कानपुर (ब्यूरो)। किडनी के गंभीर पेशेंट को रीनल बायोप्सी जांच कराने के लिए दिल्ली व लखनऊ के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। जांच जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट में ही हो सकेगी। इसकी तैयारी जीएसवीएम के प्रिंसिपल व पैथोलॉजी के एचओडी ने शुरू कर दी है। प्रिंसिपल ने बताया कि रीनल बायोप्सी जांच की सुविधा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में शुरू होने से सैकड़ों किडनी पेशेंट को राहत मिलेगी।

गंभीरता जानने को होती
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलॉजिस्ट के मुताबिक किडनी की बीमारी की गंभीरता को जानने के लिए पेशेंट की रीनल बायोप्सी की जांच कराई जाती है। ट्रीटमेंट के दौरान कई बार यह जांच होती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में किडनी की नार्मल जांच ही यहां कराई जाती है। रीनल बायोप्सी की स्पेशल जांच के लिए पेशेंट को लखनऊ एसजीपीजीआई जाना पड़ता है।

एक्सपर्ट की क्लास ले बताई गंभीरता
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। महेंद्र सिंह ने बताया कि बीते दिनों एसजीपीजीआई के एक्सपर्ट डॉ। रामनवल राव ने किडनी बायोप्सी की जांच को लेकर पीजी स्टूडेंट्स को कई अहम जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि वर्कशाप के माध्यम से पीजी स्टूडेंट्स को तैयार कर एसजीपीजीआई की मदद से जीएसवीएम में भी किडनी बायोप्सी की जांच कराई जाएगी।

डेली ओपीडी में आते 50 पेशेंट
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट डॉ। समीर गोविल ने बताया कि हैलट के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी की डेली ओपीडी में शुरू हो चुकी है। जिसमें डेली किडनी के 50 से अधिक पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए आते हैं। इनमें 15 से अधिक पेशेंट की रीनल बायोप्सी जांच की जररूत पड़ती है। हॉस्पिटल में सुविधाओं के अनुसार उनकी नार्मल जांच कर ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाता है।