कानपुर (ब्यूरो)। सैटरडे को गंगा मेला पर हटिया में कानपुराइट्स ने जमकर होली खेली। जेट मशीन से छतों से रंगों की बौछार की गई। खूब अबीर गुलाल और रंग उड़ा। कपड़ा फाड़ होली भी हुई। डीजे के धुन पर जमकर डांस हुआ। इससे पहले सुबह 9:30 बजे हटिया रज्जन बाबू पार्क में हुरियारे जुटे। राष्ट्रगान गाकर क्रांतिवीरों को नमन किया। राष्ट्रीय ध्वज को सैल्यूट करने के बाद होली की मस्ती शुरू हो गई। इसके बाद पूरे शहर में ऐतिहासिक रंगों का भैंसा ठेला निकाला गया।

यहां से निकला रंगों का ठेला
महोत्सव का शुभारंभ पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार और एडिशनल सीपी हरीश चंदर ने तिरंगा दिखाकर किया। हुरियारे भैंसा ठेला, ट्रैक्टर-ट्राली, टेम्पो और ऊंट पर सवार होकर रंग बरसाते निकले। रंग का ठेला हटिया, गया प्रसाद लेन, मूलगंज, शिवाला, रामनारायण बाजार चौराहा, कमला टॉवर, चटाई मोहाल, सिरकी मोहाल, बिरहाना रोड, नयागंज, जनरलगंज होते हुए वापस हटिया लौटा। बताते चलें कि कानपुर के लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ रंगों को हथियार बनाकर फिरंगियों से पांच दिनों तक लड़ाई लड़ी थी। इसकी शुरुआत 1942 में हुई थी, तब से लेकर आज तक रोहिणी नक्षत्र के दिन कानपुर में राष्ट्रगान और तिरंगा फहराने के बाद गंगा मेला महोत्सव की शुरुआत होती है।

गानों पर खूब डांस
रज्जन बाबू पार्क से रंग के ठेले के साथ ऊंट और घोड़े भी थे। पारंपरिक सवारी हटिया से गलियों से होती हुई निकली। करीब 50 हजार लोग एक दूसरे के साथ नाचते गाते हुए रंग खेलते हुए निकल पड़े। जगह-जगह लोगों ने डीजे लगाकर भैैंसे ठेले का स्वागत किया। 5 किलोमीटर लंबे रूट पर होली खेलते हुए लोग बिरहाना रोड पहुंचे। यहां पर लोगों ने रंग के ठेले का स्वागत किया। इसके बाद होलिया में उड़ेे रे गुलाल, होली में दिल मिल जाते हैैजैसे गानों पर लोगों ने खूब डांस किया।

मटकी फोड़ 5100 रुपये जीते
इसके बाद नवयुवक संघ की ओर से मटकी फोड़ कार्यक्रम हुआ। पीयूष वाल्मीकि की टीम ने मटकी फोड़ कार्यक्रम की विनर बनी। उन्हें 5100 रुपये कैश प्राइज मिला। इस बार मटकी फोड़ का 25 वां साल था। रजत जयंती मनाने के लिए कमेटी ने विशेष इंतजाम किए थे।

रंगों से किया सराबोर
स्प्रे, गुलाल गन, बैलून और रंगों से भीगे कपड़ों ने मजा किया दोगुना
लोगों ने कलर्ड स्प्रे, गुलाल और बैलून के साथ लाल, गुलाबी और हरा रंगों से एक दूसरे को रंगों से सराबोर कर दिया। रंग से भीगे कपड़े एक दूसरे पर फेंककर जमकर मस्की की। यहां टंकी में रंग घोलकर रबर ट्यूब लगाकर एक दूसरे पर रंग डालते रहे। रंग का ठेला यहां से निकलकर जनरलगंज होते हुए हटिया की ओर रवाना हुआ। इसके अलावा शहर में जगह-जगह भव्य आयोजन किए गए। सडक़ पर लोगों ने डीजे लगाकर डांस करते हुए होली खेली। बच्चे छतों से रंग बरसाते रहे।