कानपुर (ब्यूरो)। पुलिस या किसी भी अन्य सरकारी एजेंसी को कितना भी स्वतंत्र बताने का दावा किया जाए लेकिन आंकड़े हकीकत बयां कर रही देते हैं। आम दिनों मेें कमिश्नरेट पुलिस किस तरह काम करती है और आचार संहिता के बाद जब वाकई वो पूरी तरह स्वतंत्र होती है तो कैसे काम करती है, ये पूरे शहर के सामने है। 16 मार्च को आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हुई थी यानि सारे अधिकार चुनाव आयोग के पास। उसके बाद से सिर्फ 23 दिन में पुलिस ने जिस तरह क्रिमिनल्स पर अटैक किया है उतना तो पूरे साल में भी नही कर पाई। ताबड़तोड़ हाफ एनकाउंटर से लेकर मादक पदार्थों और असलहों की बरामदगी भी की है। पुलिस जिस तरह से एक्शन मोड में है, उससे क्रिमिनल्स घबराए हुए हैं और अंडरग्राउंड हो गए हैं। कुछ जमानत तुड़वाकर जेल चले गए हैं।

प्लानिंग कर कार्रवाई से सफलता
रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों की मानें तो इलेक्शन के दौरान पुलिस पर किसी तरह का पॉलिटिकल प्रेशर नहीं रहता है, लिहाजा जिलों में तैनात पुलिस अधिकारी मातहतों को खुलकर काम करने का मौका देते हैैं। पूरी प्लानिंग कर कार्रवाई शुरू की जाती है। एफएसटी और एसएसटी के जो गुडवर्क होते हैैं वे भी इलेक्शन के दौरान होने वाली कार्रवाई में एड किए जाते हैैं। साथ ही इलेक्शन टाइम में हर किसी को टारगेट दिया जाता है। अब अगर कानपुर की बात की जाए तो इलेक्शन चौथे चरण में है। यानि पुलिस के पास अपना ओरिजनल टैलेंट दिखाने और कार्रवाई का लंबा समय है।

पुलिस क्यों करती है कार्रवाई
सवाल ये उठता है कि पुलिस इलेक्शन टाइम में इतनी सख्ती क्यों करती है? शहर में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इलेक्शन के दौरान अराजक तत्व डिस्टर्ब करते हैैं इसलिए पुराने मामलों में वांछित इनामिया, थाने इनफार्मर, कुछ इलाके के विवादित लोग और थाने के रजिस्टर नंबर आठ के पन्ने पलट कर लिस्ट बनाई जाती है और शुरू होती है ताबड़तोड़ कार्रवाई।

गिरफ्तारी या हॉफ एनकाउंटर
हालांकि जिस तरह से पुलिस ने चंद दिनों में एक दर्जन से ज्यादा बदमाशों का हाफ एनकाउंट किया है उससे पुलिस कार्रवाई पर सवाल तो उठने लगे हैैं। बीते दिनों मूलगंज की रोटी वाली गली में प्रतिबंधित मांस पकड़ा गया। बजरंग दल ने हंगामा किया उसके बाद थाने में केस दर्ज किया गया। चंद घंटों में 25 हजार का ईनाम भी हो गया। रात ही डीसीपी ईस्ट की टीम ने उसका एनकाउंटर कर दिया। सवाल ये उठता है कि आखिर 5 हजार से शुरू होने वाला ईनाम चंद घंटों में 25 हजार तक कैसे पहुंच गया। एक दूसरे मामले में मार्च 2024 में पनकी में केस दर्ज किया गया। उसके बाद कब ईनाम हो गया, कब वांछित हो गए, ये पता ही नहीं चला।

ट्रैफिक पुलिस भी एक्शन में
शीशों पर ब्लैक फिल्म हो या बिना हेलमेट के गाड़ी चलाने का मामला। बीते तीन दिनों में हुए चालानों की संख्या रिकॉर्ड तोड़ रही है। ई रिक्शा का चालान के साथ सीज करने की कार्रवाई हो रही है। स्कूली वैन सीजिंग, रॉन्ग साइड से आने वाले वाहनों का भी बड़ी संख्या में चालान किया गया। वहीं नो पॉर्किंग और नो इंट्री में भी बड़ी संख्या में कार्रवाई की गई। पहली बार इलेक्शन मोड में आई ट्रैफिक पुलिस ने चौतरफा कार्रवाई कर लोगों को नियम से वाहन चलाने का बीड़ा उठाया। अगर ऐसा ही पूरे साल होता रहता तो न जाने कितने हादसों को रोका जा सकता था और न जाने कितने परिवारों में दु:ख के बादल छंट जाते