हेडिंग-आपदा में अवसर, तीन गुना किराया वसूला

- लॉकडाउन के दौरान दूसरे शहरों से झकरकटी बस अड्डा और सेंट्रल स्टेशन पहुंचे पैसेंजर्स साधन के भटकते रहे

- ऑटो और ई रिक्शा वालों ने उठाया मजबूरी का फायदा, वसूल किया मुंहमांगा किराया, चार कदम भी लिए 100 रुपए

- सेंट्रल स्टेशन पर 10 सिटी बसें और 10 रोडवेज बसें लगाने का किया गया था दावा, लेकिन नहीं दिखीं पर्याप्त बसें

KANPUR: कोरोना अपने पैर तेजी से फैला रहा है। संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए कानपुर में 35 घंटे का लॉकडाउन लगाया गया। लेकिन, दूसरे राज्यों से पलायन कर आ रहे हजारों माइग्रेंट्स संडे को भी बस अड्डे और कानपुर सेंट्रल पहुंचे। यहां से घर जाने के लिए साधन के लिए लोग घंटों भटकते रहे। प्रशासनके दावे धरे के धरे रह गए। पैसेंजर्स की इस आपदा को ऑटो और रिक्शेवालों ने अपने लिए अवसर की तरह लिया। तीन गुने से पांच गुना तक किराया वसूला गया। रिक्शेवालों ने तो थोड़ी थोड़ी दूर के लिए भी 100 रुपए लिए। कई लोग तो सिर पर सामान रखकर पैदल ही घर की तरफ निकल पड़े।

पनकी, कल्याणपुर के 500 रुपए

स्टेशन से पनकी, कल्याणपुर और चकेरी तक ले जाने के लिए ऑटो चालकों ने 400 रुपए से 500 रुपए तक वसूले। सबसे ज्यादा परेशानी सीनियर सिटीजेंस को हुई। चलने फिरने में लाचार या ज्यादा लगेज लेकर चलने वाले बुजुर्ग घंटों लोकल ट्रांसपोर्ट की आस में पोर्टिको के बाहर खड़े थे। जिन्हें बाद में ऑटो तीन गुना तक ज्यादा पैसे देकर बुक करना पड़ा।

स्टेशन से बस अड्डे के 50 रुपए

संडे को लॉकडाउन था सिटी में पैसेंजर्स व्हीकल का संचालन बंद था। सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेनों से आने वाले पैसेंजर्स को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए प्रशासन ने सिटी बसें लगा रखी थी लेकिन जानकारी के आभाव से बड़ी संख्या में लोग इस सर्विस का यूज नहीं कर सके। उन्हें बस के लिए झकरकटी बस अड्डा जाना पड़ा। स्टेशन से बस अड्डे तक 50 रुपए पर सवारी के हिसाब से वसूले गए।

दोपहर 1 बजे तक सिर्फ 2 सिटी बसें

स्टेशन के बाहर तैनात रेलवे स्टाफ के मुताबिक संडे की दोपहर तक स्टेशन के सिटी साइड सिर्फ 2 सिटी बसें ही थीं। जो पैसेंजर्स को बैठाकर वहां से रवाना हो गई। इसके बाद शाम 5 बजे के बाद तीन से चार बसें पैसेंजर्स को बैठाने आई थी। जबकि प्रशासन ने रेलवे स्टेशन पर 10 सिटी बसें और 10 रोडवेज बसें लगाने का दावा किया था। जो धरातल पर संडे को नहीं दिखाई दिया। लिहाजा हजारों पैसेंजर्स को स्टेशन से अपने घर पहुंचने में काफी असुविध्ा हुई।

25 हजार पैसेंजर्स रोज आ रहे

रेलवे आफिसर्स के मुताबिक, स्टेशन पर डेली मुम्बई, सूरत, अहमदाबाद और पुणे से आने वाली ट्रेनों से लगभग 25 हजार माइग्रेंट्स रोज आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर सिटी और आसपास के एरियाज से हैं। लॉकडाउन में इनको अपने गंतव्य तक पहुंचाने के लिए कम से कम 50 से अधिक रोडवेज बसों का स्टेशन में तैनात करना पड़ेगा।

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हॉस्पिटल से छूटे तो बस अड्डे में फंसे

राजस्थान के भीलवाड़ा से सैटरडे को वाया कानपुर होकर बिहार जाने को निकली एक फैमिली कानपुर आकर झकरकटी बस अड्डे पर फंस गई। बिहार तक कोई बस नहीं मिलने की वजह से परिवार को बस अड्डे में ही संडे का पूरा दिन और रात गुजारनी पड़ी। फैमिली के मेंबर आनंद ओझा ने बताया कि उनके बड़े बेटे का हाल ही ऑपरेशन हुआ है। सैटरडे को जैसे ही हॉस्पिटल से छुट्टी मिली लॉकडाउन के डर से घर लौटने को निकल पड़े थे। वह पत्नी और तीन बेटे और एक बेटी के साथ वह भीलवाड़ा में किराए पर रहते हैं। बीते दिनों उनके दूसरे नंबर के बेटे मुन्ना का एक्सीडेंट हो गया था। जिसमें उसकी आंत फट गई थी। उसका आपरेशन कराना पड़ा था।