- मेडिकल कालेज के आईडीएच हॉस्पिटल में स्वाइन फ्लू और कोरोना वायरस दोनों के पेशेंट्स के लिए एक ही वार्ड

-ये वार्ड न तो आईसोलेशन वार्ड के सभी पैरामीटर्स पूरे करता है और नही यहां न ही कोरोना से लड़ने को पूरे संसाधन

KANPUR: दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में फैले खतरनाक कोरोना वायरस ने यूपी के कई शहरों में दस्तक दे दी है। ऐसे में कानपुर में भी हेल्थ डिपार्टमेंट हाई अलर्ट मोड पर होने का दावा कर रहा है, हांलाकि इन दावों में हवा ज्यादा और हकीकत कम है। अगर आप भी स्वास्थ्य विभाग की अलर्टनेस की सच्चाई देखना चाहते हैं तो मेडिकल कॉलेज के आईडीएच हॉस्पिटल में बनाए गए आईसोलेशन वार्ड को देखा जा सकता है। जिसकी हालत बेहद जर्जर है। पेशेंट्स के इलाज से पहले इस वार्ड को ही प्रॉपर ट्रीटमेंट की जरूरत है। ये आईसोलेशन वार्ड से जुड़ी गाइडलाइन के मुताबिक है ही नहीं। वार्ड की हालत बेहद जर्जर है। खास बात यह भी है कोरोना वायरस के पेशेंट्स हो या फिर स्वाइन फ्लू से पीडि़त पेशेंट्स दोनों का ट्रीटमेंट इसी वार्ड में होगा। क्योंकि दोनों के ही पेशेंट्स को आईसोलेशन में रखा जाता है।

कितनी तरह के प्रिकॉशन-

इंफेक्शन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल

एयरबार्न प्रिकॉशन, कान्टेक्ट प्रिकॉशन

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आईसोलेशन वार्ड में क्या क्या जरूरी-

- वार्ड में दो बेडों के बीच कम से कम एक मीटर की दूरी हो। कोरोना वायरस छींकने और खांसने से निकलने वाले ड्रॉपलेट से फैलता है। जिसका असर तीन फिट तक रहता है।

- हर बेड पर आईसोलेशन जरूरी, ऐसे में दो बेडों के बीच पर्दा या किसी तरह का सेपरेशन जरूरी

- कोविड- 19 से पीडि़त पेशेंट को लंग्स में इंफेक्शन निमोनिया जैसे लक्षण होते हैं इसके लिए ऑक्सीजन सप्लाई लाइन जरूरी

- पीडि़त पेशेंट के फेफड़ों में ठीक से आक्सीजन पहुंचे इसके लिए सीपेप मशीन होना जरूरी । इसकी उपलब्धता हर बेड पर होनी चाहिए

- क्रिटिकल पेशेंट्स के लिए वेंटीलेटर की फैसेलिटी जरूरी, जिससे पेशेंट्स के मुंह से नली डाल कर फेफड़ों में सीधे ऑक्सीजन भेजी जा सके और कार्बन को बाहर निकाला जा सके।

- वार्ड स्टेरलाइज होना चाहिए। जैसे कि आईसीयू को किया जाता है। वार्ड में बैक्टीरिया है या नहीं इसकी जांच के माइक्रोबायोलॉजिस्ट को करनी चाहिए।

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हेल्थकेयर पर्सनल की हाईजीन

- कोविड-19 पेशेंट्स का ट्रीटमेंट करने वाले डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ आईसोलेशन सूट पहन कर ही पेशेंट के पास जाए

- कोरोना वायरस से इंफेक्टेड पेशेंट्स का ट्रीटमेंट करने वाले डॉक्टर्स दूसरे नार्मल पेशेंट्स का ट्रीटमेंट नहीं करेंगे

- पेशेंट का ट्रीटमेंट करने के बाद एक बार यूज होने वाले मास्क, ग्ल्व्स और प्रोटेक्शन सूट दोबारा यूज नहीं किए जाएं

- हैंड सेनेटाइजर भी ऐसा हो जिसमें 60 से 95 परसेंट तक एल्कोहल हो।

- पेशेंट्स के साथ जाने वाले तीमारदारों के सेनेटाइजेशन के लिए उन्हें मास्क और प्रोटेक्शन सूट दिए जाएं

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कानपुर में तीन आईसोलेशन वार्ड

मेडिकल कॉलेज के अलावा कोरोना वायरस को लेकर उर्सला और कांशीराम हॉस्पिटल में भी 10-10 बेड के आईसोलेशन वार्ड बनाने का दावा है। हांलाकि स्वाइन फ्लू आने पर भी यहां आईसोलेशन वार्ड बनाए जाते हैं, लेकिन बीते कई सालों से स्वाइन फ्लू के भी सारे पेशेंट्स मेडिकल कॉलेज के आईडीएच हॉस्पिटल ही भेजे गए। मेडिकल कॉलेज के आईडीएच में बने आईसोलेशन वार्ड में भी 10 बेड हैं। इसके पेशेंट्स और तीमारदारों के आने जाने के लिए अलग रास्ता बनाया गया है।

स्वाइन फ्लू का ट्रीटमेंट भी यहीं

कानपुर में स्वाइन फ्लू का ट्रीटमेंट भी आईडीएच के इसी आईसोलेशन वार्ड में होता है जिसे अभी कोरोना वायरस के लिए तैयार किया गया है। कुछ दिन पहले ही इस वार्ड में स्वाइन फ्लू के एक संदिग्ध पेशेंट की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था। वार्ड में अभी एक ही वेंटीलेटर है। साथ ही सक्शन मशीन और दो बेड पर पाइपलाइन से ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है। वेडनसडे को एलएलआर हॉस्पिटल के एसआईसी डॉ.आरके मौर्या, महामारी वैज्ञानिक डॉ.देव सिंह ने वार्ड का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के निर्देश दिए। सीएमएस डॉ.अनूप शुक्ल ने बताया कि एक हजार एन-95 मास्क और 100 प्रोटेक्शन किट मंगाए गए हैं। इसके अलावा कोविड-19 पीडि़त पेशेंट्स के ट्रीटमेंट को लेकर भी डॉक्टर्स की टीम बनाई गई है।

वर्जन-

वार्ड में सभी जरूरी इंतजाम किए गए हैं। वेंटीलेटर की जरूरत पड़ेगी तो उनकी संख्या भी बढ़ाई जाएगी। यह वार्ड आम पेशेंट्स से दूर है। इस वजह से ज्यादा सुरक्षित है। दवाओं और उपकरणों के सभी इंतजाम पहले ही किए जा चुके हैं।

-डॉ.आरके मौर्या, एसआईसी,एलएलआर एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स