कानपुर (ब्यूरो)। स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग में नंबर वन आने के लिए नगर निगम शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए दावे तो बड़े बड़े करता है लेकिन इन दावों में हकीकत कम हवा ज्यादा है। नगर निगम व प्राइवेट कम्पनी के बीच खींचतान की वजह से पनकी भौ सिंह स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में लिगेसी वेस्ट (पुराना कचरा) डिस्पोजल का काम कई महीनों से ठप पड़ा है। जिससे प्लांट के आसपास लगे कचरे के पहाड़ों का खत्म होना मुश्किल हो गया है। वहीं एरिया में बीमारियां फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है। गार्बेज डिस्पोजल न होने से उससे तैयार होने वाली ब्रिक्स, बॉयोडीजल, कम्पोस्ट आदि का भी प्रोडक्शन भी बंद हो गया है। कचरे के पहाड़ शहर की खूबसूरती पर दाग तो लगा ही रहे हैं। इसका सीधा असर स्वच्छता सर्वेक्षण रैकिंग पर भी पड़ेगा।

इन प्वाइंट पर पिछड़ रहा
सिटी में सफाई को लेकर तेजी से काम हो रहा है। लेकिन, कई ऐसे प्वाइंट हैं जहां शहर पिछड़ रहा है। सबसे बड़ा चैलेंज डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन और पनकी स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट (डंपिंग यार्ड) में लगे गार्बेज के पहाड़ों को खत्म करना है। इसको देखते हुए पिछले वर्ष नगर निगम ने भाऊ सिंह स्थित प्लांट में लिगेसी वेस्ट डिस्पोजल का काम शुरू किया था। लगभग 2.5 लाख टन लिगेसी वेस्ट का डिस्पोजल भी किया जा चुका है। इससे कूड़े के पहाड़ खत्म हो रहे थे। साथ ही कचरे से कम्पोस्ट, बॉयोडीजल, ब्रिक्स आदि भी बनाया जा रहा था। इन्हीं वजहों से स्वच्छता सर्वेक्षण में कानपुर को थ्री स्टार रेटिंग और यूपी में 5वीं रैंक मिली है। अगर कूड़े का निस्तारण तेजी से हो रहा होता तो यह रैकिंग और अच्छी हो सकती थी।

भुगतान न होने से
लिगेसी वेस्ट डिस्पोजल करने वाली कंपनी के इम्प्लाइज के मुताबिक, कंपनी का तीन करोड़ रुपये का पेमेंट न होने और नगर निगम की अनुमति न मिलने के चलते 6 महीने से कूड़े के निस्तारण का काम बंद है। पुराने कचरे प्लांट का संचालन कर रही नोएडा की कंपनी मे। इकोस्टेन इंफ्रा प्रा। लि। ने काम को बंद करने के संबंध में जानकारी दी है। कंपनी ने नगर निगम को पत्र लिखा है कि भुगतान न होने की वजह से काम बंद हो गया है। उनका कहना है कि लिगेसी वेस्ट प्रोसेसिंग से उत्पन्न इलेर्ट, कंपोस्ट व सीएंडडी वेस्ट का पूरा डिस्पोजल कर दिया है, सिर्फ आरडीएफ (प्लास्टिक पॉलीथिन और च्वलनशील कचरा) का डिस्पोजल ही बाकी है।

बंदी से मशीनें हो रहीं खराब
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी की ओर से वेईंग और ट्रोमल मशीन लगाई गई है। प्लांट बंद होने की वजह से मशीन भी काम नहीं कर रही है। लंबे समय से बंदी के चलते मशीनें खराब हो रही हैं। काम शुरू करने को लेकर भी नगर निगम निर्देश नहीं दे रहा है। इसलिए हमने मशीनों को हटाने की अनुमति मांगी है।

ऐसे होता था लिगेसी वेस्ट का निस्तारण
ट्रोमल मशीन के माध्यम से विभिन्न साइज औैर विभिन्न प्रकार के पुराने कचरे को अलग-अलग किया जाता था। कचरे में मिलने वाली वस्तु जैसे प्लास्टिक, पॉलीथिन, कागज, लोहा को छांटकर उपयोग किया जाता है। मिट्टी और कंक्रीट को भी अलग-अलग किया जाता है। लिगेसी वेस्ट से निकलने वाले प्लास्टिक से बायोडीजल बनाया जाता है।


सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में लिगेसी डिस्पोजल का काम कांट्रैक्ट कंपनी ठीक से नहीं कर पा रही है। एनजीटी के मानक के आधार पर प्लास्टिक वेस्ट का डिस्पोजल न हो पाने से उनका पेमेंट रोका गया है।
-आरके सिंह, प्रोजेक्ट इंचार्ज, नगर निगम

गार्बेज पर एक नजर
1200 टन डेली निकलता है गार्बेज
900 मीट्रिक टन गार्बेज कलेक्शन कर पाता है नगर निगम
150 टन इसमें से निकलता प्लास्टिक गार्बेज
300 टन- रोड आदि जगहों पर गार्बेज फैला रहता
11.5 लाख टन- लिगेसी गार्बेज पहले जमा था
2.5 लाख टन- लिगेसी गार्बेज का डिस्पोजल किया जा चुका है।

यह भी जानें
सिटी में मकान - 4 लाख 65 हजार
गार्बेज कलेक्शन होता - 35 फीसद वार्ड से
प्रॉपर्टी टैक्स आता - 230 करोड़ रुपये
कूड़ा निस्तारण प्लांट - भाऊसिंह पनकी
सफाई कर्मचारी - 5600 के करीब
कर्मचारी चाहिए - 10 हजार


110 वार्ड हैं टोटल सिटी में (नगर निगम एरिया)
1400 टन - गार्बेज रोज निकलता सिटी में
900 - टन गार्बेज का ही होता है कलेक्शन
90- वार्ड से डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन
30- वार्ड से गीला सूखा गार्बेज का अलग-अलग कलेक्शन
450- व्हीकल की जरूरत घर-घर से गार्बेज कलेक्शन के लिए
300 -छोटे व्हीकल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अभी खरीदे गए
150 -व्हीकल स्मार्ट सिटी से और खरीदे जाने की हो रही तैयारी
265 - गार्बेज सेंटर बनाए गए हैं सिटी में
70 - छोटे व्हीकल( छोटा हाथी) कर रहे डोर टू डोर कलेक्शन
66 -व्हीकल(बड़े ट्रक) गार्बेज ट्रांसपोर्टेशन के लिए लगाए गए