कानपुर (ब्यूरो)। सीसामऊ पम्पिंग स्टेशन के पंप खराब होने की वजह से पिछले तीन इन दिनों हर रोज करीब 10 एमएलडी लीटर गन्दा पानी सीधे गंगा में गिर रहा हैं। पम्पिंग स्टेशन के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रही प्राइवेट कम्पनी को लगातार चेतावनी देने के बाद सुधार न होने पर जलनिगम ने मुकदमा दर्ज कराया है। इसमें कानपुर रीवर मैनेजमेंट कम्पनी के डायरेक्टर सहित तीन इम्प्लाई शामिल।

जलनिगम ऑफिसर्स के मुताबिक अगस्त,2008 में जलनिगम में भैरवघाट स्थित सीसामऊ सीवरेज पम्पिंग के मेंटीनेंस व संचालन की जिम्मेदारी कानपुर रीवर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी थी। 25 मई की दोपहर से सीसामऊ सीवेज पम्पिंग स्टेशन पूरी कैपेसिटी से नहीं चल रहा है। इसकी वजह से सीसामऊ नाला के जरिए ओवरफ्लो होकर बिना ट्रीट किया पानी गंगा में गिर रहा है। जांच कराने पर पम्पिंग स्टेशन के दो पंप खराब पाए। चार पंप के जरिए सीवेज ट्रीटमेंट को भेजा जा रहा है।

13 करोड़ लगाई जा चुकी है पेनॉल्टी
गंगा पाल्यूशन कन्ट्रोल यूनिट जलनिगम के प्रोजेक्ट मैनेजर ज्ञानेन्द्र चौधरी ने बताया कि केआरएमपीएल के पास सिटी के ज्यादातर एसटीपी के संचालन की जिम्मेदारी है। इनमें जाजमऊ, सजारी, बिनगवां आदि एसटीपी शामिल हैं। नियमानुसार एसटीपी का संचालन न किए पर केआरएमपीएल भी अबतक 13 करोड़ रुपए पेनॉल्टी लगाई जा चुकी है।

बायोरेमिडिएशन के दावे एक बार फिर फेल हो गए। पाल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड की टीम की जांच में एक बार फिर छह नालों का पानी सीधे गंगा में जाता मिला। दरअसल गंगा बैराज से लेकर जाजमऊ तक 11 किमी के दायरे में बीते माह पाल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड की टीम ने गंगा का निरीक्षण का किया था। निरीक्षण के दौरान रानीघाट, सत्तीचौरा, डबका, गोलाघाट, परमिया, भगवतदास, गुप्तार घाट में बायोरेमिडिएशन का कार्य होते नहीं मिला। सभी स्थानों में गंगा में सीधे गंदा पानी जाता हुआ मिला।

73 लाख रुपये का बजट
गंदे पानी को रोकने के लिए नगर निगम से अनुबंधित संस्था इन स्थानों पर बायोरेमिडिएशन का कार्य करती है। इस कार्य के लिए प्रतिवर्ष लगभग 73 लाख रुपये का बजट भी खर्च किया जा रहा है। लापरवाही मिलने पर पाल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के ऑफिसर्स ने डीएम को लेटर भेजकर कार्रवाई का अनुरोध किया है।

डीएम को भेजा लेटर
पाल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर अमित मिश्रा ने बताया कि नगर निगम से अनुबंधित संस्था अनटैप्ड नालों में बायोरेमिडिएशन का कार्य कराती है। निरीक्षण में किसी भी स्थान पर बायोरेमिडिएशन का कार्य होता नहीं मिला। नदी में गंदगी प्रवाहित करने के मामले में संबंधित संस्था के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए डीएम को लेटर भेजा गया है। साथ ही नालों के पानी को सीधे गंगा में गिरने से रोकने के लिए नगर निगम को आवश्यक कार्रवाई के लिए कहा गया है।