कानपुर(ब्यूरो)। मिशन शक्ति के तहत श्किायतों की मॉनीटरिंग के दौरान महिला हेल्प डेस्क पर तैनात आठ महिला पुलिस कर्मी दोषी पाई गई हैं। इन महिला पुलिसकर्मियों ने पीड़िता पर दबाव बनवाकर समझौता करा दिया था। इन सभी को लाइन हाजिर कर दिया गया है। साथ ही सभी को छह महीने तक तैनाती न देने और तैनाती देने के दौरान शासन को जानकारी देने के लिए भी कहा गया है। 25 फीसद वेतन कटौती के निर्देश भी जारी किए हैं। ऐसा ही कंपलेंट डेस्क के 9 पुलिस कर्मियों के साथ किया गया है। जमीनी विवाद में इन 9 पुलिस कर्मियों ने मामला निस्तारण करने के बजाय एप्लीकेशन डंप कर ली थी। एक साथ इतनी बड़ी कार्रवाई होने से कमिश्नरेट में हडक़ंप मचा था।

8 घंटे का है नियम
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मिशन शक्ति के तहत महिला हेल्प डेस्क पर आई कंप्लेन को 8 घंटे में निस्तारण करना जरूरी है। 8 घंटे में निस्तारण न होने पर कोई सॉलिड वजह बतानी पड़ती है। शिकायत को ऑनलाइन दर्ज करने के साथ इसकी मेल शासन और सीनियर ऑफिसर्स समेत पांच लोगों को भेजनी पड़ती है। प्रतिदिन कितनी शिकायतें आईं और कितनों का निस्तारण किया और पेंडेंसी कितनी व क्यों है? इसकी पूरी जानकारी ऑनलाइन देनी पड़ती है।

इन्हें हटाया गया-
महिला पुलिसकर्मी
रेनू, विनीता, समिता, राखी, पुनीता, आदर्श, अनुराधा और अंशू
पुरुष पुलिसकर्मी
जीत कुमार, रामखिलावन, सुकेश कुमार, विजय कुमार, राकेश, मधुसूदन, विनय कुमार, विपिन कुमार, कुलदीप

ये थीं महिला हेल्प डेस्क की शिकायतें
- आई हुई कंप्लेंट को तुरंत न दर्ज करना।
- समझौता कराने की कोशिश करना।
- दबाव बनाना कि केस न दर्ज हो।
- शिकायत के बाद मौके पर न जाना।
- अधिकारियों तक शिकायत न पहुंचने देना।
- मॉनीटरिंग के दौरान अधिकारियों को भ्रमित करना।
- हेल्प डेस्क पर ड्यूटी के दौरान मौजूदगी न होना।

कंपलेंट डेस्क की ये रही लापरवाही
- समय पर अधिकारियों तक शिकायत न पहुंचाना
- शिकायतों का समय से निस्तारण न करना।
- 15-15 दिन तक शिकायतों को डंप रखना।
- अधिकारियों के आदेश डाक से भेजने में लापरवाही
- अधिकारियों के आदेश का पालन न करना।