कानपुर (ब्यूरो)। जबरदस्त गर्मी के पॉवर की डिमांड बढ़ती जा रही है। साथ ही कई एरिया में लो वोल्टेज की समस्या भी गहराने लगी है। पॉवर क्राइसिस के बीच लो वोल्टेज और फ्लक्चुएशन की प्रॉब्लम ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है या यूं कहें कि केस्कों ने कानपुराइट्स की रातों की नींद और दिन का चैन छीन लिया है। आलम यह है कि लोग लो वोल्टेज के कारण डिम लाइट, स्लो स्पीड में चल रहे व वोल्टेज स्टेबलाइजर की फोटो व वीडियो के साथ केस्को के एक्स एकाउंट पर शेयर कर रहे हैं। रात को लो वोल्टेज व फ्लक्चुएशन की समस्या बढ़ जाने से लोगों की नींद उड़ी हुई है।

बढ़ रही ओवरलोडिंग प्रॉब्लम
केस्को के सिटी में लगभग 7057 हजार से अधिक डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं। जिनके जरिए घर, ऑफिस, मार्केट आदि में पॉवर सप्लाई करता है। हीटवेव के बीच पारा 45 डिग्र्री सेल्सियस को पार कर गया है। पंखे, कूलर सुकून नहीं दे पा रहे हैं। घर, ऑफिस, शॉप्स व शोरूम में दिन-रात एसी चल रहे हैं। इसी वजह से पॉवर की डिमांड लगातार 700 मेगावॉट के करीब चल रही है। वहीं, अब तक 60 परसेंट ट्रांसफार्मर ओवरलोड हो गए हैं। केवल मंडे को ही 405 ट्रांसफार्मर ओवरलोड का शिकार हुए थे। ओवरलोडिंग की समस्या दूर करने के लिए केस्को ने आसपास के ट्रांसफार्मर लोड डिवाइड करना शुरू कर दिया है। साथ ही नए सर्किट भी बना रहा है।

ट्रांसमिशन से भी कम वोल्टेज
पॉवर की डिमांड अधिक होने की वजह से भी लो वोल्टेज की समस्या भी बढ़ जाती है। करीब दो साल पहले तत्कालीन केस्को एमडी अनिल ढींगरा के पास पहुंची शिकायतों में सबसे अधिक प्रॉब्लम लो वोल्टेज की आई थी। तब उन्होंने सर्वे कराया था। सर्वे में सामने आया था कि लो वोल्टेज की वजह ट्रांसफार्मर की खराब हो चुकी अर्थिंग और ओवरलोडिंग है। उन्होंने लोड बाईफरगेशन के साथ सर्वे में मिले ट्रांसफार्मर्स की डीपबोर पाइप अर्थिंग कराए जाने का आदेश दिया था। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के बिजनेस प्लान में 1000 ट्रांसफार्मर्स की डीप बोर अर्थिंग का प्रपोजल भी शामिल किया गया था। इधर जबरदस्त गर्मी के बीच पॉवर डिमांड बढऩे के साथ ही ट्रांसमिशन एंड से वोल्टेज कम हो गया। केस्को के मीडिया प्रभारी श्रीकांत रंगीला ने बताया कि ट्रांसमिशन से भी वोल्टेज कम मिल रहा है।

वाटरलेवल कम होने से बढ़ी समस्या
केस्को इम्प्लाइज के मुताबिक सिटी का ग्र्राउंड वाटर लेवल लगातार गिरता जा रहा है। खासतौर पर सोसाइटी वाले में ग्र्राउंड वाटर अधिक गिर रहा है। इसी वजह से पॉवर डिमांड बढऩे पर ऐसे इलाकों में समस्या अधिक आ रही है।