- म्यांमार बार्डर से नारकोटिक्स व वाइल्ड लाइफ प्रोडक्ट की स्मगलिंग हो रही

- देश के बार्डर को सुरक्षित करने के लिए इलेक्ट्रानिक्स सर्विलांस का यूज

KAANPUR: म्यांमार बार्डर पर कोई फेंसिंग नहीं है, लोग आराम से एक दूसरे के एरिया में आते जाते रहते हैं। इस एरिया से नारकोटिक्स व वाइल्ड लाइफ प्रोडक्ट की स्मगलिंग की जाती है। हालांकि लगातार पेट्रोलिंग की जाती है लेकिन फॉरेस्ट एरिया होने का स्मगलर पूरा फायदा उठाते हैं। आने वाले समय अब इस एरिया में बार्डर को सिक्योर करने के लिए आईआईटी के एयरोस्ट्रैट से निगरानी की जा सकती है।

यह टेक्नोलॉजी काफी उपयोगी

इस इश्यू पर आईआईटी के एल्युमिनाई मीट में शिरकत करने आए बार्डर मैनेजमेंट सेकेट्री गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एन एन सिन्हा ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से एक्सक्लूसिव बातचीत की। पटना के रहने वाले एन एन सिन्हा ने आईआईटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की थी। वह 1987 में सिविल सर्विसेस में आ गए थे। वह एरोस्ट्रैट की टेक्नोलॉजी डेवलप करने वाले प्रो सुब्रामण्यिम सैडरेला से मिलकर इस संबंध में बात करेंगे। बार्डर गार्डेनिंग के लिए यह टेक्नोलॉजी काफी उपयोगी साबित हो सकती है।

अभी बहुत काम करना होगा

देश में सबसे ज्यादा बांगलादेश, पाकिस्तान, नेपाल, म्यामांर बार्डर से ही सबसे ज्यादा घुसपैठ होती है। बार्डर पर होने वाली घुसपैठ को अब काफी हद तक चेक किया जाने लगा है। हालांकि बार्डर पर जहां फेंसिंग नहीं है, वहां इलेक्ट्रानिक्स सर्विलांस से निगरानी हो रही है। हालांकि अभी बार्डर को सुरक्षित करने के लिए बहुत काम करना होगा। जिसको करीब 90 प्रतिशत चेक कर लिया गया है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी

- बार्डर के कई एरिया ऐसे हैं जहां पीने का पानी तक नहीं है

- कई एरियाज में मोबाइल की कनेक्टिविटी नहीं मिलती है।

- बार्डर के कई हिस्से ऐसे हैं जहां पर पॉवर क्राइसिस है।

- देश के बार्डर में 7500 किलोमीटर लैंड व इतना ही कोस्टल एरिया