-दिल्ली, हरियाणा और आसपास से अपने घरों के लिए पैदल ही जा रहे हजारों लोग पहुंचे कानपुर, झकरकटी बस अड्डे पर जुटी भारी भीड़

- बोले, काम घंधा रहा नहीं, सारे पैसे भी खत्म हो गए, उधार कोई दे नहीं रहा है, पता नहीं ये सकंट कब तक चलेगा, कैसे पेट भरेंगे इतने दिन

-कोरोना के खतरे के चलते झकरकटी पहुंची मेडिकल टीम, भीड़ को देखते हुए नाकाफी साबित हो रहे हैं सभी इंतजाम, सोशल डिस्टेंसिंग भी टूट रही

- दूर दूर से पैदल चलते आ रहे सैकड़ों परेशान लोगों की मदद को बढ़े हाथ, पुलिस और समाजेसवियों से लेकर आम लोग भी बांट रहे खाने-पानी

KANPUR: हरियाणा के सोनीपत से तीन दिन पहले कौशांबी जाने के लिए निकले रामू संडे दोपहर को कानपुर में थे। दो दिन तक भूखे-प्यासे पैदल चलने के बाद उन्हें अलीगढ़ से बिल्हौर तक के लिए एक ट्रक मिल गया। बिल्हौर से फिर पैदल यात्रा शुरू कर दी। लॉकडाउन के दौरान सैकड़ाें किलोमीटर दूर पैदल जाने की मजबूरी के बारे में जब रामू से पूछा तो उसका जवाब था कि कोरोना वायरस का तो पता नहीं, लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे। जिस फैक्ट्री में काम करता था वो बंद हो गई। जो पैसे थे वो भी खत्म हो गए। मालिक ने मदद करने से मना कर दिया। ऐसे में गांव लौटने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। कोई साधन नहीं था तो पैदल ही चल पड़े हैं।

ये कहानी सिर्फ रामू की नहीं बल्कि हजारों उन बेरोजगार, बेघर और खाली पेट लोगों की है जो घर पहुंचने के लिए दिल्ली और आसपास के शहरों से पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दुूर अपने गांव-घर की ओर निकल पड़े हैं। रास्ते में कहीं कुछ मिल गया तो खा लिया वरना यूं ही आगे बढ़ते जा रहे हैं। कानपुर में भी सैटरडे शाम झकरकटी बसअड्डे पर पलायन करने वाले लोगों की जो तस्वीर सामने आई, वो वाकई अंदर तक झकझोर देने वाली है। हजारों की संख्या में जरूतमंद लोग बस अड्डे पर पहुंच गए। इन सबकी सिर्फ एक ही उम्मीद थी कि किसी भी तरह अपने घर पहुंच जाएं।

घर पहुंचने की जद्दोजहद

झकरकटी बस अड्डे पर घर पहुंचने की होड़ में सैटरडे से ही लोग उमड़ने लगे थे। रात तक यहां हजारों की संख्या में लोग जुट गए थे। जिसे देखकर लॉकडाउन को सफल कराने में जुटे पुलिस और प्रशासन के होश उड़ गए। शासन से अनुमति मिलने के बाद इस भीड़ को उनके शहरों तक पहुंचाने की कवायद शुरू हुई। इस बीच लोगों के जुटने का सिलसिला जारी रहा। भूख प्यास से बेहाल इन लोगों की बस एक ही जिद है किसी भी तरह घर पहुंचना। संडे को भी पुलिस प्रशासन की ओर से इन लोगो को इनके घरों तक पहुंचाने के लिए सिटी बसें, रोडवेज बसें और ट्रक जो मिला उसे लगाया गया। कोरोना वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर जो भी चीजें कही जा रही थीं वह सभी यहां बेमानी होती नजर आईं।

मदद को आगे आए कानपुराइट्स

झकरकटी बस अड्डा हो या फिर जीटी रोड, बाईपास जो मजबूर लोग अपने घर पहुंचने के लिए पैदल निकल पड़े हैं उनकी भूख और प्यास का ख्याल रखने के लिए बड़ी संख्या में कानपुराइट्स आगे आए। रास्ते में जगह-जगह पर पुलिस, सिविल डिफेंस के अलावा आम लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर ऐसे लोगों की मदद की। उन्हें खाने के पैकेट, पानी, बिस्कुट जैसीे चीजें जगह-जगह पर बांटी गई। विपत्ति की इस स्थिति में पुलिस ऐसे जरूरतमंदों के लिए कई जगहों पर किसी मसीहा की तरह नजर आई।

चेकअप के नाम पर खानापूर्ति

झकरकटी बस अड्डे पर जुट रहे हजारों लोगों में कौन बीमार है, किसी को संक्रमण है या नहीं इसे चेक करने के लिए उर्सला के डॉक्टर्स की एक टीम और अनवरगंज अर्बन पीएचसी की एक टीम लगाई गई। हांलाकि जिस तरह की भीड़ बस अड्डे पर मौजूद थी उस लिहाज से यह इंतजाम बेमानी साबित हुए। बस अड्डे की इंट्री पर तैनात डॉक्टर्स की टीम अंदर आ रहे लोगों का टेम्परेचर जरूर चेक कर रही थी। उधर अर्बन पीएचसी की टीम दवा वितरण के लिए भी मौजूद थी, लेकिन इतनी भीड़ के आगे ये इंतजाम खानापूर्ति ही नजर आए। क्योंकि सैकड़ो लोग बिना किसी जांच के ही बस, ट्रक जो मिला उसमें सवार हो कर चले गए।