आम जिंदगी के सच को किया बयां

झुंपा को मेडल दिए जाने के बाद बराक ओबामा ने कहा कि उनको यह मेडल इसलिए नहीं दिया गया कि इन्होंने अपने एक्सपीरियंस को बेहतरी तरीके से अभिव्यक्त किया है। बल्कि इसलिए दिया गया है कि उन्होंने आम लोगों की जिंदगी के के सच को बयां किया है। यह बिल्कुल वैसा है जैसा हम अमेरिकी और इंसान होने पर महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि  ने लेखन के जरिए झूंपा ने भारतीय-अमेरिकियों के एक्सपीरियंस को खूबसूरती से बयान किया है। इस अवॉर्ड सेरेमनी में आर्ट, कल्चर व अन्य क्षेत्रों से जुड़े हुए 163 लोगों और 12 ऑर्गनाइजेशन्स को दिए गए। अमेरिका की फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा भी यहां मौजूद रहीं। इस अवॉर्ड की शुरुआत 1996 में हुई थी।

बुकर के लिए भी हो चुकी है नॉमिनेट

झुंपा लाहिड़ी का असली नाम नीलांजना सुदेशना है। लेकिन राइटिंग के लिए वह झूंपा नाम का ही इस्तेमाल करती है। झुंपा को शॉर्ट स्टोरीज कलेक्शन 'इंटरप्रेटर ऑफ मालाडीज' के लिए साल 2000 में पुलित्जर अवॉर्ड से नवाजा गया था। उनकी बुक 'द लोलैंड' को मैन बुकर प्राइज के लिए नॉमिनेट किया जा चुका है। वर्तमान में वह प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में क्रिएटिव राइटिंग की प्रोफेसर हैं।

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