कानपुर (ब्यूरो) रेडीमेड बाजार बेकनगंज निवासी मोहम्मद आकिब ने बताया कि 3 जून को वह दुकान से छुट्टी लेकर मां की दवा लेने के लिए मूलगंज गया था। दोपहर लगभग 2 बजे दवा लेकर लौट रहा था तब तक नई सड़क पर हिंसा शुरू हो चुकी थी। अपनी जान बचाने के लिए पेंचबाग की गलियों में घुस गया। वहीं पर पुलिस ने चिल्लाया, पकड़ो-पकड़ो, यह भी शामिल था। ये कहकर पीछे से आकर उसे पकड़ लिया। पीटने के बाद 4 जून को को उसे जेल भेज दिया।

बात करने थाने बुलाया था
इसी तरह छोटे मियां हाता निवासी सरताज और सरफराज दोनों चचेरे भाई हंै। दोनों हाता में कपड़े के एक कारखाने में दर्जी हैं। जेल से बाहर आने के बाद भी दोनों दहशत में थे। उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि घटना वाले दिन वे कारखाने से निकले और घर चले गए थे। 6 जून को राहुल कुमार नाम के सिपाही का फोन आया। उसने कहा कि बेकनगंज थाने आ जाओ। दोनों थाने पहुंचे तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

प्लीज, मुझे छोड़ दीजिए
चौथा निर्दोष मोहम्मद नासिर ने इस प्रकरण में कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं था। उसने इतना ही कहा कि मुझे छोड़ दीजिए। हाथ जोड़े और तेजी से चलता हुआ बाइक पर बैठकर निकल गया। नासिर जब जेल से बाहर आया तो उसके पैर कांप रहे थे। उसका चेहरा साफ बता रहा था कि वह किस तरह से पुलिसिया कार्रवाई को लेकर भयभीत है।

सीडीआर ने भी की मदद
आकिब मूलगंज में एक दवाखाने से दवा लेकर आया था उस दौरान उसके बाहर लगे सीसी टीवी कैमरे में वह दोपहर एक बजे कैद हुआ। पेंचबाग की गलियों में घुसने से पहले वह पांच कैमरों में अलग अलग समय पर कैद हुआ जिसमें वह हिंसा करते कहीं नहीं दिखा। सरफराज और सरताज का घर अगल बगल है। घटना शुरू होने के बाद वह लोग दोपहर 1:30 बजे कारखाने से निकले। उस दौरान पास में एक कपड़े की दुकान में लगे सीसी टीवी में वह कैद हुए। यही नहीं घर में घुसने तक दोनों दो और सीसी टीवी में कैद हुए और शाम को सात बजे वह घर के पास लगे सीसी टीवी कैमरे में घर से निकलते हुए कैद हुए।