कानपुर(ब्यूरो)। टीबी एक गंभीर रोग है लेकिन अब यह लाइलाज रोग नहीं है। भारत में नेशनल टीबी एलिमिनेशन प्रोग्राम के तहत टीबी पेशेंट को खोजकर उनका फ्री ट्रीटमेंट किया जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा पेशेंट को खोजकर उन्हें टीबी मुक्त किया जा रहा है। कानपुर इस मामले में यूपी में तीसरे नंबर पर है। साल 2023 में कानपुर में 20232 टीबी पेशेंट खोजा है। आगरा इस मामले में यूपी में टॉप पर है।

हर महीने दो हजार पेशेंट
एसीएमओ डॉ। आरपी मिश्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री के 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को साकार करने में कानपुर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कानपुर में वर्ष 2023 में नवंबर माह तक 20232 टीबी पेशेंट को खोजा जा चुका है। निक्षय पोर्टल की रैकिंग में यूपी में कानपुर तीसरे नंबर पर है। उन्होंने बताया कि 20 हजार से अधिक पेशेंट खोजे जा चुके हैं। जिसमें से 12 से अधिक पेशेंट को ट्रीटमेंट चल रहा है। अन्य पेशेंट अब स्वस्थ हो चुके हैं।

पहले भी चलाए गए एसीएफ
डीटीओ ने बताया कि इससे पहले एक्टिव केस फाइंडिंग &एसीएफ&य अभियान चलाया गए है। इनमें टीबी पेशेंट को खोजा गया है। वर्ष 2021 में तीन हजार संभावित टीबी पेशेंट की जांच की गई। जिसमें 176 नए टीबी पेशेंट मिले। वर्ष 2022 में 2 हजार से अधिक संभावित टीबी पेशेंट मिले। वर्ष 2023 में फस्र्ट फेस में 28 सौ से अधिक संभावित टीबी पेशेंट की जांच की गई। जिसमें 271 नए टीबी पेशेंट मिले। अभियान के दौरान मिले सभी टीबी पेशेंट का ट्रीटमेंट पूर्ण हो गया है और वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।

500 रुपए हर महीने दिए जाते
टीबी से स्वस्थ हो चुके 20 वर्षीय रोहित ने बताया कि जब उन्हें टीबी हुई थी तो उन्हें टीबी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। लोकल हेल्थ डिपार्टमेंट के वर्कर ने उन्हें लक्षण के आधार पर गवर्नमेंट हॉस्पिटल में जाकर टीबी की जांच कराने की सलाह दी। हॉस्पिटल में जांच के बाद उन्हें पता चला कि उन्हें टीबी है। इसके उपरांत उनका ट्रीटमेंट शुरु हो गया। छह माह तक उनका टीबी का ट्रीटमेंट हुआ। इस दौरान उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए हर माह मिलते थे।

टीबी क्या है
डॉक्टर्स के मुताबिक टीबी माइक्रो बैक्टीरिया, टयूबरकुलोसिस नाम जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से फेफड़ों में होता है। यह शरीर के हिस्सों दिमांग, हड्डियों, ग्रंथियों व आंत में भी हो सकता है।