला में फंसे पांच कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। आरोपी केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, इलाहाबाद से मिले स्टे की अवधि खत्म होने के बाद भी तीन साल से अफसरों को गुमराह कर वेतन ले रहे थे।

आरटीआई से हुआ था खुलासा

शिकायतकर्ता स्नेहा गुप्ता की ओर से आरटीआई में मांगी गई जानकारी में पता चला कि पांच क्लर्क आरती गुप्ता, उत्कर्ष श्रीवास्तव, प्रतिभा द्विवेदी, अर्पित ङ्क्षसह, रविकांत पांडेय के पास 28 जुलाई 2021 तक ही स्टे वैध था। ये प्रकरण संज्ञान में आने के बाद सीनियर ऑफिसर्स हरकत में आए और उन्होंने पांचों आरोपी क्लर्क को बर्खास्त कर दिया। डीजीक्यूए के वरिष्ठ अधिकारी ने बर्खास्त किए जाने की कार्रवाई की पुष्टि की है।

2016 का है मामला

रक्षा प्रतिष्ठान डीजीक्यूए में क्लर्क की नियुक्ति का मामला वर्ष 2016 का है। भर्ती घोटाले में रुपये का लेनदेन हुआ था। सीबीआई के एएसपी राम ङ्क्षसह ने 22 दिसंबर 2020 को परीक्षा आफीसर्स बोर्ड के चेयरमैन सहित छह लोगों और अज्ञात के खिलाफ साजिश रचने, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज कराया था। दिसंबर 2021 में सीबीआई के जांच अधिकारी ने क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी। इस पर वर्ष 2023 में एंटी करप्शन सीबीआई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए दोबारा जांच शुरू करा दी थी। भर्ती परीक्षा में अफसरों की मिलीभगत से धांधली किया जाना उजागर हुआ था। असफल अभ्यर्थी को नंबर बढ़ाकर पास किया गया था।

ये थी शिकायत

क्लर्कों की नियुक्ति के बाद महिला अभ्यर्थी स्नेहा गुप्ता ने रक्षा मंत्रालय व प्रधानमंत्री कार्यालय में नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत की थी। उसका कहना था कि उसने भी नौकरी के लिए लिखित परीक्षा दी थी, जिसमें उसके अंक अच्छे थे। कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका में छेड़छाड़ करके अंक बढ़ाए गए। उसकी शिकायत पर रक्षा मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए थे। इसी पर संज्ञान लेकर अब बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई है। डीजीक्यूए के वरिष्ठ अधिकारी इस प्रकरण में सीधे तौर पर बोलने से बचते रहे।