-पुलिस और पब्लिक दोनों के लिए उपयोगी साबित होगी वेब बेस्ड क्राइम मैपिंग एप

-एक क्लिक करते ही कम्प्यूटर स्क्रीन पर होगा क्राइम एरियाज और क्रिमिनल का रिकॉर्ड

- पब्लिक की सहूलियत के लिए एक अप्रैल से शुरू हो रही है यह सुविधा

KANPUR: शहर समेत यूपी में किस एरिया में अपराधी सक्रिय रहते हैं। अपराधी किस समय वारदात करते हैं। रोड में किस टाइम निकलना अनसेफ है। अब इस तरह के सवालों का जवाब जानने के लिए आपको किसी पुलिस अफसर की जी हुजुरी करने की जरूरत नहीं है। बल्कि आपको 'वेब बेस्ड क्राइम मैपिंग' पर एक क्लिक करने की जरूरत है। इससे शहर समेत यूपी के क्राइम और क्रिमिनल का रिकॉर्ड आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर आ जाएगा। पब्लिक के लिए यह सुविधा सरकार एक अप्रैल से शुरू कर रही है। जिसकी शुरुआत मंगलवार को आईजी पीएसी आशुतोष पाण्डेय ने रागेंद्र स्वरूप आडिटोरियम में वर्कशॉप आयोजन के साथ कर दी। इससे आप भी यह आसानी से जान सकेंगे कि कौन सा एरिया आपके लिए सेफ है और कौन सा अनसेफ है?

क्या है वेब बेस्ड क्राइम मैपिंग सिस्टम?

अपराध और अपराधियों की ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए आईजी आशुतोष पाण्डेय ने यह सिस्टम शुरू किया था। इसको डीजीपी ने पूरे प्रदेश में शुरू करने का ऐलान किया है और आईजी आशुतोष पांडेय पर इसकी जिम्मेदारी दी है कि इसको यूपी में अच्छी तरह लागू किया जाए। इससे हर थानाक्षेत्र के क्राइम के डाटा को यूपी के मैप में फीड किया गया है। इसमें वारदात के टाइम से लेकर किस तरह का अपराध हुआ है। यह फीड किया गया है। आईजी आशुतोष पाण्डेय ने बताया कि यह सिस्टम पुलिस अफसरों की सुविधा के लिए चालू किया गया था, ताकि पुलिस अफसर एक क्लिक में जान सकें कि कौन से थानाक्षेत्र में कौन सा अपराधी एक्टिव है और वो किस तरह के अपराध कर रहा है। इससे अफसर आसानी से क्राइम स्पॉट चिन्हित कर फोर्स को वहां लगा सकते हैं। अब यह सुविधा पब्लिक के लिए शुरू की जा रही है। जिससे वे भी जान सकेंगे कि उन्हें कहां पर अलर्ट रहना है और कहां पर वे सुरक्षित है।

इंडिया में पहली बार यह सुविधा

आईजी आशुतोष पाण्डेय के मुताबिक पुलिस और पब्लिक की सुविधा के लिए विदेशों में यह व्यवस्था लागू है। इंडिया में पहली बार यह व्यवस्था शुरू हो रही है। उन्होंने बताया कि एक अप्रैल से यह सिस्टम पुलिस और पब्लिक के लिए शुरू हो जाएगा। जिससे पब्लिक को एक क्लिक में अपने एरिया के बारे में सारी जानकारी हासिल हो जाएगी।

जल्द ही शुरू होगा एप

इस सुविधा को और आसान बनाने के लिए एप भी शुरू किया जाएगा। हालांकि इसमें कुछ समय लगेगा। आईजी आशुतोष पाण्डेय ने बताया कि अब ज्यादातर लोगों के पास स्मार्टफोन है। इसलिए इस सुविधा को और आसान बनाने के लिए एप भी शुरु करने में भी काम चल रहा है। इसके बाद आप इस एप को मोबाइल में लोड कर सुविधा का फायदा उठा सकेंगे।

पुलिस-पब्लिक दोनों को राहत

इस सिस्टम से आसानी से पता चल सकता है कि कौन से एरिया में कौन से अपराध का ट्रेंड है। आईजी ने कानपुर का उदाहरण देते हुए बताया कि यहां पर पर्स और चेन स्नेचिंग का अपराध सबसे ज्यादा होता है। साथ ही इससे यह भी पता चल सकता है कि कानपुर में कौन-कौन से एरिया में सबसे ज्यादा लूट की वारदात होती है। इसकी मदद से उन एरिया में पुलिस को मुस्तैद कर अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सकता है। इससे पुलिस को तो मदद मिलेगा। साथ ही पब्लिक भी इससे अवेयर रहेगी कि उन्हें कहां अलर्ट रहना है।

ये फायदे मिलेंगे

-पुलिस अफसर ट्रांसफर होने पर जिस जगह पर चार्ज संभालेंगे। उनको उस एरिया का अपराध और अपराधियों को जानने के लिए फाइलें नहीं खंगालना पड़ेगा। वे एक क्लिक में सारी जानकारी हासिल कर लेंगे

-क्राइम स्पॉट चिंहित हो सकते हैं

-अपराधियों की कुंडली पता कर सकते हैं

-अपराध किस टाइम पर और कहां पर होते हैं

-अपराधी वारदात करने के बाद किस रास्ते से भागते हैं

-अपराधी कौन-कौन से एरिया में वारदात करते हैं

-पब्लिक को भी पूरी जानकारी मिलेगी