हाथ-पैर जोड़े फिर भी नहीं पसीजे

बर्रा के फत्तेपुर गोही में रहने वाले दिनेश तिवारी एलआईसी एजेंट है। दिनेश का 13 साल का बेटा राजन क्लास-6 में पढ़ता था। संडे को वह मोहल्ले के बच्चों राजा, सुनील, मोनू, छुन्नर, गोपी आदि के साथ प्राइमरी स्कूल में क्रिकेट मैच खेलने गया था। उसके साथ शिव करन भदौरिया का 14 साल का बेटा सुशील भी था। मैच के बाद दोपहर करीब 1.40 बजे राजन और सुशील पास के तालाब में नहाने चले गए। नहाते वक्त सुशील का बैलेंस बिगड़ गया और वो गहरे पानी में डूबने लगा। राजन ने उसको बचाने की कोशिश की, तो वह भी डूबने लगा। दोनों को डूबता देख बच्चों ने शोर मचाया। शोर सुनकर पिकेट पर तैनात सिपाही मौके पर पहुंचे लेकिन मामला देखकर चुपचाप लौट गए। बच्चों का कहना है कि उन्होंने सिपाहियों के हाथ-पैर भी जोड़े लेकिन वो नहीं पसीजे। सिपाही तालाब में उतरने से इसलिए बचते रहे कि वर्दी खराब हो जाएगी।

टूट गईं सांसें

घटना की सूचना मिलते ही सुशील के चाचा संतोष ने तालाब में छलांग लगा दी। काफी कोशिश के बाद वो दोनों बच्चों को बाहर तो निकाल पाए, लेकिन तब तक उनकी सांसें टूट चुकी थीं। संतोष सेना में जवान हैं और छुट्टियों पर घर आए हुए हैं। बच्चों की डेडबॉडी देखकर बच्चों के परिजन और क्षेत्रीय लोग भडक़ गए। पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाकर नारेबाजी व हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद सीनियर ऑफिसर्स कई थानों का फोर्स लेकर पहुंच गये। अफसरों ने समझाकर लोगों को शांत कराया।

अवैध खनन से बना तालाब

शहर में बाहरी इलाकों मे अवैध खनन से जानलेवा गड्ढे बने गए है। जिनमें बारिश का पानी जमा होने से वे गहरे तालाब बन गए हैं। इसी तरह का तालाब फत्तेपुर गोही में है, जहां गहरे पानी में डूबने से दोनों बच्चों की मौत हो गई। एक साल पहले भी इसी तालाब में एक बच्चे की डूबने से मौत हो गई थी।