कानपुर (ब्यूरो)। पॉल्यूटेड ड्रिकिंग वाटर कई गंभीर बीमारियों की जड़ है। कई बार वाटरबॉर्न डिसीज जानलेवा तक साबित हो चुकी है। इसी वजह से ड्रिकिंग वाटर को लेकर लोग अलर्ट हो गए हैं। प्योर ड्रिकिंग वॉटर के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। कानपुराइट्स वाटर प्यूरीफायर, रिवर्स आस्मोसिस (आरओ), वाटर एटीएम, पैकेज्ड आदि ड्रिकिंग वाटर इस्तेमाल करते हैं। इसी वजह से आरओ ड्रिकिंग वाटर का बिजनेस करोड़ों रुपए प्रति वर्ष का हो चुका है। इसकी एक वजह ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस भी है। ये हाल तब है जबकि जलकल ने बीते फाइनेंशियल ईयर में वाटर सप्लाई पर करीब 100 करोड़ खर्च किए हैं।

ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस
सिटी में वाटर सप्लाई की जिम्मेदारी जलकल डिपार्टमेंट के पास है। जलकल की रिपोर्ट के मुताबिक 780 स्क्वॉयर किलोमीटर में फैले नगर निगम एरिया के 20 परसेंट हिस्से में उसका वाटर सप्लाई नेटवर्क नहीं है। इसी वजह से 600 की जगह केवल 448 एमएलडी ट्रीटेड ड्रिकिंग वाटर ही सप्लाई कर पाता है। इसके लिए गंगा बैराज, बेनाझाबर, गुजैनी में ट्रीटमेंट प्लांट लगे हुए हैं, सिटी में 41 जोनल पम्पिंग स्टेशन के जरिए घरों तक पानी सप्लाई किया जाता है। कुल मिलाकर गंगा बैराज, भैरवघाट, दादा नगर कैनाल में बने इंटेक प्वाइंट से रॉ वाटर लेकर उसके ट्रीटमेंट और घर तक सप्लाई में हर वर्ष लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं। इसमें से केवल बिजली खर्च ही लगभग 36 करोड़ रुपए प्रति वर्ष है।

पाल्यूटेड वाटर की सप्लाई
जलकल की अंग्र्रेजों के जमाने जर्जर व लीकेज वाटर लाइनें के पाल्यूटेड वाटर सप्लाई का कारण बनती हंै। फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में करीब 2 हजार से स्थानों पर जलकल की वाटर लाइन लीकेज हुई थी। वहीं बीते फाइनेंशियल ईयर में जनवरी तक ये संख्या 1400 के लगभग रही। जलकल में लोग गन्दे और बदबूदार पानी की शिकायतें किया करते हैं।

ग्र्राउंड वाटर में भी पाल्यूशन
रामपुरम, मंगला विहार, सनिगवां, गोपाल नगर, ताज नगर, भाभा नगर, आनन्द नगर आदि जिन इलाकों में जलकल का वाटर सप्लाई नेटवर्क नहीं है, वहां लोग सबमर्सिबल के जरिए ग्र्राउंड वाटर का यूज करने को मजबूर हैं। पिछले वर्ष की जलकल व आईआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्र्राउंड वाटर में सिटी के कई एरिया में नाइट्रेट, ईकोलाई बैक्टीरिया ही नहीं घातक यूरेनियम तक पाया जा चुका है। आनन्द नगर, ग्वालटोली, जूही बम्बुरिया आदि इलाकों में डायरिया फैल गया था तीन लोगों की मौत हो गई थी। 200 से अधिक लोग बीमार हो गए थे।

ऑफिस, मार्केट्स में वाटर केन
ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस और पाल्यूटेड वाटर सप्लाई से बचने के लिए लोग वाटर एटीएम से पानी खरीद रहे। किदवई नगर, मोतीझील, जवाहर नगर, कल्याणपुर, रेलबाजार आदि मोहल्लों को मिलाकर सिटी में दो दर्जन से अधिक स्थानों में वाटर एटीएम लग चुके हैं। इसी तरह सिटी में 100 से अधिक अधिक आरओ व पानी पाउच प्लांट लग चुके हैं, जहां से मार्केट, ऑफिस, घरों आदि में ड्रिकिंग वाटर के रूप से वाटर केन सप्लाई की जाती है। साकेत नगर सहित 3 स्थानों पर अक्षय जल केन्द्र भी हैं। कई आरओ प्लांट बिना लाइसेंस के चल रहे हैं। आरओ वाटर के नाम पर केवल ठंडा पानी दिया जा रहा है।

पैकेज्ड ड्रिकिंग वाटर
ड्रिकिंग वाटर को लेकर लोगों की अलर्टनेस का फायदा लोकल व नेशनल लेवल की मल्टीनेशनल कम्पनीज भी उठा रही है। उन्होंने 200, 250 व 500 मिलीलीटर(एमएल) ही नहीं एक व दो लीटर की पानी की बोतलें मार्केट भी उतार रखी है। गर्मियों में पैकेज्ड ड्रिकिंग वाटर की डिमांड कई गुना तक बढ़ जाती है। हालांकि अन्य दिनों में लोग दूषित पानी से बचने और अपनी प्यास बुझाने के लिए पैकेज्ड ड्रिकिंग वाटर का इस्तेमाल करते हैं। हाल ये है कि घर से बाहर निकलने पर अगर आपको शुद्ध पानी पीना है तो जेब ढीली किए बिना इसका मिलना मुश्किल है।

वाटर सप्लाई में खर्च(जलकल)-- 100 करोड़ से अधिक
वाटर केन -- 25 से 40 रुपए प्रति केन
वाटर एटीएम-- 20 रुपए प्रति 20 लीटर तक
अक्षय जल-- 7 रुपए प्रति 20 लीटर तक
पानी के पाउच-- 2 से 3 रुपए (200 एमएल)

पैकेज्ड ड्रिकिंग वाटर
एक लीटर -- 20 रुपए
आधा लीटर-- 10 रुपए
200-250 एमएल--5 से 7 रुपए