कानपुर (दिव्यांश सिंह)। सावन के महीने में भोले बाबा का महिमा मंडन और पूजा अर्चना हर शिवायल मेें हो रहा है। माना जाता है कि इस महीने में बाबा अपने भक्तों की हर बात को जल्दी सुनते हैैं। इसी महीने में हम कानपुर के एक ऐसे मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैैं। जहां पर एक नहीं पूरे 151 शिवलिंग आपकी मनोकामना पूरी करने के लिए हैैं। शहर के रुरल एरिया चौबेपुर के तरी पाठकपुर गांव में गंगा किनारे स्थित अखंड मनकामेश्वर धाम में भोले शंकर के 151 शिवलिंग स्थापित हैैं। यहां पर एक शिवलिंग का आकार लगभग 12 फिट है। यह शिवलिंग भूतल में स्थापित है, लेकिन इसकी ऊंचाई के चलते इसकी पूजा के लिए भक्तों को पहले तल पर जाना पड़ता है। गंगा किनारे स्थित यह मंदिर आसपास के भक्तों की आस्था का केंद्र है।

1995 में सुरेशानंद महाराज ने की थी स्थापना
गंगा किनारे एक विशाल परिसर मेें बने इस मंदिर की स्थापना साल 1995 में बलिया से आए सुरेशानंद महाराज ने की थी। बताया जाता है कि महाराज ने पहले गंगा किनारे तप किया बाद में तरी पाठकपुर में खाली पड़ी जमीन पर मंदिर की स्थापना की। इस मंदिर को सुरेशानंद आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। साल 2009 में महाराज के निधन के बाद से इस मंदिर की रखवाली और पूजारी का काम राम लखन सिंह के हवाले है। मंदिर में एक ओर सुरेशानंद महाराज की प्रतिमा भी गुरु स्थान मेें लगी है। इस प्रतिमा की भी रोजाना आरती होती है।

कुछ ऐसा है मंदिर
मंदिर की शुरुआत में सबसे पहले आपको भोलेबाबा के दर्शन होंगे। भगवान शिव के मंदिर वाले हिस्से में चारों ओर काले रंग के 100 और अंदर की ओर सफेद रंग के 50 शिवलिंग हैैं। इसके साथ ही सबसे बड़े लगभग 12 फिट के आकार वाले शिवलिंग को मिलाकर कुल 151 शिवलिंग है। आप बाबा के 151 नामों की अलग अलग शिवलिंग पर पूजा अर्चना करते हुए अपनी आराधना को पूरा कर सकते हैैं।


मंदिर में हैैं विविधता का संगम
हमारे जीवन में अक्सर विविधता की बात की जाती है। ऐसे में इस मंदिर में देवी देवताओं की विविधता देखने को मिलती है। यहां एक नहीं बल्कि कई देवी देवताओं की विशाल प्रतिमा मौजूद है। भगवान शिव के अलावा वह कौन कौन से देवी देवता और ऋषि मुनि हैैं जो यहां मौजूद हैैं। नीचे लिखी लिस्ट मेें जानिए।

1 - मां गंगा
2 - शेषनाग पर आराम करते भगवान विष्णु साथ में मां लक्ष्मी और नाभी से निकलते ब्रह्मïा जी
3 - मां दुर्गा के नौं रुप
4 - माता लक्ष्मी, विष्णु भगवान, देवराज इंद्र, भोलनाथ और मां दुर्गा
5 - सप्तऋषि मंडल
6 - भगवान महावीर, ब्रह्मïा जी और सूर्यदेव
7 - मां अन्नपूर्णा और भोलेनाथ
8 - महर्षि बाल्मीकि और लवकुश
9 - नंदी पर सवार शिव परिवार
10 - राम दरबार
11 - हनुमान जी
12 - हवन कुंड

सोमवार को रहती भक्तों की भीड़, नेता भी आते
मंदिर की देखभाल और पूजा करने वाले राम लखन सिंह ने बताया कि सोमवार के दिन भक्तों की भीड़ रहती है। गंगानदी से गंगाजल को लाकर भक्त शिवलिंग पर चढ़ाते हैैं। भक्तों की ओर से चढ़ाए गए चढ़ावे से साल में तीन बार भंडारा होता है। इसके अलावा सांसदी, विधायकी और प्रधानी के चुनाव में प्रत्याशी बाबा से समर्थन मांगने आते हैैं। ऐसी मान्यता है कि यदि बाबा ने समर्थन दे दिया तो चुनाव की नैया पार लग जाती है।

कोई फीस नहीं
इस मंदिर में इनकम का साधन केवल भक्तों की ओर से चढ़ाया जाने वाला चढ़ावा है। यहां रुद्राभिषेक, हवन या किसी अन्य पूजा की कोई भी फीस तय नहीं है। आपको स्वयं की सामग्री लाकर पूजा करनी है और दक्षिणा स्वरुप श्रद्धा से कुछ भी महंत को देना है। यहां पर महंत, पूजारी और केयर टेकर राम लखन सिंह अपनी पत्नी संग रहते हैैं।


क्या है मान्यता
इस मंदिर की मान्यता है कि सच्चे मन से मां गंगा के जल को सभी 151 शिवलिंग पर चढ़ाने और स्पर्श करने से कष्ट दूर हो जाते हैैं। कुछ भक्त ऐसे हैैं जो कि मन्नत पूरी होने पर रुद्राभिषेक, हवन या भंडारा आदि कराते हैैं।


बोलो पुजारी


मंदिर को 1995 में स्वामी श्री सुरेशानंद महाराज ने बनवाया था। 2009 मेें उनके निधन के बाद से मैैं मंदिर की सेवा कर रहा हूं। यहां पर किसी भी पूजा आदि का कोई तय शुल्क नहीं लिया जाता है। बाबा भक्तों की सभी समस्या को दूर करते हैैं।
राम लखन सिंह, पूजारी