-ऑक्सीजन से जूझ रहे मरीजों की की खबर मिलते ही डॉ। मिली और डॉ। जूही ने भेजी मदद

-10 बाईपेप मशीन दान कीं, शुक्रवार को 7 जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचीं, मिली राहत

KANPUR: ऑक्सीजन से जूझ रहे कोरोना संक्रमितों पर क्या बीत रही है, इसकी खबर अमेरिका में प्रैक्टिस करने वाली कानपुर मूल की डॉक्टर बहनों के पास पहुंची तो मदद पहुंचाने में देर नहीं की। उन्होंने 10 बाईपेप मशीनें (मिनी वेंटीलेटरर) की हैं। फ्राइडे को 7 मशीनें जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को सौंपे गए। जिससे ऑक्सीजन की किल्लत झेल रहे मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

'देसी फिजीशियन मॉम'

किदवई नगर निवासी डॉ। आईबी जैन की बेटियां डॉ। मिली जैन फिजीशियन और डॉ। जूही जैन डायबिटिक एक्सप‌र्क्ट हैं। दोनों यूएसए और कनाडा की 'देसी फिजीशियन मॉम' संस्था से जुड़ी हुई हैं। इसमें दक्षिण एशियाई मूल की करीब 7 हजार महिला डॉक्टर जुड़ी हुई हैं। उन्हें कानपुर में कोविड की स्थिति के बारे में पता चला कि लोग बिना ऑक्सीजन मर रहे हैं। ऐसे में दोनों बहनों ने देश में ही बनी 10 बाईपेप मशीनों का ऑर्डर कर दिया। 7 मशीन मेडिकल कॉलेज को मिल गई हैं। बाकी 3 जल्द ही आ जाएंगी।

दोस्त ने बताई स्थिति

डॉ। प्रग्नेश कुमार और डॉ। जूही जैन कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज मनिपाल के पासआउट हैं। वहीं पर मिली जैन दोनों की सीनियर रहीं। डॉ। आईपी जैन कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमित हो गए। उनका हैलट के कोविड अस्पताल में इलाज चला। इस दौरान डॉ। प्रग्नेश का डॉक्टर बहनों से संपर्क हुआ और दोनों ने मदद का आश्वासन दिया था। एक बाईपेप मशीन करीब 1 से 1.50 लाख रुपए के बीच आती है। फ्राइडे को 'देसी फिजिशियन मॉम्स' संस्था की तरफ से डॉ। प्रग्नेश कुमार की मौजूदगी में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। आरबी कमल को सभी बाईपेप मशीनें सौंपी गई। इस मौके पर प्रमुख अधीक्षक डॉ। ज्योति सक्सेना और अधीक्षक डॉ। रीता गुप्ता, प्रोफेसर प्रेम सिंह भी मौजूद रहे। देसी फिजिशियन मॉम्स की फाउंडर डॉ। विद्या आर बंसल भी रहीं।

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3 हजार ब्लड कलेक्शन ट्यूब दान की

बढ़ते कोरोना पेशेंट के कारण गवर्नमेंट हॉस्पिटल में संसाधनों की कमी को देखते हुए केशवपुरम निवासी सुमन उत्तम और बर्रा-4 निवासी शशि तिवारी ने फ्राइडे को 3 हजार ब्लड कलेक्शन ट्यूब हैलट हॉस्पिटल में दान की। नोडल अधिकारी डॉ। आलोक वर्मा को दान दी गई ट्यूब सौंपी गई। ये कलेक्शन ट्यूब पेशेंट के ब्लड की जांच में यूज होगी। इसकी लगातार किल्लत बनी हुई थी।