कानपुर(ब्यूरो)। शहर में सुरेश मांझी का मामला कोई पहला नहीं है, ये अलग बात है कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल में मुकदमा नहीं दर्ज किया गया। कनपुरिया भाषा में कबूतरबाजी और आम भाषा में ह्यूमन ट्रैफिकिंग से पुराना नाता है। लोगों की गरीबी का फायदा उठाकर उन्हें अच्छी सैलरी का झांसा देकर शहर में ऐसे कई गैैंग एक्टिव हैैं। लगभग एक साल पहले कर्नलगंज थाने में दर्ज हुई ह्यूमन ट्रैफिकिंग की एफआईआर पर काम करते हुए कानपुर क्राइम ब्रांच ने ओमान से आधा दर्जन महिलाएं (कानपुर, उन्नाव और पंजाब) मुक्त कराई थीं। इन महिलाओं को नौकरी का झांसा देकर ओमान ले जाया गया था। ओमान से लौटी महिलाओं ने जब अपनी कहानी सुनाई तो सुनने वालों की आंखे नम हो गईं।

फिर एक्टिव हुई क्राइम ब्रांच
सुरेश मांझी का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर कानपुर क्राइम ब्रांच एक्टिव हो गई है। महिला समेत तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। इन तीन लोगों से बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन कानपुर से दिल्ली तक के रैकेट की जानकारी पुलिस को हो गई है। पूरी तरह से सुरक्षित प्लान बनाकर मजबूरों और लाचारों को भिखारी गैैंग ले जाता है और दिव्यांग बनाकर भीख मंगवाता है। सुरेश के पास से मिले नंबर भले ही बंद जा रहे हों लेकिन पुलिस कानपुर से दिल्ली तक के इस गैैंग के आस पास पहुंच चुकी है।

हर शहर में एजेंट सक्रिय
इस गैैंग के टारगेट पर घरों में काम करने वाली कम उम्र की मेड, गरीब घर की महिलाएं और जॉब तलाश रही युवतियां होती हैैं। विदेश में अच्छी सेलरी का विज्ञापन सोशल मीडिया और अखबारों में आता है। महिलाएं नौकरी की तलाश में एजेंट से संपर्क करती हैैं। इसके बाद एजेंट इन महिलाओं को सुनहरे भविष्य के सपने दिखा कर इनकी एजुकेशनल आईडी, किसी स्कूल से मार्कशीट बनवाकर बर्थ सार्टिफिकेट और आधार कार्ड बनवा लेते हैैं। जिससे पासपोर्ट बन जाता है। अब शुरू होता है मानव तस्करी के गैैंग का असली काम। विदेश में बैठे इनके एजेंट टूरिस्ट वीजा भेजते हैैं और इन महिलाओं को गल्फ कंट्रीज में ले जाया जाता है। जहां इनका पासपोर्ट और वीजा छीनने के बाद इनको बेच दिया जाता है। उसके बाद ये घरों में कैद होकर घरेलू काम के अलावा गृह स्वामी की मर्जी का हर काम करती हैैं।

गैैंग में महिलाएं भी शामिल
ऐसा नहीं है कि केवल विदेश भेजकर ही मानव तस्करी की जा रही है बल्कि यूपी से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों में भी मानव तस्करी की जा रही है। यूपी से महिलाओं और पुरुषों को काम दिलाने के झांसा देकर ले जाया जाता है, उसके बाद घर से कई प्रदेश दूर ले जाकर उन्हें गलीच धंधे में उतार दिया जाता है। ये काम बकायदा एजेंसी से किया जाता है। इन एजेंसियों को ऑफिस बड़े बड़े कॉम्पलेक्स में होते हैैं।

फर्जी पासपोर्ट मामले में जांच
कुछ महीने पहले ही कर्नलगंज थाने में फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले का मामला दर्ज हुआ था। जिसकी जांच क्राइम ब्रांच कर रही है। एक आरोपी भी गिरफ्तार किया गया था। पकड़ा गया आरोपी पहले किसी स्कूल से मार्कशीट, उसके बाद बर्थ सार्टिफिकेट, फिर आधार कार्ड और उसके बाद पासपोर्ट बनवाता था। पासपोर्ट बनवाने के बाद का काम गैैंग के दूसरे लोगों का था।