- रेलवे ने कानपुर-लखनऊ ट्रैक का मेंटीनेंस कर इस रूट को हाईस्पीड बनाने को दिया ग्रीन सिग्नल

-स्वर्ण शताब्दी, तेजस जैसी वीआईपी ट्रेनें भी फुल स्पीड से दौड़ सकेंगी, पैसेंजर्स का बचेगा समय

KANPUR: कानपुर-लखनऊ रेलवे ट्रैक पर जल्द ही पैसेंजर्स हाई स्पीड सफर का मजा ले सकेंगे। रेलवे ने कानपुर-लखनऊ रूट के ट्रैक का मेंटीनेंस कर इसे हाईस्पीड रूट तैयार करने की मंजूरी दे दी है। जिसके चलते अब इस रूट पर भी ट्रेनें अधिकतम 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकेंगी। जिससे पैसेंजर्स कम समय में अपनी जर्नी तय कर सकेंगे। अभी इस रूट पर चलने वाली शताब्दी और तेजस एक्सप्रेस जैसी वीआईपी ट्रेनें भी 80 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से ही चलती हैं। क्योंकि ट्रैक पुराना और जर्जर होने के कारण रूट में कई जगह कॉशन लगाकर ट्रेनों को धीमी गति से पास किया जाता है। जिससे सफर में समय अधिक लगता है।

35 से 40 मिनट बचेंगे

रेलवे आफिसर्स के मुताबिक इस रूट में डेली 80 से अधिक पैसेंजर ट्रेनों का संचालन है। लखनऊ रूट के हाईस्पीड रूट बनने से ट्रेनों में जर्नी करने वाले लाखों पैसेंजर्स को काफी रिलीफ मिलेगी। इस रूट को हाईस्पीड ट्रैक बनाने के लिए दो साल से लगातार काम चल रहा था। लखनऊ से गंगापुल तक रेलवे ट्रैक का रिप्लेसमेंट व मेंटीनेंस बड़े पैमाने पर किया गया है। ट्रायल करने के बाद रेलवे ने कानपुर-लखनऊ रूट को हाईस्पीड रूट के रूप में मंजूरी दी है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ने से कानपुर से लखनऊ के बीच की दूरी 55 से 60 मिनट में पूरी हो जाएगी। जबकि अभी इसी सफर को पूरा करने में डेढ़ घंटे से अधिक का समय लगता है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ने सबसे ज्यादा राहत डेली अप-डाउन करने वाले हजारों पैसेंजर्स को मिलेगी।

ब्रेकर बनीं थीं पुरानी पटरियां

एनआर डिवीजन के पीआरओ विनोद कुमार ने बताया कि कानपुर-लखनऊ रूट 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। जहां गंगापुल से हरौनी तक रेलवे ट्रैक पर पुरानी पटरियां अभी तक लगी हुई थीं। जिसकी वजह से इस रूट में चलने वाली तेजस, स्वर्ण शताब्दी जैसी वीआईपी ट्रेनों की चाल भी गंगापुल से लखनऊ के बीच धीमी हो जाती थी। पुरानी पटरियां हाईस्पीड ट्रेनों के लिए ब्रेकर साबित होती थीं। इसके साथ ही रूट में लगातार ट्रेनों का लोड भी बढ़ रहा था। इस वजह से रेलवे ने ट्रैक का रिप्लेसमेंट व मेंटीनेंस करने का निर्णय लिया। ट्रैक में लगी पुरानी पटरियों को बदल कर उसकी जगह 60 गेज की पटरियां लगाई गई हैं जिससे ट्रेनें हाईस्पीड में दौड़ सकें।

एक्सीडेंट पर भी लगेगा ब्रेक

नार्दन रेल डिवीजन के पीआरओ के मुताबिक कानपुर-लखनऊ रूट पर पटरियां सालों पुरानी होने की वजह से अक्सर ट्रैक फै्रक्चर की घटनाएं होती रहती थीं। जो ट्रेन दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण होता है। ट्रैक फ्रैक्चर होने की वजह से डिरेलमेंट की भी घटनाएं हो चुकी हैं। जिसको देखते हुए पूरे ट्रैक का 60 गेज की नई पटरियों से रिप्लेसमेंट किया गया है। दिल्ली हावड़ा रूट को पहले हाईस्पीड रूट घोषित किया जा चुका है।

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87 किमी दूरी है कानपुर सेंट्रल से लखनऊ स्टेशन की

2 साल से ट्रैक रिप्लेसमेंट, मेंटीनेंस का हो रहा था काम

60 गेज की पटरियां लगाई गई हाई स्पीड रूट के लिए

55 मिनट में कानपुर से लखनऊ की जर्नी पूरी हो सकेगी

90 मिनट से अधिक का समय लगता है अभी सफर में

80 से अधिक पैसेंजर ट्रेनों का संचालन होता है इस रूट में

2 वीआईपी ट्रेनें भी डेली चलती हैं इस रूट पर

कोट

कानपुर-लखनऊ रूट पर अब ट्रेनें दिल्ली-हावड़ा रूट की तरह 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकेंगी। रेलवे ने कानपुर-लखनऊ रूट को भी हाईस्पीड रूट की मंजूरी दे दी है। इस रूट में ट्रेनों की स्पीड बढ़ने से लाखों पैसेंजर्स को काफी रिलीफ मिलेगी।

विक्रम सिंहा, पीआरओ, एनआर डिवीजन