- एटीएस को कानपुर के 13 बैंक खाते मिले, जिनसे की जा रही थी टेरर फंडिंग

- बीते छह महीने में 16 लाख रुपये के ट्रांजेक्शन होने की बात आई सामने

KANPUR : कानपुर का आतंकी कनेक्शन खुल कर सामने आने के बाद एटीएस की टीम लगातार इस आतंकी संगठन से जुड़े लोगों की जानकारी करने में जुटी है। इसी दौरान इस संगठन को खड़ा करने के लिए फाइनेंस करने की जो जानकारी मिली उससे एटीएस के कान खड़े हो गए। एटीएस को मिनहाज और मसीरुद्दीन के बैंक खाते खंगालने के दौरान कानपुर के निजी बैंकों में अलग-अलग क्फ् खातों की जानकारी हुई है। जिनसे टेरर फंडिंग के लिए बीते छह महीने में क्म् लाख रुपये लेन देन की बात सामने आई है। तीन बैंक खाते चमनगंज निवासी उस हवाला कारोबारी के हैं, जिसकी तलाश में बीते ख्ब् घंटे से टीम लगी है। उसके मोबाइल की लास्ट लोकेशन संडे देर शाम की राजस्थान के जयपुर में मिली है।

जाजमऊ के फ् कारोबारियों के खाते भी

जाजमऊ के तीन कारोबारियों के खाते भी सामने आए हैं। पूछताछ में मिनहाज ने बताया कि जाजमऊ में नमाज पढ़ने के दौरान इनसे मुलाकात हुई थी। रुपये क्या कहकर लिए गए? इसकी जानकारी मिनहाज और मसीरुद्दीन नहीं दे सके। मंडे को एटीएस ने इन क्फ् बैंक खातों की डिटेल निकलवाई है। जिससे ये जानकारी की जा रही है कि इन अकाउंट होल्डर्स का संपर्क कहीं पड़ोसी मुल्क से तो नहीं है। इन अकाउंट होल्डर्स से भी टीम जल्द ही पूछताछ करेगी।

कानपुर में कारोबार करने

एटीएस ने जाजमऊ से जिन दो लोगों को हिरासत में लिया है, उनके कानपुूर के इंट्रोगेशन रूम में पूछताछ की। इन लोगों ने मिनहाज और मसीरुद्दीन से संपर्क होने से साफ इनकार कर दिया। इन लोगों ने टीम को बताया कि दोनों साथ में कारोबार करने की बात कर रहे थे, लिहाजा उन्हें पूरी जानकारी दी गई। एटीएस को इन कारोबारियों के साथ पकड़े गए दोनों आतंकियों की तस्वीरें भी मिली हैं। टीम ने इन लोगों को शहर न छोड़कर जाने की बात कही है।

आसपास जिलों में जाता था

कानपुर आने के बाद मिनहाज कभी फतेहपुर तो कभी औरैया और कभी अलीगढ़ जाता था। जाने के लिए जाजमऊ में रहने वाले स्लीपिंग माड्यूल्स इनके लिए गाड़ी मुूहैया कराते थे। लालबंगला स्थित उस ट्रैवेल्स की जानकारी भी टीम को लग गई है। इसी ट्रैवेल्स का ड्राइवर अक्सर गाड़ी लेकर साथ जाता था। टीम ने इस ट्रैवेल्स मालिक को बुलाकर पूछताछ शुरू की थी कि शहर के एक कद्दावर नेता का फोन आ गया। हालांकि टीम की माने तो ट्रैवेल्स वाले का कोई लिंक समझ में नहीं आया। ड्राइवर ने टीम को बताया कि जर्नी के दौरान मिनहाज चुप रहता था। मोबाइल पर भी बहुत कम बात करता था। हां कभी कभी फोन पर वह बहुत बड़ा काम करने की बात करता था। इससे यह साफ है कि इस संगठन के लोग आसपास के जिलों में भी मौजूद हैं, जो इन आतंकियों के लिए रहने, खाने और आने जाने के लिए वाहन का इंतजाम करते हैं।