कानपुर (दिव्यांश सिंह)। जब मैं आप जैसे प्रतिभाशाली युवाओं से बात कर पाता हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है। भारत का भविष्य आप पर निर्भर है। याद रखें कि यदि भारत सफल नहीं हुआ तो आप सफल नहीं हो सकते। इस देश की उम्मीदें आप पर टिकी हैं।आपको अपनी देशभक्ति नारे लगाकर नहीं बल्कि अपने कर्मों और चरित्र से महान बनकर दिखानी होगी। आपके चरित्र और उत्कृष्टता को प्रदर्शित करने वाला हर छोटा काम भी भारत के निर्माण में एक ईंट है। कन्फ्यूशियस के शब्दों को याद रखें कि जो व्यक्ति पहाड़ को हिलाना चाहता है, वह पहाड़ से एक-एक करके छोटे-छोटे पत्थर उठाकर ले जाना शुरू करता है। यह बातें आईआईटी के कान्वोकेशन में चीफ गेस्ट, इंफोसिस के फाउंडर और 1969 बैच के एलुमिनाई एनआर नारायण मूर्ति ने कहीं।

बदलाव लाना चाहते हैैं तो खुद को बदलें
नारायण मूर्ति ने कहा कि प्रत्येक पीढ़ी अगली पीढ़ी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बलिदान देती है। पहले एक अच्छे नागरिक बनें और फिर एक अच्छे इंसान बनें। भारत में अधिकांश लोग अपने परिवार और शायद अपने दोस्तों के प्रति अच्छे हैं। लेकिन हमें इस दायरे के बाहर अपनी जिम्मेदारी की परवाह नहीं है। इसीलिए आप देखते हैं कि हमारे लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और कूड़ा-कचरा बाहर सडक़पर फेंक देते हैैंं। यदि आप कोई बदलाव लाना चाहते हैं, तो आपको स्वयं एक उदाहरण स्थापित करना होगा। उदाहरण के तौर पर नेतृत्व विश्वसनीयता लाता है और बड़े पैमाने पर फालोअर्स को जन्म देगा। एक अभिनव और सक्रिय समस्या-समाधान मानसिकता विकसित करें।

याद किए पुराने दिन
आईआईटी कैंपस आकर नारायण मूर्ति ने अपने पुराने दिनों को याद किया। कहा कि जैसे ही मैं यहां खड़ा हूं, मेरे दिमाग में फिफ्थ हॉल में सी209 रुम मुझे याद आता है। जहां मैैं स्टडी के दौरान रहता था। सैटरडे की रात को अपने दोस्तों के साथ रुक-रुक कर आनंद लेना और संडे मार्निंग में आलू पराठों का स्वाद आज भी मुझे याद है। बताया कि शहर का चुंगफ़ा रेस्तरां जहां हम अक्सर जाते थे।

कैंपस में घुमें नारायण मूर्ति
एनआर नारायण मूर्ति ने कैंपस में घुमकर अपनी स्टूडेंट लाइफ की यादों को ताजा किया। हाल 5 में जाकर स्टूडेंट्स संग बातचीत की। आर्टिफिशियल हार्ट प्रोजेक्ट के बारे में जाना और सी3आईहब को देखा।