कानपुर (ब्यूरो) चौबेपुर निवासी मोहन अवस्थी, विकास दुबे के साथी अमर दुबे का करीबी था। बिकरू कांड के बाद विकास अपने गुर्गे प्रभात और अमर दुबे के साथ फरार हुआ था। इसमें प्रभात ने शिवली निवासी दोस्त विष्णु कश्यप को फोन करके शिवली नदी पुल के पास कार लेकर बुलाया था। विष्णु अपने दोस्त छोटू की स्विफ्ट कार लेकर कैलई रोड तिराहे पहुंचा। वहां से सभी लोग विष्णु के बहनोई रामजी के घर रसूलाबाद तुलसीपुर गए थे। तीन जुलाई 2020 की दोपहर अमर को रामजी करियाझाला में संजय परिहार की बगिया ले गया। शाम को विकास दुबे और प्रभात को भी वहीं पहुंचाया था। यहां अभिनव तिवारी, अर्पित मिश्रा उर्फ पुत्तू मिश्रा, विक्की यादव, अमन शुक्ला के साथ मोहन अवस्थी भी मौजूद था।

5 जुलाई को छोड़ा था
पांच जुलाई 2020 के बाद तीनों बदमाशों को शुभम अपनी कार से औरैया छोड़ आया था। यहां से तीनों फरीदाबाद पहुंचे थे। बाद में तीनों को एनकाउंटर में मार दिया गया था। असलहों का जखीरा रामजी, अर्पित और विष्णु के पास था। मामला ठंडा होने पर आठ माह बाद रामजी ने असलहे और कारतूस बेचने के प्रयास शुरू किए थे। जनवरी में संजय, अमन और अभिनव ने रामजी से संपर्क किया था। संजय ने एक सेमी ऑटोमेटिक रायफल व एक डबल बैरल बंदूक का सौदा इटावा-भिंड रोड स्थित पेट्रोल पंप मालिक सत्यवीर सिंह यादव के रिश्तेदार मनीष यादव से किया था।

7 को किया था गिरफ्तार
एक मार्च 2021 को एसटीएफ प्रभारी शैलेंद्र कुमार सिंह की टीम ने विकास दुबे और उसके गुुर्गों को शरण देने वालों और उसके हथियार खरीदने वाले सात लोगों को गिरफ्तार किया था। उनके पास सेे सेमी ऑटोमेटिक 30 स्प्रिंगफील्ड रायफल, कार्बाइन के साथ हथियारों और कारतूसों का जखीरा बरामद हुआ था। मामले मेें जरारी निवासी मोहन अवस्थी को नामजद आरोपी बनाया गया था, लेकिन वह फरार चल रहा था। पनकी पुलिस ने 31 अक्तूबर को उसे भाटिया तिराहे के पास से गिरफ्तार किया था। ट्रायल के दौरान उसको जमानत मिल गई थी। कोर्ट में तारीखों पर वह नहीं पहुंच रहा था।