- सीएम के आदेश के बाद लॉकडाउन के दौरान कानपुर में दर्ज हुए 12,226 मुकदमे वापस लेने की तैयारी

- जिन लोगों को वाहन सीज करने और दुकानों को सील करने में नोटिस भेजे गए थे, उन्हें भी राहत मिलेगी

KANPUR: लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करने पर हजारों कानपुराइट्स पर दर्ज हुए मुकदमे अब वापस हो सकते हैं। सीएम की ओर से लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में प्रदेश भर में दर्ज हुए 2.5 लाख मुकदमों को वापस लेने के शासन के फैसले के बाद कानपुराइट्स के लिए भी नई उम्मीद जगी है। इन मुकदमों के अलावा लॉकडाउन के दौरान वाहनों को सीज करने और दुकानों को सील करने की कार्रवाई में जिन लोगों को नोटिस भेजे गए थे, उन्हें भी राहत मिलेगी। अब पुलिस अधिकारी शासन के इस फैसले के बाबत नोटिफिकेशन आने का इंतजार कर रहे हैं। जिसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।

धारा-188 के तहत

24 मार्च से 31 मई 2020 के बीच लॉकडाउन के दौरान पुलिस की ओर से सिर्फ कानपुर जिले में ही 12,226 मुकदमे दर्ज किए गए थे। ज्यादातर मामलों में धारा-188 के उल्लंघन के आरोपों के तहत पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके अलावा पुलिस ने वाहनों को सीज करने के साथ ही लॉकडाउन के दौरान कालाबाजारी करने के आरोप में भी कार्रवाई की थी। डीआईजी डॉ.प्रीतिंदर सिंह से मिली जानकारी के मुताबिक शासन से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। नोटिफिकेशन से यह बात भी साफ होगी कि किन धाराओं में दर्ज मामलों को वापस लेना है। उसी के मुताबिक रिपोर्ट तैयार कर शासन को इसकी जानकारी देंगे।

लॉकडाउन में पुलिस की कार्रवाई-

12,226- मुकदमे पुलिस ने दर्ज किए लॉकडाउन उल्लंघन के आरोपों में कानपुर में

15,361- मुकदमे दर्ज हुए पूरे कानपुर रेंज में

5656- वाहन सीजन किए गए कानपुर में

42- दुकानदारों के खिलाफ कालाबाजारी व अन्य धाराओं में हुई कार्रवाई

3.61 लाख- रुपए का जुर्माना वसूला पुलिस ने मास्क नहीं लगाने पर रेंज में।

क्या है आईपीसी की धारा 188

आईपीसी की धारा 188 के तहत सरकार या सरकारी अधिकारी की ओर से दिए गए कानूनी आदेशों का उल्लंघन करते है या आपकी किसी हरकत से कानून व्यवस्था में लगे शख्स को नुकसान पहुंचता है तो ऐसे मामले में कम से कम 1 महीने की जेल या 200 रूपए जुर्माना हो सकता है। दोनों सजा भी हो सकती है। वहीं अगर सरकार के आदेश का उल्लंघन करने में मानव जीवन सुरक्षा एवं स्वास्थ्य को खतरा होता है तो कम से कम 6 महीने की जेल या एक हजार जुर्माना या फिर दोनों ही सजा हो सकती है।