- रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस के बाहर फुटपाथ किनारे 100 रुपए में बिक रहे फेक व्हीकल इंश्योरेंस

- एमवी एक्ट में बदलाव होने के बाद चेकिंग बढ़ने से कार्रवाई से बचने के लिए बढ़ी फेक सर्टिफिकेट की मांग

- व्हीकल ट्रांसफर में सबसे अधिक होगा यूज, दस्तावेज पूरे होने के बाद ही व्हीकल ट्रांसफर का है रूल

KANPUR। अगर आप भी अपने व्हीकल का इंश्योरेंस कराने जा रहे हैं। तो ये खबर आपके लिए ही है। क्योंकि हो सकता है कि इंश्योरेंस की कीमत चुकाने के बाद भी आपके हाथ में फर्जी इंश्योरेंस पेपर हों। जी हां, रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस सर्वोदय नगर के आसपास विभिन्न कंपनियों के फेक व्हीकल इंश्योरेंस धड़ल्ले से बनाकर बेचे जा रहे हैं। दिखने में बिल्कुल असली ये फर्जी इंश्योरेंस पेपर आपको ट्रैफिक पुलिस के चालान से भी बचा लेंगे, लेकिन व्हीकल इंश्योरेंस क्लेम नहीं दिला पाएंगे। कानपुर कॉलिंग में आई कंप्लेन के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने अपनी पहचान छिपाकर आरटीओ में जाकर पड़ताल करते हुए एक ब्रोकर से बात की तो खुलासा हुआ कि महज 100 रुपए में बाइक और कार के फर्जी इश्योरेंस पेपर बनाए जा रहे हैं।

रिपोर्टर और ब्रोकर की बीच बातचीत

रिपोर्टर- गाड़ी का इंश्योरेंस करना है

ब्रोकर- हो जाएगा, कौन वाला चाहिए ?

रिपोर्टर- कौन वाला मतलब ?

ब्रोकर- मतलब, काम चलाऊ या फिर ओरिजनल

रिपोर्टर- काम चलाऊ कैसा होता है ?

ब्रोकर- चेकिंग में सिर्फ दिखाने के लिए है, इंश्योरेंस क्लेम नहीं मिलेगा

रिपोर्टर- काम चलाऊ और ओरिजनल के रेट क्या हैं ?

ब्रोकर- काम चलाऊ 100 रुपए का है और ओरिजनल थर्ड पार्टी 900 रुपए का

रिपोर्टर- काम चलाऊ वाला बनता कैसे है

ब्रोकर- कम्प्यूटर के जमाने में आजकल क्या मुमकिन नहीं है ?

रिपोर्टर- अभी तक फर्जी इंश्योरेंस सर्टिफिकेट का नाम नहीं सुना था

ब्रोकर- पहले बहुत कम डिमांड थी। आजकल सिटी में व्हीकल चेकिंग बढ़ने से इनकी मांग बहुत हो गई है। साथ ही व्हीकल के ट्रांसफर में भी फर्जी सर्टिफिकेट ही लगा दिए जाते हैं

रिपोर्टर- आरटीओ में कोई इंश्योरेंस सर्टिफिकेट चेक नहीं करता

ब्रोकर- यहां समय किसके पास है, फाइल में कागज पूरे होने चाहिए, फिर वह सहीं हो या फिर फेक।

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चेकिंग और ट्रांसफर के लिए बढ़ी डिमांड

बातचीत के दौरान एक ब्रोकर ने बताया कि पिछले कुछ समय से ट्रैफिक पुलिस की चेकिंग बहुत सख्त हो गई है। इंश्योरेंस न होने पर पुराने नियम के अनुसार ही 500 रुपए का चालान कट जाता है। इसके अलावा गाड़ी ट्रांसफर कराने के लिए भी सभी कागज जरूरी होते हैं। इन दोनों बातों का फायदा उठाने के लिए ही ब्रोकर्स ने फर्जी इंश्योरेंस बनाने का फंडा ढूंढ निकाला। पब्लिक का भी काम कम पैसों में हो जाता है तो वो भी तैयार हो जाते हैं। हालांकि उसने ये भी बताया कि कुछ ब्रोकर असली इंश्योरेंस के पैसे लेकर नकली इंश्योरेंस भी थमा देते हैं।

ऐसे करें जांच

इंश्योरेंस सर्टिफिकेट मिलने के बाद या तो आप उसमें मौजूद क्यूआर कोड को अपने मोबाइल से स्कैन कर चेक कर सकते हैं। या फिर कैफे में जाकर पॉलिसी नंबर से चेक करा लें।

क्यूआर कोड से ऐसे करें चेक

व्हीकल इंश्योरेंस सर्टिफिकेट में एक क्यूआर कोड का ब्लैक कलर का कॉलम बना होता है। इसको स्कैन करने के लिए आपको सबसे पहले अपने मोबाइल में क्यूआर बारकोड एप डाउनलोड करना होगा। जिसके बाद आपको सर्टिफिकेट में बने क्यूआर कोड को अपने मोबाइल के क्यूआर बार कोड एप से स्कैन करना होगा। स्कैन करते ही आपके मोबाइल में इंश्योरेंस सर्टिफिकेट खुल जाएगा। अगर उस सर्टिफिकेट में आपका नाम, व्हीकल नंबर समेत अन्य चीजें सही हैं तो आपका व्हीकल इंश्योरेंस सर्टिफिकेट सही है।

पूरा गैंग है एक्टिव

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सैटरडे को आरटीओ के आसपास जाकर कई ब्रोकर से बातचीत कर फेक व्हीकल इंश्योरेंस सर्टिफिकेट की हकीकत का पता लगाया। जिसमें पता चला कि आरटीओ के बाहर कई ऐसे ब्रोकर हैं। जोकि 100 से 200 रुपए में फेक व्हीकल इंश्योरेंस सर्टिफिकेट बनाकर लोगों को देते हैं। इनका पूरा गैंग कई सालों से यहां पर सक्रिय है। इन ब्रोकर के पास सभी समस्याओं को खत्म करने का जुगाड़ है।

आंकड़े

100 रुपए में बनता टू व्हीलर का फेक व्हीकल इंश्योरेंस सर्टिफिकेट

900 रुपए का ओरिजनल इंश्योरेंस है थर्ड पार्टी का

100 व्हीकल्स का इंश्योरेंस डेली आरटीओ के बाहर व आसपास होता है

20 व्हीकल इंश्योरेंस डेली फर्जी बनवाते हैं लोग

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'अभी तक इस तरह की कोई जानकारी नहीं है। आपके माध्यम से पता चला है। इसकी जांच कराई जाएगी। अगर कोई दोषी पाया जाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.'

संजय सिंह, आरटीओ प्रशासन