- जय बाजपेई के खिलाफ कार्रवाई न करने पर बनेंगे निशाना

- एसआईटी ने शस्त्र लाइसेंसों को मामले को लिया गंभीरता से

KANPUR : बिकरू कांड में अभी तमाम अफसरों पर गाज गिरना बाकी है। इसमें लखनऊ में तैनात एक एसपी हैं। कानपुर में उनका लंबा कार्यकाल रहा। तत्कालीन आईजी ने एक के बाद एक चार जांचे जय बाजपेई की उनको सौंपी थी लेकिन किसी में भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। तथ्यों और गवाहों के आधार पर एसआईटी की जांच में एसपी दोषी पाए गए हैं। उन पर भी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

अपराधिक इतिहास होने के बावजूद

अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने जय बाजपेई के खिलाफ आईजी से शिकायत की थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि अपराधिक इतिहास होने के बावजूद जय लाइसेंसी असलहे रखता है। इसके अलावा कई अन्य आरोप भी लगाए थे। इससे संबंधित चार शिकायत की गई थीं। इन सभी जांचों को आईजी ने शहर में तैनात एक सीओ एलआइयू (वर्तमान में लखनऊ में तैनात एसपी) को सौंप दी थी। किसी भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब जब बिकरू कांड की जांच में सौरभ के बयान हुए तो उन्होंने ये पूरा मामला बता कागजात सौंपे। सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने जय को संरक्षण और शह देने में एसपी को भी दोषी माना है। दरअसल एसआईटी ने जांच में शस्त्र लाइसेंसों के मामलों को बहुत ही गंभीरता से लिया है। इसमें दर्जनों पुलिसकर्मी नपेंगे।

बराबर के दोषी हैं एसपी ग्रामीण

एसआईटी ने तत्कालीन एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह को दोषी पाया है। एसपी प्रद्युम्न सिंह का करीब दो साल का कार्यकाल रहा। चौबेपुर क्षेत्र उन्हीं के क्षेत्र में आता था। विकास दुबे को टॉप-10 में शामिल न करना, केस से धारा कम करना और उसकी जमानत खारिज न कराने पर एसआईटी ने जिस तरह से तत्कालीन एसएसपी अनंत देव पर सवाल उठाए हैं, उसी तरह एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह पर किये हैं। सूत्रों के मुताबिक एसपी ग्रामीण विकास दुबे को बखूबी जानते थे। उन्होंने भी उसको संरक्षण दिया। चौबेपुर एसओ ने मेहरबानी की। जिसकी जानकारी उनको भी थी लेकिन कार्रवाई की जहमत उन्होंने नहीं उठाई।