कानपुर (ब्यूरो)। 1700 करोड़ की जमीन पर कब्जा करने के प्रयास में गिरफ्तार प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित की 10 की रिमांड पूरी हो गई। पुलिस ने उसे वापस जेल भी दाखिल भी करा दिया लेकिन अवनीश का मोबाइल फोन बरामद नहीं कर सकी। वारदात के दौरान मोबाइल की वाट्सएप कॉल और चैटिंग से पुलिस को मामले से जुड़े अहम सुराग और नाम हाथ लग सकते हैं। इसीलिए पुलिस अब अवनीश को पांच दिन और कस्टडी रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है। जल्द ही पुलिस कोर्ट में रिमांड अप्लीकेशन मूव करेगी। वहीं पूलिस सोर्सेस के मुताबिक, अवनीश हर महीने लाखों रुपए प्रोटेक्शन फीस भी वसूलता था।
साउथ सिटी में लोकेशन
10 दिन की रिमांड के दौरान दो दिन की अतिरिक्त रिमांड के लिए पुलिस कोर्ट में एप्लीकेशन मूव कर चुकी है। 23 अगस्त की शाम अवनीश को जेल भेजने के बाद से पुलिस की तमाम टीमें डेटा कलेक्शन में जुटी हुई है। ये वही डेटा है जो रिमांड के दौरान कलेक्ट किया गया है। डेटा कलेक्शन के बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी। ये काम 25 अगस्त की शाम तक पूरी हो जाएगा। वहीं पीएफ घोटाले के मुख्य आरोपी सुनील शुक्ला की तलाश में पुलिस की टीमें लगी हुई है। उनकी लोकेशन कानपुर के अंदर साउथ जोन के यशोदा नगर में बताई जा रही है। लोकेशन मिलने के बाद भी सुनील शुक्ला पुलिस के हत्थे क्यों नहीं चढ़ रहा है? ये बहुत बड़ा सवाल है।

कमलेश फाइटर प्रयागराज में?
वहीं एक्सटॉर्शन का एक और आरोपी यू ट्यूबर पत्रकार कमलेश फाइटर पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। उसके खिलाफ नजीराबाद और कर्नलगंज थाने में केस दर्ज हुआ है। सेंट्रल जोन की पुलिस उसकी तलाश में लगी है। पुलिस सूत्रों की माने ते कमलेश की लोकेशन प्रयागराज मिल रही है, जहां वह बेल के लिए हाईकोर्ट के चक्कर लगा रहा है।

कारोबारियों और बिल्डर्स से वसूली जाती थी प्रोटेक्शन फीस
पुलिस ने अवनीश और उसके परिवार के चार बैैंक खाते सीज किए हैैं। इन खातों में 25 लाख रुपये होने की बात बताई जा रही है। पुुलिस की दो टीमें अवनीश और उसके गैैंग के लोगों की संपत्ति का डिटेल कलेक्ट करेेंगी। अवनीश के गैैंग और उसके साथ काम करने वालों की संख्या 53 बताई जा रही है। इन 53 लोगों की संपत्ति आस पास के जिलों में भी हैै। पुलिस सूत्रों की मानें तो ये जानकारी मिली है कि अवनीश दर्जनों लोगों से प्रोटेक्शन फीस वसूलता था। इनमें बिल्डर्स, कारोबारी और विवादित प्रॉपर्टीज पर कब्जा करने वाले थे। अवनीश से पूछताछ करने वाले पुलिसकर्मियों की मानें तो हर महीने की प्रोटेक्शन फीस कई लाख आती थी, जिसका कोई हिसाब नहीं था।

जिन्हें बनाया पत्रकार, वही कंपनी में मजदूर
पुलिस के हाथ उन लोगों की लिस्ट लग गई है जो सुनील शुक्ला, उनकी पत्नी और अवनीश की पत्नी की कंपनी में मजदूर थे। शहर के एक बहुत बड़े सफेदपोश के बेटे का नाम भी इस घोटाले में शामिल है, लिहाजा पुलिस बहुत फूंक फूंक कर कदम रख रही है। इस लिस्ट में एक प्रेस क्लब के पूïर्व पदाधिकारी भी शामिल है। जिन लोगों को पत्रकार बनाया गया था, उन सभी के नाम इस लिस्ट में भी शामिल हैैं। पुलिस को वह रजिस्टर भी मिला है, जिस पर ये लोग मजदूरों की हाजिरी भी दर्ज करते थे। इस लिस्ट में शामिल दो लोगों को हटाकर बाकी लोगों की कुंडली खंगालने का काम शुरू कर दिया गया है।

खाकी में छिपे मददगारों पर गिरेगी गाज
पुलिस के लाख प्रयास के बाद भी नजूल भूमि पर कब्जे के मामले में दूसरी अरेस्टिंग नहीं हो पा रही हैै। सैटरडे को ही पुलिस एक जगह दबिश देने गई थी लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही कर्नलगंज थाने में तैनात एक सब इंस्पेक्टर ने सूचना ली कर दी। जिसके बाद पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। सीनियर पुलिस ऑफिसर्स के निर्देश पर उन पुलिसकर्मियों की जानकारी की जा रही है, जो अवनीश के बहुत करीबी थे। उन पुलिसकर्मियों को या तो जोन ट्रांसफर किया जाएगा या उन्हें गैर जनपद भेज दिया जाएगा। कुल मिलाकर पुलिस अधिकारियों की नजर अब उन लोगों पर है जो अवनीश के मददगार हैं। साथ ही उन लोगों की भी तलाश की जा रही है, जो इन दिनों खुले मंच पर पुलिस के इस कदम को गलत बता रहे हैैं।