- वारदात के बाद घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाली पीआरवी में तैनात स्टाफ को हर स्थिति से निपटने की कला सिखाई जाएगी

- पुलिस फोर्स के आने तक भीड़ को कंट्रोल करना सीखेंगे, शस्त्र चलाने की ट्रेनिंग भी होगी, साइक्लॉजिस्ट सिखाएंगे खुद को कूल रखना

kanpur : वारदात के बाद सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचने वाली पीआरवी में तैनात पुलिस कर्मी भी हर हर स्थिति से निपटने में सक्षम होंगे। भीड़ को कैसे कंट्रोल करना है, उपद्रव या बवाल की स्थिति में कैसे रेस्पॉन्स करना है। कितना बल किस समय प्रयोग करना है? पर्याप्त फोर्स के आने तक क्या करना है? ये सारे गुर अब पीआरवी के जवान सीखेंगे। इसके लिए आईटीबीपी और पीएसी के उस्ताद डॉयल-112 के स्टाफ को 15 दिन की स्पेशल ट्रेनिंग देंगे। जिसमें हथियार चलाने से लेकर सिचुएशन को कंट्रोल करने के गुर भी सिखाएंगे।

स्पेशल रिक्वेस्ट पर आएंगे साइकलॉजिस्ट

पीआरवी जवान किसी भी स्थिति में आक्रोशित न हों और खुद को कूल बनाए रखें। इसके लिए आर्मी कैंप से स्पेशल रिक्वेस्ट पर साइकलॉजिस्ट भी बुलाए जाएंगे। जो इन पुलिस कर्मियों को विशेष परिस्थितियों में खुद भीड़ का कंट्रोल करने के साथ ही खुद पर नियंत्रण करना भी सिखाएंगे। ट्रेनिंग के बाद पीआरवी में लगे पीएसी के जवानों को उनकी बटालियन में वापस भेज दिया जाएगा। दरअसल जवानों की कमी की वजह से पीएसी को कुछ जवानों को इन गाडि़यों में अटैच किया गया था।

ट्रेनिंग की क्यों पड़ी जरूरत

पुलिस अधिकारियों की माने तो समय-समय पर पुलिस कर्मियों को अलग-अलग ड्रिल कराई जाती हैं। नौकरी ज्वाइन करने के बाद निर्धारित समय पर ड्रिल होती हैं। लेकिन इन दिनों सरकार पुलिस के हर जवान को हर कला में माहिर करना चाहती है। इस वजह से इस तरह की ड्रिल कराई जा रही हैं। शासन का मानना है कि विवाद के बाद सबसे पहले मौके पर पीआरवी ही पहुंचती है। लिहाजा पीआरवी के स्टाफ को पहले ड्रिल की ट्रेनिंग दी जाएगी। 15 दिन की स्पेशल ट्रेनिंग में बौद्धिक, शारीरिक और सामाजिक जानकारी दी जाएगी। इस ट्रेनिंग के बाद पुलिस अंकल कूल हो जाएंगे और मौके पर ही विवाद के निस्तारण की कोशिश करेंगे। अभी तक पीआरवी में ड्राइवर समेत तीन लोग होते हैं। जिनमें एक पुलिस कर्मी को आर्म ट्रेनिंग दी जाती है। जबकि ड्राइवर की जिम्मेदारी केवल गाड़ी और वायरलेस सेट के साथ गाड़ी में लगे तमाम सामान की होती है।

हर कला में होंगे माहिर

पीआरवी में तैनात तीनों पुलिस कर्मी हर कला में माहिर होंगे। भीड़ में लोगों को किस तरह से कंट्रोल करना है? कैसे उन पर प्रभाव स्थापित करना है? कितना बल किस समय प्रयोग करना है? विषम परिस्थितियों में पुलिस फोर्स के आने तक क्या करना है? ऐसा क्या करें कि भीड़ भी नियंत्रित रहे और आक्रोश भी न पनपे? वेपन को कहां रखना है? वायरलेस या हूटर का कया उपयोग करना है? ऐसा क्या करें कि टाइम रेस्पांस कम हो? प्वाइंट से हटने के दौरान किन अधिकारियों को सूचना दें? बल्क में होने पर हंगामा कर रहे लोगों की घेराबंदी कैसे करें? विवाद न निपटने पर ऐसा क्या करें कि दोनों पक्षों को थाने लाया जा सके?

-बवाल की स्थिति में भीड़ को कैसे कंट्रोल करना

- भीड़ में पनप रहे आक्रोश को कैसे कम करें

- कितना बल किस स्थिति में प्रयोग करना है

-वेपन को कहां रखना है और कब यूज करना है

- अधिकारियों को को किस तरह अपडेट करना है

- क्या करें कि मौके से आरोपी भाग न पाएं

-विवाद न निपटने की स्थिति में थाने कैसे लाएं

रेस्पांस टाइम कम करने की कवायद

डॉयल-112 के फील्ड में आने पर ड्यूटी प्वाइंट से मौके पर पहुंचने के लिए 10 मिनट का समय निर्धारित था। इसके बाद समय घटकर सात मिनट हो गया। अब इस समय को पांच मिनट में बदलने की कवायद की जा रही है। ये बताया जा रहा है कि कुछ दिन बाद ही समय चार मिनट किया जाएगा। यानी गाडि़यां बढ़ाकर प्वाइंट्स बढ़ा दिए जाएंगे।

पीआरवी के जवानों को ट्रेनिंग देने की योजना है। जल्दी ही प्लान के मुताबिक तीन चरणों में कानपुर कमिश्नरेट और कानपुर आउटर में तैनात पीआरवी की ट्रेनिंग कराई जाएगी। जिससे पीआरवी के जवान भी हर स्थिति से निपटने में सक्षम हो सकें।

मोहित अग्रवाल, आईजी रेंज कानपुर