बिग बॉस से बाहर होने के बाद बीबीसी से बात करते हुए लक्ष्मी ने कहा, "मुझे पुरुष प्रधान समाज बिलकुल पसंद नहीं है। मैं ऐसा समाज चाहती हूं जहां महिला, पुरुष, किन्नर और समलैंगिंको सभी को बराबरी का दर्जा मिले." लक्ष्मी ने कहा कि वो जब शो में कईं तो उन्हें लगा कि वो एक सप्ताह से ज़्यादा वक़्त नहीं बिता पाएंगी, लेकिन आख़िर में उन्होंने बिग बॉस में 42 दिन गुज़ारे।

लक्ष्मी ने कहा, "शो में लोगों को मेरे व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू देखने को मिला। पहले मैं लोगों के सामने रोती बिलकुल नहीं थी। लेकिन शो में मैंने पब्लिकली रोना सीखा। और मेरे ख़्याल से ये ग़लत भी नहीं है। रोना एक बहुत ही पाक इमोशन है, और जब आपका रोने का मन करे तो आपको रो लेना चाहिए."

उन्होंने शो में अपने सह प्रतियोगियों के बारे में कहा कि उन्हें अमर उपाध्याय, जूही परमार, सोनाली, महक और पूजा बेदी से बेहद प्यार और अपनापन मिला। लेकिन लक्ष्मी ने कहा कि उन्हें स्काई बिलकुल पसंद नहीं है। लक्ष्मी के मुताबिक़, "स्काई एक ऐसा शख़्स है, जो समझता है कि औरतों की बेइज़्ज़ती करना उसका जन्मसिद्ध अधिकार है."

लक्ष्मी के मुताबिक़ लोग समझते थे कि ज़िद्दी और चिड़चिड़ी हैं लेकिन जब तक उन्हें छेड़ा ना जाए वो किसी से नहीं लड़तीं। लक्ष्मी ने बताया कि बचपन में उन्हें उनकी लैंगिकता को लेकर लोगों के बहुत ताने और मज़ाक सहने पड़े। लेकिन उनकी मां ने उन्हें हमेशा हिम्मत दी। और एक दिन उन्होंने ख़ुद तय किया कि अब वो ज़िंदगी को अपने ही अंदाज़ में जिएंगी और चुप ना रहकर लोगों को जवाब देंगी।

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