- दुर्दात विकास दुबे को उज्जैन से बिना हथकड़ी पहनाए ला रही थी एसटीएफ, बारा टोल के बाद बदली कहानी

- मीडिया के सवालों को जवाब देने से बचते रहे पुलिस अफसर, सबका था एक ही जवाब, प्रेस कांफ्रेंस में बताएंगे

KANPUR: उज्जैन से विकास दुबे को ट्रांजिट रिमांड पर ला रही एसटीएफ की कहानी कानपुर में एंट्री के साथ पूरी तरह से बदल गई। विकास को लेकर आ रहे एसटीएफ की चार गाडि़यों के काफिले ने सुबह 6.24 बजे बारा टोल क्रॉस किया। यहां पहले भी भारी पुलिस बल तैनात था। जिसने काफिले के साथ चल रही दूसरी गाडि़यों को रोक लिया। इस दौरान तेजी से चारों गाडि़यां कानपुर की तरफ बढ़ी और रनियां होते हुए सचेंडी थाने से ठीक पहले उस जगह पर पहुंच गई जहां एसटीएफ के मुताबिक हादसा हुआ और फिर विकास का एनकाउंटर।

गाय भैंस का झुंड कहां से आया

सुबह 6.24 बजे बारा टोल पार करने के बाद एसटीएफ की गाडि़यां कानपुर की तरफ बढ़ी इस बीच एक बिस्कुट फैक्ट्री के पास हाईवे पर ही टीयूवी कार पलट गई। जिसमें विकास पुलिसकर्मियों के साथ था, लेकिन हाईवे पर गाय भैंस का झुंड आया कहां से, यह भी बड़ा सवाल है क्योंकि हाईवे के दोनों तरफ सर्विल लेन को अलग करने वाली रोड पर दोनों तरफ लोहे के तार लगे हैं। कार बेकाबू होकर पलटी तो हाईवे पर ब्रेक लगाने और टायर घिसने के निशान कैसे नहीं पड़े।

विकास को छोड़ बाकी सब घायल

एसटीएफ की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक टीयूवी कार पलटने से उसमें बैठे इंस्पेक्टर आरके पचौरी समेत 5 पुलिस कर्मी घायल हो गए। इसी का फायदा उठा कर विकास ने आरके पचौरी की सर्विस पिस्टल छीनी और ड्राइवर साइड की पॉवर विंडो को नीचे करके कार से फांद गया। एसटीएफ के मुताबिक इसके बाद एसटीएफ के डीएसपी और सिपाही वहां पहुंचे जिन पर विकास ने फायर किया। वहीं सवाल यह भी खड़ा होता है। जिस कार में बाकी पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। उसमें बैठे विकास को एक भी चोट नहीं लगी। ऐसा उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी तस्दीक करती है।

हादसे में इन्हें आई चोट

- विवेचक इंस्पेक्टर आरके पचौरी

- दरोगा पंकज सिंह और अनूप सिंह

- कांस्टेबल सत्यवीर और प्रदीप

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फायरिंग में इनके घायल होने का दावा

- हेड कांस्टेबल एसटीएफ शिवेंद्र सिंह सेंगर, कांस्टेबल विमल यादव

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