कानपुर (ब्यूरो)। आने वाले समय में प्राइवेट पॉवर सप्लाई कम्पनीज की तरह केस्को का सिस्टम भी हो सकता है। पॉवर सप्लाई और रेवेन्यू की अलग-अलग पूरी विंग हो सकती है। कन्ज्यूमर सर्विसेज को लेकर भी बदलाव हो सकता है। जिससे कानपुराइट्स को 24 घंटे कांटीन्यू पॉवर सप्लाई मिल सके। फॉल्ट व ब्रेकडाउन पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी मेंटीनेंस वक्र्स समय रहते हो जाएं। जिससे फाल्ट न हो और हो भी तो जल्दी से जल्दी बन सके। वहीं रेवेंयू वसूली के लिए अलग ऑफिसर व इम्प्लाई होंगे, जो कि हर महीने 100 परसेंट बिलिंग व रेवेन्यू वसूलने की जिम्मेदारी संभालेंगे। इसके संकेत मंडे को सिटी आए यूपीपीसीएल के चेयरमैन आशीष गोयल दे गए। केस्को ऑफिसर अब इसकी प्लानिंग में जुट गए हैं। ऑफिसर सिस्टम समझने के लिए प्राइवेट कम्पनीज का दौरा भी कर रहे हैं.
टारगेट के साथ फाइनेंशियल हेल्प
दरअसल सेंट्रल गवर्नमेंट पहले ही इंटीग्र्रेटेड पॉवर सप्लाई स्कीम के अन्र्तगत केस्को को लगभग 370 करोड़ रुपए दे चुकी है। इधर सेंट्रल गवर्नमेंट रिवैम्प्ड डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर स्कीम के अन्र्तगत सिटी में 500 करोड़ से अधिक के कार्य हो रहे हैं। इसी स्कीम के दूसरे पार्ट मॉडर्नाइजेशन में केस्को ने करीब 1100 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया है। ऑफिसर्स के मुताबिक फाइनेंशियल हेल्प के साथ सेंट्रल गवर्नमेंट ने पॉवर सप्लाई, लाइनलॉस, इलेक्ट्रिसिटी थेफ्ट आदि का टारगेट भी दे रखा है। साथ ही कन्ज्यूमर सर्विसेज व कॉमर्शियल को लेकर ग्र्रेडिंग भी कर रही है.
सिस्टम समझने को कर रहे दौरा
इसी वजह से यूपीपीसीएल के ऑफिसर भी सिस्टम में बदलाव कराने की तैयारी कर रहे हैं। मंडे को सिटी आए यूपीपीसीएल के चेयरमैन आशीष गोयल ने केस्को ऑफिसर्स के साथ मीटिंग की थी। जिसमें उन्होंने सिस्टम में बदलाव को लेकर संकेत भी दिए थे। इस मीटिंग में केस्को एमडी सैमुअल पॉल एन, डायरेक्टर राकेश वाष्र्णेय, चीफ इंजीनियर सुनील गुप्ता आदि ऑफिसर मौजूद थे। शायद यही वजह है कि केस्को ऑफिसर ने आगरा, नोएडा, दिल्ली, मुबंई आदि शहरों में पॉवर सप्लाई कर रही प्राइवेट कम्पनीज का दौरा कर रहे हैं।
कन्ज्यूमर व सबस्टेशन बढ़े, इम्प्लाई घटे
केस्को इम्प्लाइज के मुताबिक हर वर्ष एरिया बढऩे के साथ इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शंस की संख्या बढ़ती जा रही है। अब संख्या 7 लाख के पार हो चुकी है। वहीं केस्को सबस्टेशंस की संख्या भी बढक़र 84 हो गई है। रिटायरमेंट के कारण इम्प्लाइज की संख्या घटती जा रही है। अब समूह ग व घ के इम्प्लाइज की संख्या 3064 से घटकर 1257 के लगभग रह गई है। इसी तरह जूनियर इंजीनियर, असिसटेंट इंजीनियर, एक्सईएन भी स्वीकृत पद से कम हैं.
एक इम्प्लाई के पास कई काम
केस्को इम्प्लाइज के जूनियर इंजीनियर के पास सबस्टेशन से जुड़े एरिया में पॉवर सप्लाई, फाल्ट, ब्रेकडाउन को अटैंड कराने की जिम्मेदारी होती थी। इसके साथ नए कनेक्शन के लिए सत्यापन से मीटर लगवाने तक काम होता है। यही नहीं रेवेंयू वसूली, डिसकनेक्शन सहित अन्य काम शामिल होते है। साथ ही ओटीएस, केस्को आपके द्वार, मेंटीनेंस माह आदि ड्राइव में शामिल होना होता है। कमोवेश यही हाल असिसटेंट इंजीनियर होता है। इसी वजह से नए सिस्टम में इम्प्लाइज की संख्या भी बढऩे की उम्मीद हो गई है। जिससे अलग-अलग कन्ज्यूमर सर्विसेज के लिए अलग-अलग विंग बनाई जा सके।