कानपुर (ब्यूरो) सर्राफा बाजार के दूसरे कारीगरों की माने तो पश्चिम बंगाल के तमाम जिलों में रहने वाले युवक हाथी के दांत या आर्टिफिशियल दांत की ज्वैलरी बनाते हैैं। इस पर महीन कारीगरी की जाती है। इस वजह से पश्चिम बंगाल के कारीगर डिजाइन बनाने के काम में होशियार हो जाते हैैं और यूपी में काम की तलाश में आ जाते हैैं। सूत्रों की माने तो पश्चिम बंगाल में पूरा का पूरा गैैंग इस काम में लगा हुआ है। जो वारदात करके वापस पहुंचने पर शेल्टर के साथ साथ सुरक्षा की गारंटी भी देता है। 2013 की घटना के पीडि़त की माने तो जब वे साबिर की तलाश में पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने उन पर और उनके साथ गई पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। पश्चिम बंगाल में दूसरी परेशानी भाषा की आती है। जिसकी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है।

पहला मामला : कोलकता के हावड़ा जिले के पार्वतीपुर गांव निवासी शेख साबिर आभूषण कारीगर है। वह बिरहाना रोड पर पत्नी मारुख बेगम के साथ किराए पर रहता था। मकान में कई कारीगर भी रहते थे। सितंबर 2013 में वह बिरहाना रोड के सर्राफा कारोबारियों का सोना लेकर चंपत हो गया। इसमें पंकज अरोड़ा के ढाई किलो और राजीव का दो किलो सोना था। कारोबारी पंकज अरोड़ा ने कलक्टरगंज थाने में शेख साबिर अली, उनकी पत्नी मारुख बेगम, साले शमद और समद अली समेत पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने एक साल बाद उसे गिरफ्तार कर चार्जशीट लगा दी, लेकिन माल बरामद नहीं हो सका। 2021 में साबिर जेल से जमानत पर बाहर आ गया।
दूसरा मामला : नील वाली गली बिरहाना रोड में 19 मार्च 2019 की रात बदमाशों ने ज्वैलरी कारखाने में धावा बोल कर दोनों भाइयों को हथियारों के बल पर बंधक बनाया। 70 ग्राम सोने के तैयार जेवर लूटकर फरार हो गए थे। इस वारदात को भी कारीगरों की मुखबिरी पर स्थानीय लुटेरों ने अंजाम दिया था। इस वारदात का खुलासा पुलिस ने कर लिया, लेकिन माल बरामद नहीं हो सका। पुलिस ने इस मामले का खुलासा करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। सभी शातिरों पर गैैंगस्टर की कार्रवाई की गई थी।

हर गली में मौजूद बंगाली कारीगर

ये दो वारदातें तो केवल उदाहरण के लिए हैैं। हाल ये है कि हर गली में इस तहर की वारदातों को अंजाम देने वाले पश्चिम बंगाल गैैंग के शातिर मौजूद हैैं। सर्राफा कारोबारियों की माने तो ये कारीगर पहले उनका विश्वास जीतते हैैं, उसके बाद विश्वासघात करते हैैं। हर सर्राफ किसी न किसी कारीगर से ही काम करवाता है। जिसका ये कारीगर फायदा उठाते हैैं।
लेनी चाहिए ज्वैलर्स ब्लॉक पॉलिसी
ज्वैलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी पंकज अरोड़ा ने बताया कि हर ज्वैलर्स को ज्वैलर्स ब्लॉक पॉलिसी लेनी चाहिए। अगर कारीगर सोना या रुपये लेकर भाग जाता है, अगर बैैंक जाते समय रुपये लुट जाते हैैं। दुकान से घर या घर से दुकान आते समय कोई घटना हो जाती है, रास्ते में किसी तरह की कोई वारदात हो जाती है। इस पॉलिसी के लेने से ज्वैलर्स का गोल्ड और मनी सेफ रहता है। पंकज ने बताया कि आम तौर पर बीमा पॉलिसी का काम करने वालों को ज्वैलर्स ब्लॉक पॉलिसी की जानकारी नहीं होती है। चूंकि शहर में 4000 से ज्यादा ज्वैलर्स हैैं और हर किसी को इसकी जानकारी नहीं है लिहाजा जरूरत पडऩे पर वह पंकज से संपर्क कर सकता है।

कोतवाली में हुई वारदात के खुलासे के लिए टीम लगाई गई है, जल्द ही आरोपी कारीगर की गिरफ्तारी की जाएगी।
बीपी जोगदंड, पुलिस कमिश्नर