कानपुर (ब्यूरो)। एनईपी के तहत पीजी स्टूडेंट्स को रिसर्च डिसर्टेशन बनाने की लास्ट डेट को 30 अप्रैल से बढ़ाकर 15 जून तक दिया गया है। इसके अलावा 50-100 की संख्या की बाध्यता को खत्म करते हुए 20-50 पेज कर दिया गया है। ट्यूसडे इवनिंग को सीएसजेएमयू के अफसरों और कॉलेजों के प्रिंसिपल के बीच हुई मीटिंग में यह डिसीजन लिया गया है। सीएसजेएमयू से एफिलिएटेड कालेजों में एनईपी के तहत पीजी की पढ़ाई कर रहे लास्ट सेमेस्टर के स्टूडेंट्स को डिसर्टेशन बनाने में आ रही प्राब्लम और डिसर्टेशन के विषय में न बताए जाने की न्यूज को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिस पर यूनिवर्सिटी ने खबर का संज्ञान लेते हुए स्टूडेंट्स की प्राब्लम को ध्यान में रखते हुए यह डिसीजन लिया गया है।

प्लेगरिज्म रहेगा लागू
डिसर्टेशन बनाने की डेट भले ही बढ़ गई हो लेकिन स्टूडेंट्स को इसको बनाने में ईमानदारी बरतनी होगी। डिसर्टेशन बनने के बाद स्टूडेंट्स और मेंटर टीचर को प्लेगरिज्म सर्टिफिकेट लगाना कंपलसरी है। प्लेगरिज्म 10 परसेंट से ऊपर नहीं होना चाहिए। इतना करने के बाद डिसर्टेशन की एक कापी को कालेज में जमा करना होगा और एक कापी को यूनिवर्सिटी के पोर्टल पर अपलोड कराना होगा। बताते चलें कि प्लेगरिज्म वह चीज है जो किसी भी कंटेंट में साहित्यिक चोरी को बताती हैैं। इसका मतलब यह है कि डिसर्टेेशन बनाने मेें 10 परसेंट से ज्यादा कंटेंट इंटरनेट से नहीं उठाया जा सकता है। प्लेगरिज्म को चेक करने के लिए ओपेन सोर्स साफ्टवेयर का यूज करना है, जिसको वेडनसडे को यूनिवर्सिटी की ओर से बताया जाएगा।

डीन एकेडमिक्स के लेटर के बाद मची थी हलचल
रिसर्च डिसर्टेेशन बनाने को लेकर सिटी के कुछ कालेज तो गंभीर रहे, वहीं कुछ कालेजों ने जमकर लापरवाही बरती है। चार अप्रैल को डीन एकेडमिक्स की ओर से डिसर्टेशन को लेकर जारी हुई गाइडलाइन के बाद टीचर्स एक्टिव हुए और आनन फानन में स्टूडेंट्स को डिसर्टेशन बनाने के लिए कहा गया, जिससे स्टूडेंट्स को प्राब्लम का सामना करना पड़ रहा था। अब लास्ट डेट बढऩे के बाद स्टूडेंट्स ने राहत की सांस ली है।

क्या है रिसर्च डिसर्टेशन
एनईपी के तहत पीजी लास्ट ईयर में स्टूडेंट्स को रिसर्च डिसर्टेशन बनाना है। इसके लिए टीचर की सहमति से एक टॉपिक को सिलेक्ट करके उस पर रिसर्च की जानी है। इस काम को पहला चरण सेकेंड सेमेस्टर मे सिनोप्सिस के रुप में स्टूडेंट्स को सबमिट करना है।