कानपुर (ब्यूरो) जापान की एनटीटी डेटा कंपनी ने घाट को विकसित करने के लिए एक्वाफ्रंट को जिम्मेदारी सौंपी थी। इसी के तहत एक्वाफ्रंट के संस्थापक अंकित पटेल व उनकी टीम ने साल भर में इसे तैयार किया है। पहले चरण में 10 किलोवाट सौर ऊर्जा संयंत्र को लगाया गया है। बाढ़ आने पर कुछ समय के लिए उसे हटाया गया था। बाद में फिर से स्थापित करके बिजली पैदा की गई। इसके बाद डीजल चलित नावों को ई-बोट में तब्दील किया गया।
बिठूर व प्रयागराज में भी
अंकित ने बताया कि गंगा नदी की जलधारा पर फ्लोङ्क्षटग आरसीसी आधारित आइ-घाट अपने आप में अनूठा प्रयोग है। इसी आधार पर अब सरकार की मदद से बिठूर, प्रयागराज स्थानों पर भी प्रयोग किए जाएंगे। आईआईटी के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) के प्रभारी प्रो। अंकुश शर्मा ने बताया कि संस्थान के सहयोग और मार्गदर्शन में आधुनिक तकनीक के नए उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं। आई-घाट ऐसी ही एक परियोजना है। इसमें कौशांबी जिला प्रशासन, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व एनटीटी डेटा कंपनी का काफी सहयोग रहा।
प्रदूषण मुक्त होगा जल
एसआईआईसी के राहुल पटेल ने बताया कि परियोजना से कड़ा घाट पूरी तरह से विद्युत आत्मनिर्भर व प्रदूषण मुक्त होगा। तैरते हुए सौर सेल के माध्यम से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग कड़ा घाट में ई-नावों के संचालन में किया जाएगा। इससे नाव चालकों की आय बढ़ेगी। श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए भी नौका विहार एक अलग अनुभव प्रदान करेगा। अंकित पटेल ने बताया कि अगले चरण में फ्लोङ्क्षटग आरसीसी का प्रयोग छोटे कृत्रिम तालाब बनाने में किया जाएगा। इन तालाबों में मछली पालन होगा, जिससे कई परिवारों की आजीविका चलेगी।