अस्सी के दशक से ही इन इलाक़ों में समलैंगिक पुरुषों के रक्तदान करने पर पाबंदी है। अब इस साल के आख़िर तक ये प्रतिबंध हटा लिया जाएगा। पर अगर किसी पुरुष ने पिछले 12 महीनों में किसी अन्य पुरुष के साथ यौन संबंध बनाए हैं तो वो अब भी ख़ून नहीं दे सकेगा।

समलैंगिक पुरुषों के ख़ून देने पर पाबंदी एचआईवी संक्रमण के ख़तरे को देखते हुए लगाई गई थी। लेकिन समलैंगिकों के अधिकारों के   लिए काम करने वाले लोग ये कहते आए हैं कि इस प्रतिबंध का अब कोई वैज्ञानिक औचित्य नहीं रहा गया है।

प्रयोगशालाओं में तकनीक अब पहले से कहीं बेहतर है और एचआईवी संक्रमित ख़ून के नहीं पता चल पाने के आसार 40 लाख में से एक दफ़ा है। इसीलिए इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड में जल्द ही समलैंगिक पुरुष रक्तदान कर सकेंगे पर इसके साथ शर्त जुड़ी हुई है। ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन, जापान और अर्जेंटीना में भी ऐसा ही होता है।

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