कानपुर (ब्यूरो)। हमारे वेद, पुराण, शास्त्रों और धर्मग्रंथों के जरिए निकले इंडियन नॉलेज सिस्टम (आईकेएस) की डिमांड केवल देश ही नहीं बल्कि फॉरेन में भी है। आईकेएस से निकले ज्ञान को फॉरेनर भी सीखना चाहते हैैं। रूस से नोवोब्रिट्स्की आर्टेम ने सीएसजेएमयू आकर स्टडी स्टार्ट कर दी है। यह बीते तीन महीने से सीएसजेएमयू कैंपस के अलग अलग डिपार्टमेंट्स में आईकेएस के जरिए ह्यूमन वैल्यू, मैनेजमेंट और प्रोफेशनल एथिक्स को सीख रहे हैैं। इनको रूस गवर्नमेंट ने सीएसजेएमयू में स्टडी करने के लिए 13376 यूरो (लगभग 10 लाख रुपए) की स्कालरशिप दी है। छह महीने की पढ़ाई कंपलीट होने के बाद सीएसजेएमयू की ओर से इनको सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। यह पहला मौका है जब किसी फॉरेनर ने कैंपस में आकर आईकेएस की पढ़ाई की है। बताते चलें कि सीएसजेएमयू कैंपस के अधिकतर कोर्सेज में आईकेएस की एक यूनिट स्टूडेंट्स को पढ़ाई जा रही है। इसमें पास होना भी कंपलसरी है।

मास्को यूनिवर्सिटी के हैैं स्टूडेंट
नोवोब्रिट्स्की, रूसी संघ (मास्को) सरकार के तहत मास्को फाइनेंशियल यूनिवर्सिटी मेें सोशल साइंसेज एंड मॉस कम्यूनिकेशन फैकल्टी में पॉलिटिकल साइंस सेकेंड ईयर के स्टूडेंट हैैं। इनकी साइंस में अत्यधिक रुचि है। इनके पास अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में 6 वैज्ञानिक प्रकाशन हैं। यह वर्तमान में ये रूस की युवा संसद की विशेषज्ञ परिषद के सदस्य भी है। बातचीत में बताया कि उन्हें दुनिया का पता लगाना, लोगों के जीवन को बेहतर बनाना पसंद है। साथ ही, वो भारत और रूस के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहते हंै।


सोशल साइंसेज और मैनेजमेंट डिपार्टमेंट की स्टडी
नोवोब्रिट्स्की ने अभी तक कैंपस में सोशल साइंसेज और मैनेजमेंट डिपार्टमेंट में स्टडी की है। स्टडी के दौरान इन्होंने आईकेएस के जरिए ह्यूमन वैल्यू और प्रोफेशनल एथिक्स को समझा है। यह जान रहे हैैं कि पुराने समय में इंडिया को जब सोने की चिडिय़ा कहा जाता था तब यहां ऐसा क्या था, जिसने देश को विश्वगुरु बनाया था। इन्होंने अभी तक लाइब्रेरी मेें जाकर गीता को भी पढ़ा है। इसके अलावा यह इंडिया के कल्चर और सिविलाइजेशन को भी समझ रहे हैैं। इनका मानना है कि यह आईकेएस को यहां से सीखकर रुस मेें जाकर लोगों को बताएंगे और सिखाएंगे।

कई अन्य देशों से आए प्रपोजल
आईकेएस को पढऩे और समझने के लिए रुस से तो नोवोब्रिट्स्की आ गए लेकिन यह बात यहीं तक थमी नहीं है। कई अन्य देशों से भी आईकेएस को पढऩे और समझने के लिए सीएसजेएमयू को प्रपोजल दिया है। आने वाले दिनों में कई देशों के साथ एमओयू होने की संभावना है।